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Lucknow: नगर निगम के आम सदन में जमकर हंगामा, कार्यवाही छोड़कर बाहर निकलीं मेयर संयुक्ता भाटिया
नगर निगम के आम सदन में जमकर हंगामा हुआ, जिससे नाराज होकर मेयर संयुक्ता भाटिया सदन की कार्यवाही छोड़कर बाहर चली गईं।
लखनऊ: करीब डेढ़ साल बाद आज नगर निगम के आम सदन में जमकर हंगामा हुआ, विपक्ष और सत्ता के पार्षदों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार और नगर निगम के अधिकारियों के खिलाफ लामबंद होकर अपनी समस्याओं को मेयर सयुक्ता भाटिया और नगर आयुक्त अजय द्विवेदी के सामने रखा। पार्षदों का आरोप था कि उनकी समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं है।
आज के आम सदन में सबसे ज्यादा सीवर पीने के पानी और जगह-जगह सड़कों पर खोदे गए गड्ढों का मसला उठाया। पार्षदों का कहना था कि लोगों को स्वच्छ जल पीने के लिए नहीं उपलब्ध हो पा रहा है। उनके वार्ड के लोग जब अपनी समस्याएं लेकर उनके पास आते हैं तो वह संबंधित अधिकारियों से उनकी बात रखते लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। इस पर मेयर संयुक्ता भाटिया ने नगर आयुक्त अजय द्विवेदी से जवाब देने को कहा नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने कहा की जल निगम उनके कार्य क्षेत्र में नहीं आता, जल निगम स्वतंत्र बॉडी है और उसके आईएमडी इस समस्या का समाधान कर सकते हैं, यह बात सुनकर पार्षद भड़क उठे और वह नारेबाजी करने लगे।
पार्षदों का कहना था कि जब उनकी जब उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होगा तो जनता को क्या जवाब देंगे। इसी मुद्दे को लेकर मेयर और पार्षदों के बीच तीखी बहस हुई विपक्ष सब सपा और कांग्रेस के पार्षद इस मुद्दे को लेकर मेयर की चेयर तक पहुंच गए और जमकर कहासुनी हुई, जिससे नाराज होकर मेयर संयुक्ता भाटिया सदन की कार्यवाही छोड़कर अपने कार्यालय में चली गई। जिसके बाद सत्ता पक्ष के पार्षद नियर के पास पहुंचे और उन्हें मना कर दोबारा सदन में लेकर आए।
मेयर संयुक्ता भाटिया ने पार्षदों से अपील की वह उनकी सभी समस्याओं को सुनेंगी और उसका निस्तारण करके ही जाएंगी लेकिन पार्षद शांतिपूर्वक अपनी बातें करें। वहीं सीबर और वार्ड की अन्य समस्याओं को नगर निगम के अधिकारिओं से बात करके जल्द पूरा कराने की कोशिश करेंगी, वहीं जब मीडिया ने मेयर संयुक्ता भाटिया से सदन छोड़कर चले आने का कारण पूछा तो उनका कहना था, सदन में शोर शराबे के बीच चर्चा नहीं हो सकती, जब पार्षद गण शांत माहौल में चर्चा करेंगे तो उनकी समस्या का हल निकलेगा। कई वार्डों में गंदे पानी की समस्या पर उन्होंने कहा यह काम जल निगम देखता है, वह उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है, लेकिन फिर भी वह जल निगम के अधिकारीयों और सरकार तक इस समस्या को पहुंचायेंगी।