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Newstrack स्पेशल: लोहिया संस्थान में नहीं बढ़ेंगे पर्चे के दाम, निदेशक ने कहा- 'अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं'
लोहिया अस्पतालो में पर्चे के दाम बढने की खबर को लोहिया संस्थान के निदेशक ने भ्रामक बताया, कहा कि हमारे पास ऐसे आदेश नहीं आए हैं
Lucknow News: पिछले दो दिनों से प्रदेश भर में इस बात की सुगबुगाहट तेज़ी से चल रही है कि लखनऊ के अहम अस्पतालों में से एक लोहिया संस्थान में इलाज कराना अब महंगा हो जाएगा। लोहिया संस्थान व अस्पताल के विलय के दो साल पूरे होने पर पर्चे का दाम एक रुपये से बढ़ाकर 100 रुपये कर दिया जाएगा। वहीं, संस्थान में जो जांचें व दवाएं अभी निःशुल्क हैं, उनका मरीज़ों को भविष्य में ज़्यादा रुपये देना पड़ेगा। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस संबंध में ट्वीट कर अपना विरोध जताया था। मग़र, 'न्यूज़ट्रैक' से हुई ख़ास बातचीत में डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की निदेशक डॉ सोनिया नित्यानंद ने इस तरह की बातों को महज़ अफ़वाह करार दिया।
'अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं'
लोहिया संस्थान की निदेशक डॉ सोनिया नित्यानंद ने कहा कि 'अभी इस तरह का कोई फैसला नहीं लिया गया है। कुछ अख़बारों में इस तरह की ख़बर आई थी, लेकिन वह निराधार है।' उन्होंने कहा कि 'संस्थान द्वारा ऐसा कोई भी प्रस्ताव शासन को नहीं भेजा गया है। इस तरह के फैसले लेने का अधिकार सिर्फ शासन को है।'
अखिलेश यादव ने भी किया था विरोध
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लोहिया संस्थान में पर्चे के दामों की बढ़ोतरी का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि 'सपा की माँग है कि भाजपा सरकार लोहिया संस्थान में 1 रुपये के पर्चे पर इलाज-दवाई की व्यवस्था बंद न करे, बल्कि जनहित में जारी रखे। कोरोनाकाल में तो ये और भी ज़रूरी है कि ग़रीब को मुफ़्त या सबसे सस्ता इलाज व दवाई मिले।' उन्होंने कहा कि 'इलाज-दवाई की बुनियादी ज़रूरत के लिए सरकार का पीछे हटना निंदनीय है।'
27 अगस्त 2019 को जारी हुआ था शासनादेश
बता दें कि 27 अगस्त, 2019 को विलय सम्बंधित शासनादेश जारी हुआ था। इसके अनुसार अगले दो साल तक अस्पताल में मिलने वाली सुविधा को चालू रखना था। जिसका समय अब पूरा होने वाला है। गौरतलब है कि साल 1991 में स्थापित लोहिया संयुक्त अस्पताल में वर्ष 1998 में ओपीड़ी और 2000 में इंडोर सुविधा शुरू की गई थी। जिसके बाद अस्पताल के बगल में ही साल 2006 में लोहिया संस्थान की स्थापना की गई थी। जहां वर्ष 2009 में पीजीआई की मदद से 20 बेड़ का अस्पताल शुरू किया गया था। इसके बाद 2017-18 में यहां एमबीबीएस कोर्स की शुरुआत हुई थी। इसके बाद ही अस्पताल और संस्थान के विलय की रूपरेखा बनाई गई थी।