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दालों की महंगाई सब पर भारी, थोक में सस्ती, फुटकर में महंगी
Lucknow News: कोरोना और लॉकडाउन के असर चलते नौकरी छूटने व वेतन कम कर दिये जाने से आर्थिक तंगी झेल रही जनता को पेट्रोल और डीजल की मार तो परेशान कर ही रही है।
Lucknow News: कोरोना और लॉकडाउन के असर चलते नौकरी छूटने व वेतन कम कर दिये जाने से आर्थिक तंगी झेल रही जनता को पेट्रोल और डीजल की मार तो परेशान कर ही रही है। लेकिन अब मुनाफाखोरी के चलते उसकी खाने की थाली पर भी ग्रहण लगता प्रतीत हो रहा है। क्योंकि थोक मार्केट में दालों की कीमतें गिरने के बावजूद फुटकर किराना व्यवसायियों की दुकानों में उनके दाम आसमान छू रहे हैं।
लखनऊ में मंडियों के दाम से अधिक कीमतों पर मिल रही दाल
अगर लखनऊ की बात करें तो यहां पर थोक मंडी में जो दाल 6000 से 9000 रुपये कुंतल के बीच में है उसको फुटकर विक्रेता 80 से 150 रुपए कुंतल के दाम पर बेच रहे हैं। राजधानी की पांडेगंज, रानीगंज और डालीगंज जैसी मंडियों में दालों का थोक रेट अरहर दाल का 90 से 95 रुपये किलो है तो फुटकर में ये दाल 140 से 150 रुपये किलो पर बिक रही है।
मसूर की दाल थोक में 70 से 78 रुपये किलो है तो किराना की दुकान में 80 से 85 में हो जा रही है। चना 60-65 रुपए किलो है तो किराने में वह 80-85 का मिल रहा है। उड़द 115 से 120 है तो फुटकर में सवा सौ से 135 रुपये पहुंच रहा है। छोला 85 से 90 रुपये किलो है तो फुटकर में 105 से से 110 रुपये किलो बिक रहा है।
किराना स्टोर विक्रेता दालों की मनमानी कीमत वसूल रहे
ऐसे में अगर राजधानी की थोक मंडियों से फुटकर विक्रेताओं की दुकानों तक दालों को लाने की कीमत में अगर ढुलाई जोड़ दी जाए तो वह औसतन 10 किलो से अधिक नहीं होनी चाहिए लेकिन इसके बावजूद किराना स्टोर मनमानी कीमतों पर दालें बेच रहे हैं। और अगर खाद्य विभाग की टीम किराना कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई करती है तो उसका विरोध किया जाता है। और व्यापारी खाद्य विभाग पर मनमानी का आरोप लगा देते हैं।
हफ्तेभर पहले दालों की कीमतों में आई थी कमी
जानकारों का कहना है कि सरकार की सख्ती के बाद बाजार में दाल की आवक बढ़ी है। सप्ताह भर पहले सभी प्रकार की दालों की कीमतों में गिरावट भी आई, लेकिन उसका फायदा जनता को नहीं मिल पा रहा है। थोक कारोबारियों का कहना है कि दालों के मामले में प्रदेश में कम उपज होने और मिल चलाने वालों की मनमानी के चलते इसके दाम बढ़ जाते हैं। क्योंकि दालों की आपूर्ति ज्यादातर मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से होती है। और दालों के दाम भी उसकी उपलब्धता के आधार पर तय होते हैं।