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Lucknow News: ऐप पोर्न का बिग बिजनेस, भारत में शूटिंग, विदेशों में अपलोडिंग
मुंबई में राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के चलते भारत में ओटीटी या ऐप आधारित पोर्न इंडस्ट्री चर्चा में है।
Lucknow News: मुंबई में राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के चलते भारत में ओटीटी या ऐप आधारित पोर्न इंडस्ट्री चर्चा में है। दरअसल, इन्टरनेट और स्मार्टफोन तक आसान पहुँच के चलते इन्टरनेट पोर्न किसी न किसी रूप में काफी देखा जा रहा है और कोरोना महामारी के दौर में हुए लॉकडाउन में ये इंडस्ट्री बूम कर गयी है।
यूं तो भारत में ओटीटी यानी ओवर द टॉप प्लेटफार्म की शुरुआत 2008 में हुई थी लेकिन 13 साल में ही इस प्लेटफार्म ने मनोरंजन उद्योग पर काफी गहरी पकड़ बना ली है। कोरोना महामारी आने के बाद तो ओटीटी और भी लोकप्रिय हो गया है। लेकिन अब ओटीटी के साथ कई अवांछनीय चीजें जुड़ चुकी हैं और उनमें से एक है पोर्न इंडस्ट्री।
ओटीटी के बूम के साथ देसी पोर्न इंडस्ट्री भी बहुत तेजी से आगे बढ़ी है जहाँ नेटफ्लिक्स और अमेज़न प्राइम की तर्ज पर मोंगोलिक, हॉटशॉट्स, अनकट मूवीज, फ्लिज़मूवीज, फेनेओ, कुकू, नेओफ्लिक्स, चीकूफ्लिक्स, प्राइमफ्लिक्स, नेऊफ्लिक्स, कूको जैसे सैकड़ों ओटीटी ऐप चल रहे हैं। ऐसे ऐसे ऐप हैं जिनके बारे में ज्यादातर लोगों ने कभी नाम भी नहीं सुना होगा। इन सभी ऐप पर पोर्न परोसा जाता है लेकिन हैरत की बात है कि राज कुंद्रा की गिरफ्तारी से पहले इस इंडस्ट्री के बारे में कोई चर्चा सुनने में नहीं आई। जबकि ऐसे ऐप धड़ल्ले से चल रहे थे। अब भी इस मामले में फिल्म इंडस्ट्री तो ख़ास तौर पर चुप्पी साधे हुए है। राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के साथ मुंबई पुलिस ने 150 पोर्न एप्स के खुलासे का दावा किया है। बताया जाता है कि ये ऐप 30 से 199 रुपये प्रतिमाह की फीस चार्ज करते हैं और हर सप्ताह दो से तीन नई फिल्में ऐप पर डाली जाती हैं।
बाजार पर पकड़
करीब 2 से 3 हजार करोड़ का देसी ऐप पोर्न उद्योग धीरे धीरे आगे बढ़ा है। पहले ऑल्टबालाजी और मैक्स प्लेयर जैसे बॉलीवुड के प्रोडक्शन हाउसों ने सॉफ्ट कंटेंट डालना शुरू किया और एक तरीके से बाजार का रिएक्शन भांपने की कोशिश की। इस तरीके से काम किया गया कि नियामकों की नजर भी न पड़े और किसी तरह का नेगेटिव रिएक्शन भी न हो। चूँकि ओटीटी पर सेंसर की तलवार नहीं थी सो आराम से कंटेंट डिलीवरी भी हो गयी। सेक्सुअल कंटेंट इस तरीके से दिया गया कि सब बातें इशारों इशारों में दर्शकों को समझा दी गईं।
इसके बाद 'उल्लू' और इसके जैसे ढेरों अन्य ऐप की एंट्री हुई जिन्होंने थोड़ा आगे बढ़ कर बाजार की टेस्टिंग की। ये सब ऐप पहले से ज्यादा बोल्ड कंटेंट देने लगे। ख़ास बात ये रही कि ये सब पेड ऐप थे, यानी पैसा भरने पर ही कोई ग्राहक कंटेंट देख सकता है। दरें काफी कम, 30 रुपये महीना तक रखी गईं। जब बाजार बढ़ने लगा तो नए प्लेयर भी इसमें आने लगे जो अगले लेवल का कंटेंट बना कर सबसे ज्यादा कीमत देने वाले ऐप को बेचते थे। 10 से 50 हजार रुपये खर्च करके एक दिन में विडियो फिल्म तैयार कर ली जाती थी और उसे स्ट्रीमिंग एप्स को 2 से 5 लाख रुपये में बेच दिया जाता है।
देश भर में प्रोडक्शन
स्ट्रीमिंग ऐप को फिल्म बेचने वाले तथाकथित प्रोडक्शन हाउस सिर्फ मुम्बई में ही ऑपरेट नहीं करते हैं बल्कि इंदौर, सूरत, दिल्ली, कोलकाता से लेकर छोटे शहरों में कंटेंट तैयार किया जाता है। मोबाइल फोन या डीएसएलआर कैमरे से शूटिंग की जाती है और लैपटॉप पर एडिटिंग होती है। एक दिन में सब कुछ तैयार हो जाता है। ऐसी फिल्मों में वे लोग काम करते हैं जो दिल में एक्टर बनने की ख्वाहिश पाले हुए हैं। इनको आगे बढ़ने का यही आसान तरीका नजर आता है। बताया जाता है कि कानूनी पचड़े से बचने के लिए कलाकारों से कैमरे पर ही रजामंदी रिकार्ड करवा ली जाती है ताकि कोई बाद में किसी तरह का आरोप न लगा सके।
