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SGPGI का 26वां दीक्षांत समारोह: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा- 'विश्वस्तरीय संस्थान केवल बिल्डिंग और संरचना से नहीं बनता'
एसजीपीजीआई (SGPGI) का 26वां दीक्षांत समारोह संस्थान के श्रुति प्रेक्षागृह में पूरे उल्लास के साथ मनाया गया।
लखनऊ: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) का 26वां दीक्षांत समारोह संस्थान के श्रुति प्रेक्षागृह में पूरे उल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) थे। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल व संस्थान की कुलाध्यक्ष आनंदी बेन पटेल (Governor Anandi Ben Patel) ने समारोह की अध्यक्षता की।
देश की प्रथम महिला नागरिक सविता कोविंद, उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा, वित्त और संसदीय मामलों के कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना (UP Minister Suresh Kumar Khanna) एवं उत्तर प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा व वित्त राज्य मंत्री संदीप सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव एवं संस्थान के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार तिवारी भी मंच पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
'प्रोफेसर एस एस अग्रवाल पुरस्कार
समारोह का आरंभ विशिष्ट अतिथि गणों और संकाय सदस्यों के आगमन से हुआ। राष्ट्रगान की सुन्दर प्रस्तुति के पश्चात दीप प्रज्ज्वलित किया गया। मां सरस्वती के आवाहन के पश्चात राज्यपाल द्वारा दीक्षांत समारोह के औपचारिक प्रारंभ की घोषणा की गई। संस्थान के अध्यक्ष राजेंद्र कुमार तिवारी ने महामहिम राष्ट्रपति व राज्यपाल और उपस्थित विशिष्ट अतिथियों का अभिनंदन किया।
इसके बाद, संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन ने पिछले एक वर्ष की गतिविधियों का लेखा जोखा प्रस्तुत किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शोध के क्षेत्र में सर्वोत्कृष्ट कार्य के लिए एंडोक्राइन सर्जरी के प्रोफेसर गौरव अग्रवाल को स्तन कैंसर के क्षेत्र में किए गए विशेष शोध के लिए 'प्रोफेसर एस आर नायक पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के संगम रजक को इस वर्ष का 'प्रोफेसर एस एस अग्रवाल पुरस्कार' प्रदान किया गया। राष्ट्रपति द्वारा डॉक्टर पंक्ति मेहता (डी.एम. इम्यूनोलाजी) और डाक्टर सितागशु काकोटी (एम.सी.एच. यूरोलाजी) को प्रोफेसर आरके शर्मा पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी अपने उत्साहवर्धक शब्दों से उपस्थित उपाधि धारकों और विद्यार्थियों का उत्साह वर्धन किया। उन्होंने कहा कि 'वे मानवीय संवेदनाओं को स्वयं में समाहित करें, क्योंकि यही भाव उन्हें सामाजिक दायित्व का बोध कराएगा।
शोध, शिक्षण और रोगी सेवा पर विशेष बल
उन्होंने रोगी और चिकित्सक के बीच पारस्परिक संवाद को प्राथमिकता दी और कहा कि अपने ज्ञान और शिक्षा से अपने शहर, अपने राज्य, देश, विश्व और सबसे ऊपर मानव जीवन को लाभान्वित करना ही हमारा दायित्व होना चाहिए।'
राष्ट्रपति ने उत्तीर्ण होने वाले और विशिष्ट पुरस्कार प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का उत्साह वर्धन किया। उन्होंने महिला छात्राओं को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए विशेष बधाई दी। उन्होंने कहा कि 'विश्वस्तरीय संस्थान केवल बिल्डिंग और संरचना से नहीं बनता, अपितु वहां के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के निरंतर समर्पित प्रयास से ही किसी संस्थान को ख्याति प्राप्त होती हैं।'
उन्होंने संस्थान के तीन मूलभूत स्तंभों- शोध, शिक्षण और रोगी सेवा पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि 'कोविड-19 से लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। सामाजिक दूरी और मास्क के द्वारा व सतत टीकाकरण कार्यक्रम के द्वारा ही हम इस महामारी पर विजय प्राप्त कर पाएंगे।'
उन्होने कहा कि 'कोविड-19 के विरुद्ध टीकाकरण के क्षेत्र में हम विश्व में सबसे बड़े देश के रूप में उभरे हैं, जहां 61 करोड़ लोगों का टीकाकरण हो चुका है। केवल उत्तर प्रदेश में ही 6 करोड़ 70 लाख लोगों को टीका लगाया गया है। आज जिन भी विद्यार्थियों ने अपने जीवन का एक बहुत बड़ा मुकाम हासिल किया है, उनसे आशा है कि अपने ज्ञान का प्रयोग रोगियों को रोगमुक्त करने हेतु करेंगे, जहां उनका स्थान एक देवदूत का होगा।'
समारोह का समापन डीएम, एमसीएच, पीएचडी, एमडी, पीडीएएफ, एमएचए और बीएससी नर्सिंग के विद्यार्थियों को उपाधि वितरण के साथ हुआ।