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LDA News: 10 हजार आवंटियों को मिलेगी राहत, 100 करोड़ से ज्यादा का कार्पस फंड होगा वापस
लखनऊ विकास प्राधिकरण करीब 10 हजार लोगों का करोड़ों रुपये दबाकर सालों से बैठा है, लेकिन अब इन लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।
लखनऊ विकास प्राधिकरण करीब 10 हजार लोगों का करोड़ों रुपये दबाकर सालों से बैठा है, लेकिन अब इन लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। क्योंकि कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक के हस्ताक्षेप के बाद अधिकारियों के कान में जूं रेंगनी शुरू हो गई है। एलडीए सालों से कार्पस फंड का करीब 100 करोड़ रुपये से ज्यादा दबाकर बैठा है। इसका जो लाभ लोगों को मिलना चाहिए था वह नहीं मिला। जिसके बाद लखनऊ जनकल्याण महासमिति ने कानून मंत्री ब्रजेश पाठक से मिलकर ये मुद्दा उठाया तो उन्होंने तत्काल संज्ञान लेते हुए अधिकारियों से जवाब मांगा।
सचिव ने मांगा था जवाब, नहीं मिला उत्तर
बता दें मंत्री ब्रजेश पाठक के हस्ताक्षेप के बाद सचिव आवास ने LDA से 15 दिन में जवाब मांगा था, लेकिन एलडीए ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार की अध्यक्षता में LDA की एक बैठक हुई। इसमें लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने कार्पस फंड, मेंटिनेंस फंड, PNG कनेक्शन के नाम पर लिए जा रहे अतिरिक्त शुल्क के साथ-साथ फायर फाइटिंग सिस्टम और वाटर हार्वेस्टिंग का मुद्दा उठाया। इसमें LDA के वित्त नियंत्रक राजीव सिंह ने कहा कि सभी RWA को कार्पस फंड की एफडी करा कर जुलाई 2021 के अंत तक दे दिया जाएगा।
जिसके बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि लोगों का सालों से जमा उनका कार्पस फंड अब वापस होगा। यह पैसा अब स्थानीय रेजीडेंस वेलफेयर एसोसिएशन (RWA)के खाते में जाएगा। इससे कॉलोनियों का विकास होगा। अभी तक आवंटियों का सालों से कार्पस फंड नहीं दिया था। इससे करीब 50 से ज्यादा मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में बना RWA अपने यहां विकास काम करा सकेगा।
तीन गुना ज्यादा पैसा वसूला गया
बैठक में उमाशंकर दुबे ने PNG कनेक्शन के लिए तीन गुना ज्यादा रकम वसूलने का एलडीए पर आरोप लगाया। उन्होंने पूछा कि जब PNG कनेक्शन फीस महज 6 हजार है तो LDA ने आवंटियों से 15 हजार रूपए क्यों वसूले। इसके बावजूद कई अपार्टमेंट्स में आज तक कनेक्शन नहीं कराया गया। इसपर एलडीए अफसरों ने गोमती नगर विस्तार स्थित गंगा, यमुना, सरस्वती और शारदा अपार्टमेंट में LDA पाइप लाइन बिछाने में अतिरिक्त खर्च का तर्क दिया। इसपर प्रमुख सचिव ने वसूली गई रकम और उसमें से हुए खर्च का विवरण मांग लिया। तय हुआ कि कागज देखने के बाद अगर पैसा बचता है तो उसको भी वापस किया जाएगा।