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Lucknow News: फीस अंतर होने पर छात्र-छात्रायें मुश्किल में, राज्यपाल के नाम से दिया गया ज्ञापन

उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित जागृति कालेज एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल के नेतृत्व में अध्यक्ष आदर्श दीपक मिश्रा ने राज्यपाल के नाम का ज्ञापन सौंपा।

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Report KrantiveerPublished By Shashi kant gautam
Published on: 28 July 2021 10:29 PM IST
Students in trouble due to fee difference, memorandum given in the name of Governor
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कानपुर विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्वविद्यालय: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया

 

Lucknow News: उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित जागृति कालेज एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अध्यक्ष आदर्श दीपक मिश्रा ने राज्यपाल के नाम का ज्ञापन सौंपा। उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा अभी कुछ समय पहले कानपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्व चार जनपदों (हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, रायबरेली) की सम्बद्वता लखनऊ विश्वविद्यालय से कर दी गई।

दोनों विश्वविद्यालयों में लिये जाने वाली फीस में काफी अंतर है कानपुर विश्वविद्यालय छात्रों से लिये जाने वाले शुल्क 955 रूपये के स्थान पर लखनऊ विश्वविद्यालय में 6,000 रूपया प्रति छात्र लेने का नियम है, विश्वविद्यालयों के फीस में अंतर होने के कारण का दुष्परिणाम सम्बद्व चारों जनपदों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं जो गांव से जुड़े हुए हैं, इसका असर पढ़ने वाले छात्रों और अभिभावकों पर पड़ने वाला है।

सम्बद्व महाविद्यालयों का अस्तित्व खतरे में

इतने बड़े शुल्क अन्तराल का दुष्परिणाम सम्बद्व चारों जिलों के महाविद्यालयों पर भी सीधा असर पड़ने वाला है ऐसी स्थिति में सम्बद्व महाविद्यालयों का अस्तित्व खतरे में पड़ने की सम्भावना है। अधिकतर छात्र-छात्रायें सम्बद्व महाविद्यालय में गांव से आते है। जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण महाविद्यालयों का शुल्क अदा करने की कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अधिकतर संख्या में छात्र-छात्राये पड़ोसी महाविद्यालयों जो कानपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्व है उसमें चले जाने की सम्भावना है।

विश्वविद्यालयों में एक जैसा शुल्क होना चाहिए

शासन की नीति के अनुसार सबको समान अवसर और सबको समान सुविधा प्रदान करना चाहिए। इसलिए कानपुर विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्वविद्यालय में लिये जाने वाले शुल्क का जो बड़ा अन्तराल है इस अन्तराल को कम कराकर छात्रों, अभिभावको और महाविद्यालय की रक्षा की जा सकती है। वर्तमान समय में प्रत्येक क्षेत्र में समता की दिशा में देश बहुत तेजी से बढ़ रहा है भारत सरकार की नई शिक्षा नीति इस दिशा में एक बड़ा कदम है। सभी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को एक जैसा शुल्क लिये जाना चाहिए।



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Shashi kant gautam

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