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Tulsi Ki Kheti: बिना खाद पानी के तुलसी की फसल उगा रहे टुनटुन भारती, हुआ डबल मुनाफे और अच्छी कमाई
Tulsi Ki Kheti: गोंडा जनपद में प्रगतिशील किसान टुनटुन भारती औषधीय गुणों वाली तुलसी की खेती करके डबल मुनाफे वाली खेती से अच्छी कमाई कर करके एक मिशल पेश की है।
Tulsi Ki Kheti: गोंडा (Gonda News) में हमारे ऋषि, मुनियों को लाखों वर्ष पूर्व तुलसी के औषधीय गुणों (medicinal properties of Tulsi) का ज्ञान था इसलिए इसको दैनिक जीवन में प्रयोग के लिए इतनी प्रमुखता से स्थान दिया गया है। आयुर्वेद में भी तुलसी के फायदों का विस्तृत उल्लेख मिलता है। तुलसी के धार्मिक-महत्व (Tulsi ka dharmik Mahattva) के कारण देश के अधिकांश घरों में इसके पौधे लगाए जाते हैं और हर-घर आंगन में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है।
तुलसी सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर इस औषधीय पौधे (Tulsi medicinal plant) को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है क्योंकि इससे ज्यादा उपयोगी औषधि मनुष्य जाति के लिए दूसरी कोई नहीं है। पुरातन काल से मनुष्य के लिए लाभकारी तुलसी के पौधे अब घर के आंगन में ही नहीं खेतों में भी लहलहा रहे हैं। खराब भूमि में भी बिना खाद-पानी के इसकी फसल तैयार हो जाती है। खेती किसानी में माहिर गोंडा के किसान टुनटुन भारती (Tuntun Bharti) आधा एकड़ से अधिक भूमि पर तुलसी की खेती कर कम लागत में अधिक फायदा कमा रहे हैं।
तुलसी की फसल में डबल फायदा
जिले के वजीरगंज क्षेत्र (Wazirganj area) अंतर्गत अशोकपुर गोपालपुर गांव के प्रगतिशील किसान टुनटुन भारती ने सबसे पहले तुलसी गांव की भाषा में तुलसा की खेती की। लागत कम और मुनाफा ज्यादा देख फिर क्षेत्र के आधा दर्जन लोगों ने तुलसी की खेती शुरू कर दी। बकौल टुनटुन भारती एक बार रोपी गई फसल में डबल फायदा है। तुलसी की फसल 75 से 90 दिन में तैयार हो जाती है। कटिंग के बाद यूरिया खाद डालने पर फिर से पत्ते निकल आते हैं, लेकिन उसमें आधा तेल निकलता है। एक बीघा में लगभग 30 किलो तेल निकलता है। एक बीघे में 30 किलो डीएपी खाद डाला जाता है। दोमट मिट्टी में दो बार पानी लगाना पड़ता है। अबकी तो पानी नहीं देना पड़ा। तुलसा की जड़ खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाती है। फसल काटने के बाद डीएपी खाद के बिना भी गेंहू की बुआई करने पर उत्पादन क्षमता पर असर नहीं पड़ता। तुलसी के बीज हाथ से छिड़काव करके बोये जा सकते हैं। इसका पौधा आमतौर पर 30 से 60 सेमी तक ऊंचा होता है और इसके फूल छोटे-छोटे सफेद और बैगनी रंग के होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल जुलाई से अक्टूबर तक होता है।
सीमैप (c-map) ने शुरू करवाई खेती
प्रगतिशील किसान टुनटुन भारती ने बताया कि सीमैप ने तुलसी प्रजाति के ऐसे पौधे जिनकी पत्तियों में अर्क अधिक होता है, उसे किसानों को बोने के लिए प्रेरित किया। अशोकपुर गोपालपुर गांव में सीमैप ने ही पायलट प्रोजेक्ट के तहत दो वर्ष पहले तुलसी की खेती शुरु करवाई।
पिपरमिंट (peppermint) की तरह निकलता है तेल
पिपरमिंट का तेल जिस विधि से निकाला जाता है ठीक उसी प्रकार तुलसी का तेल भी निकाला जाता है। एक लोहे की टैंक के अन्दर तुलसी के पौध को रखकर ढक्कन से बन्द कर दिया जाता है। टैंक के नीचे बनी भट्टी में आग से तुलसी को पकाते है। टैंक में लगी दूसरी पाइप से तुलसी के तेल को एक डिब्बे में इकट्ठा किया जाता है।
दवाइयों में इस्तेमाल होता है अर्क
भूमि सुधार निगम (land reform corporation) के प्रोजेक्ट मैनेजर और कृषि वैज्ञानिक डा. उपेन्द्र नाथ सिंह (Agricultural Scientist Dr. Upendra Nath Singh) ने बताया कि तुलसी से जो अर्क या तेल निकलता है उसका प्रयोग दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है। आयुर्वेदिक ही नहीं अंग्रेजी दवा की कम्पनियां भी करती हैं। किसान इसे बाजार में एक हजार से लेकर डेढ़ हजार रुपया प्रति लीटर तक आसानी से बेच सकता है।
तुलसी के औषधीय गुण (medicinal properties of basil)
तुलसी एक औषधीय पौधा है जिसमें विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। तुलसी की कई प्रजातियां मिलती हैं। जिनमें श्वेत व कृष्ण प्रमुख हैं। इन्हें राम तुलसी और कृष्ण तुलसी भी कहा जाता है। चरक संहिता और सुश्रुत-संहिता में भी तुलसी के गुणों के बारे में विस्तार से वर्णन है।
तुलसी की पत्तियां, बीज गुणकारी
औषधीय उपयोग की दृष्टि से तुलसी की पत्तियां ज्यादा गुणकारी मानी जाती हैं। इनको आप सीधे पौधे से लेकर खा सकते हैं। तुलसी के पत्तों की तरह तुलसी के बीज के फायदे भी अनगिनत होते हैं। तुलसी के बीज के और पत्तियों का चूर्ण भी प्रयोग किए सकते हैं। इन पत्तियों में कफ वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा तुलसी के पत्ते के फायदे बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण आदि में बहुत फायदेमंद हैं। तुलसी के औषधीय गुणों में राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी को प्रमुख माना गया है।
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