विदेशों में रजिस्टर्ड ऐप
इस तरह की सामग्री को चलाने वाले लगभग सभी स्ट्रीमिंग ऐप विदेशों में पंजीकृत हैं सो भारत सरकार का उनपर कोई कण्ट्रोल नहीं है। ये वैसे ही काम करते हैं जैसे कि कोई वेबसाइट होती है। वेबसाइट संचालित हो रही है किसी अन्य देश में और कंटेंट प्रोड्यूस हो रहा है भारत में। यानी पोर्न फ़िल्में भारत के छोटे-बड़े शहरों में तैयार की जाती हैं फिर उन्हें किसी दूसरे देश में ऐप पर अपलोड किया जाता है। इन ऐप और इन पर डाली गयी फिल्मों के विज्ञापन और प्रचार इन्स्टाग्राम, ट्विटर, फेसबुक आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किया जाता है और वो भी इस तरीके से कि वह अश्लीलता की केटेगरी में न आने पाए।
राज कुंद्रा के मामले में सिंगापुर के एक यश ठाकुर का नाम सामने आया है। बताया जाता है कि ये एक बड़ा प्रोड्यूसर है। इसके बारे में तो फिल्मों की नामचीन और सम्मानित वेबसाइट आईएमडीबी पर भी लिखा हुआ है और उसकी फिलोम की लिस्ट भी है। ख़ास बात ये है कि इस शख्स के बारे में पुलिस को कुछ अता पता नहीं है, माना जा रहा है कि छद्म नाम से कोई व्यक्ति ऑपरेट कर रहा है।
इन्टरनेट सर्फिंग ट्रैफिक
स्थिति ये है कि कुल ट्रैफिक का 30 से 40 फीसदी पोर्न वेबसाइटों से आता है। ये टेलीकॉम कंपनियों के लिए ट्रैफिक और रेवेन्यू का बड़ा स्रोत है। एक सर्वे में बताया गया है कि भारत के शहरी क्षेत्रों में 63 फीसदी युवा पोर्नोग्राफी देखते हैं और इनमें से 74 फीसदी इसके लिए अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। प्रतिष्ठित वेबसाइट क्वार्ट्ज़ के अनुसार, भारत के 50 फीसदी आईपी एड्रेस ने मोबाइल फोन पर पोर्न वेबसाइटों को देख है। भारत में ओटीटी या ऐप पोर्न उद्योग 2 से 3 हजार करोड़ का बताया जाता है और ये 25 फीसदी सालाना की रफ्तार से बढ़ रहा है।
डेटा कम्पनी केपीएमजी ने 2019 में एक रिपोर्ट में बताया था कि भारत का ऑनलाइन वीडियो बाजार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 2023 तक भारत मे 50 करोड़ से ज्यादा ऑनलाइन वीडियो सब्सक्राइबर होंगे और इसके चलते भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का इंटरनेट वीडियो ट्रैफिक 2022 तक प्रतिमाह 13.5 एक्सा बाइट तक पहुंचने का अनुमान है। जबकि 2017 में ये 1.5 एक्साबाइट था।
दुनिया की सबसे बड़ी पोर्न वेबसाइट पोर्नहब ने डेटा जारी किया था जिसमें बताया गया कि पिछले साल भारत में लॉकडाउन के दौरान उसका ट्रैफिक भारत में 95 फीसदी बढ़ गया था।
फैक्ट फ़ाइल
- ग्लोबल पोर्न इंडस्ट्री 100 अरब डॉलर की बताई जाती है। इसमें 10 से 12 अरब डॉलर अमेरिका से आता है।
- अमेरिका में प्रति 39 मिनट में एक पोर्न फिल्म प्रोड्यूस की जाती है।
- पोर्नहब वेबसाइट के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा पोर्न कंटेंट अमेरिका में देखा जाता है। अमेरिकी लोग इस वेबसाइट पर हर विज़िट में सबसे ज्यादा औसतन 10 मिनट 39 सेकेंडबिताते हैं। इस मामले में यूके दूसरे व जर्मनी तीसरे स्थान पर है।
क्या कहता है कानून
आईपीसी की धारा 292 के तहत भारत में पोर्नोग्राफी सामग्री बेचना और डिस्ट्रीब्यूट करना गैरकानूनी है।
धारा 292, 293 के तहतभारत में पोर्नोग्राफी सामग्री बनाना, छापना और वितरित करना गैरकानूनी है।
आईटी एक्ट की धारा 67 बी 20 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति को पोर्नोग्राफी सामग्री बेचना गैरकानूनी है।