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Dilip Kumar: कर्ण सिंह के पक्ष में प्रचार करने लखनऊ आए थे ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार

Dilip Kumar: दिलीप कुमार को बाबरी ढांचे विध्वंस के बाद काफी दुख हुआ था। फिर उन्होंने थोड़ी बहुत मुस्लिम राजनीति शुरू की।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 7 July 2021 3:11 PM IST (Updated on: 7 July 2021 3:13 PM IST)
Dilip Kumar was deeply saddened after the demolition of the Babri structure. started some Muslim politics.
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दिग्गज कलाकार दिलीप कुमार (फोटो-सोशल मीडिया)

Dilip Kumar: ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार फिल्मों के अलावा राजनीति में काफी दिलचस्पी रखते थें। इस सिलसिले में वह तीन बार लखनऊ भी आए। एक बार वह 1994 के आसपास प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भी आए थें। जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष महावीर प्रसाद हुआ करते थें।

इसके बाद 1997 में वह मुस्लिम ओबीसी कांफ्रेंस में भाग लेने के लिए लखनऊ आए थें। दिलीप कुमार को बाबरी ढांचे विध्वंस के बाद काफी दुख हुआ था। जिसके बाद उन्होंने थोड़ी बहुत मुस्लिम राजनीति भी शुरू की। उनका कहना था मुस्लिम समाज अपने अधिकारों के लिए आगे आए।

दिलीप कुमार की पतंगबाजी

फिर 1999 में वह लखनऊ आए जब लोकसभा के चुनाव हो रहे थें। उस दौरान उन्होंने लखनऊ तथा रायबरेली में भी कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार किया। खास बात यह कि भाजपा नेता अटल विहारी वाजपेयी से उनके आत्मीय सम्बन्ध होने के बाद भी राजनीति के क्षेत्र में वह उनके विरोधी थें।

दिलीप कुमार (फोटो-सोशल मीडिया)

इस चुनाव में जब कांग्रेस से कर्ण सिंह लखनऊ लोकसभा सीट से अटल विहारी वाजपेयी के खिलाफ चुनाव में उतरे तो उनके समर्थन में प्रचार करने के लिए दिलीप कुमार लखनऊ पहुंचे और यहां पर उन्होंने मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जन सभाएं भी की। तब प्रचार में निकलने के पहले उन्होंने होटल ताज में एक प्रेस कांफ्रेस भी की थी।

दिलीप कुमार में सबसे बड़ी खास बात उनकी कट्टर हिन्दुत्ववादी पार्टी के मुखिया बाला साहब ठाकरे से गहरी दोस्ती का होना था। जब भी वह बाला साहब ठाकरे के आवास पहुंचते तो घंटो वहां बैठकर बातें किया करते थें। कई बार तो दिलीप कुमार ने ठाकरे साहब के साथ पतंगबाजी भी की।

इससे पहले वह 1981 में मुम्बई के शेरिफ (महापौर) भी बने। जबकि अटल सरकार के दौरान वह 2000 से लेकर 2006 तक राज्य सभा के मनोनीत सदस्य रहें। पूर्व में वह वामपंथी विचारधारा के हुआ करते थें पर धीरे धीरे वह कांग्रेस से जुडते चले गए। यहीं कारण है कि 60 के दशक में एक बार दिलीप साहब कांग्रेस के सम्मेलन में भी पहुंचे थें।





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Vidushi Mishra

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