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Lucknow News: उत्तर प्रदेश भाजयुमो की नई टीम में विवाद, ये है बड़ी वजह

उत्तर प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा की नई टीम में पार्टी के अंदर और बाहर विवाद शुरू हो गया है ।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 3 Aug 2021 2:09 PM IST (Updated on: 3 Aug 2021 2:10 PM IST)
Controversy in the new team of Uttar Pradesh BJYM
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भारतीय जनता युवा मोर्चा: कांसेप्ट इमेज- सोशल मीडिया

Lucknow News: लखनऊ उत्तर प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा की नई टीम में बनाए गए पदाधिकारियों में दो ऐसे पदाधिकारियों के नाम शामिल कर लिए गए हैं जो पहले से अपराधी रहे हैं । इसे लेकर पार्टी के अंदर और बाहर विवाद शुरू हो गया है ।

उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रांशु दत्त द्वेदी ने सोमवार को अपनी नई टीम की घोषणा की जिसमें अरविंद राज्य त्रिपाठी को प्रदेश मंत्री बनाया गया । लेकिन बाद में पता चला कि उनके खिलाफ 16 मुकदमे दर्ज हैं । उन्हें काकादेव थाने का हिस्ट्रीशीटर बताया गया है इसी तरह प्रदेश कार्यसमिति में शामिल कानपुर केशिव वीर सिंह भदोरिया को प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है ।

मुकदमे खत्म हो चुके हैं: अरविंद राज त्रिपाठी

लेकिन शिव वीर सिंह भदोरिया और अरविंद राज त्रिपाठी का दावा है कि यह सब राजनीतिक मुकदमे बसपा सरकार के दौरान लगाए गए थे। जब वह लोग छात्र राजनीति कर रहे थे अरविंद इस समय वकालत करते हैं तथा उनका दावा है कि उनके सारे मुकदमे खत्म हो चुके हैं । सन 2010 के बाद से उनके खिलाफ एक भी मुकदमा नहीं है। उनका कहना है कि यह सारे मुकदमे राजनीतिक द्वेषभावना से लगाए गए थे जब प्रदेश में बसपा की सरकार थी। अरविंद राज के एक भाई धीरेंद्र त्रिपाठी पार्षद भी हैं ।

भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रांशु दत्त द्वेदी: फोटो- सोशल मीडिया

आखिर इसकी सच्चाई क्या है?

अब प्रदेश नेतृत्व इस बात की छानबीन करने में जुट गया है कि आखिर इसकी सच्चाई क्या है यहां यह बताना जरूरी है किै इसके पहले भी ब्लॉक प्रमुख चुनाव में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी को प्रत्याशी बनाये जाने पर बखेड़ा खड़ा हुआ था। कुलदीप रेप के मामले में इन दिनों जेल में हैं। जबकि किसी एक अन्य मोर्चे की टीम में मृत व्यक्ति को स्थान दिया गया था। बाद मे इसे लिपिकीय त्रुटि बताकर मामले को शांत किया गया था। इसी तरह ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में अरुण सिंह को टिकट देने पर जब विवाद शुरू हुआ तब भी प्रदेश नेतृत्व को अपना फैसला बदलना पड़ा था।

Shashi kant gautam

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