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Akhilesh Yadav News: अखिलेश यादव का तीखा वार, भाजपा सरकार के नौकरी देने वाले सभी विज्ञापन झूठे, कादिर राणा का मिला साथ

अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए लगाए गंभीर आरोप

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Newstrack NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 17 Oct 2021 12:29 PM GMT
Akhilesh Yadav
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दूसरे पार्टी से आए नेताओं को सपा में शामिल कराते अखिलेश यादव (फोटो-न्यूजट्रैक)

Akhilesh Yadav News: रविवार को सपा सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (akhilesh ka bjp par hamala) ने वर्तमान भाजपा सरकार पर हमला (bhajpa sarkar per hamla) बोलते हुए कहा कि प्रदेश और देश में भाजपा द्वारा नौकरी देने के लगाए जा रहे विज्ञापन झूठ (bjp ke vigyapan jhoothe) हैं। सरकार ने युवाओं को कोई भी नौकरियां नहीं दी हैं। बल्कि इसके विपरीत झूठे विज्ञापन लगाकर प्रचार-प्रसार अलग कर रही हैं।

आरएस कुशवाहा, हरिकिशोर व कादिर राणा सपा में शामिल (samajwadi party ke neta)

सपा कार्यालय पर पूर्व बहुजन समाज पार्टी (BSP Leaders) प्रदेश अध्यक्ष आर.एस. कुशवाहा (Kaun Hai R. S. Kushwaha) समेत हरि किशोर तिवारी (Kaun Hai Hari Kishore Tiwari) और कादिर राणा (Kaun Hai Kadir Rana) के समाजवादी पार्टी में शामिल होने के मौके पर कही। साथ ही अखिलेश यादव (akhilesh yadav press conference live today) ने कहा कि भाजपा ने जनता की उम्मीदों के साथ ही सभी देशवासियों को धोखा दिया है, लेकिन विज्ञापन में ये लोग सबकुछ अच्छा ही दिखा रहे हैं।

भाजपा सरकार में सरसों के तेल की कीमत में हुई व्यापक वृद्धि और शिक्षा व्यवस्था पर अखिलेश यादव ने कहा "सरसों के तेल की कीमतें ₹200 के पार जा चुकी हैं, इस तेज़ी से बढ़ रही महंगाई को लेकर सरकार को जवाब देना ही होगा। सरकार का कहना है कि नियमों में सख्ती की वजह से विक्रेता मिलावट नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए सरसो का तेल महंगा है। लेकिन वास्तविकता तो यह है यह सरकार सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को राहत पहुंचाने में जुटी हुई है। भाजपा के लोग हमेशा से गलत रास्ते पर चलते आए हैं। इस सरकार में शिक्षा व्यवस्था की भी रीढ़ टूट गयी है, प्रदेश में जब सपा की सरकार थी तो स्कूलों में बच्चों को सप्ताह में एक बार दूध उपलब्ध कराया जाता था।"

वर्तमान में अखिलेश यादव (akhilesh yadav) 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र प्रदेश में विजयरथ यात्रा का आयोजन कर रहे हैं। जिसके अंतर्गत अखिलेश यादव की अध्यक्षता में सपा की यह विजयरथ यात्रा प्रदेश के हर एक ज़िले में जाएगी। विजयरथ यात्रा के द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पुनः उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने की रणनीति बुन रहे हैं।

कादिर राणा का मुजफ्फरनगर दंगे से क्या था कनेक्शन (kadir rana muzaffarnagar danga connection)

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में रविवार को कई बड़े नेता शामिल हुए हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद कादिर राणा का है। कादिर राणा (kadir rana) का परिवार मुजफ्फरनगर समेत पश्चिमी यूपी के बड़े मुस्लिम नेता के तौर पर जाना जाता है। वह पहले एमएलसी बने, फिर राष्ट्रीय लोक दल से विधायक, उसके बाद बसपा के टिकट पर 2009 में सांसद भी पहुंचे। लेकिन 2014 में बीजेपी की आंधी में उड़ गए। अब 2022 के लिए नया रास्ता खोजते हुए सपा की साइकिल पर सवार हो गए हैं।

2014 के चुनाव में मिली थी हार (kadir rana political career muzaffarnagar)

2009 से 2014 तक कादिर राणा (kadir rana) बसपा से सांसद रहे। उन्होंने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में रालोद प्रत्याशी अनुराधा चौधरी को हराया था। हालांकि वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वह भाजपा प्रत्याशी डा. संजीव बालियान से भारी मतों से हार गए थे। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए जनपद से राजनीतिक चोला बदलने का क्रम जारी है। इसी क्रम में पूर्व सांसद कादिर राना भी बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए हैं।

दंगों के बाद हाशिये पर गया राणा परिवार

मुजफ्फरनगर और उसके आस-पास के जिलों में कादिर राणा परिवार का सिक्का चलता था। कादिर राणा एमएलसी रहे। बाद में मोरना से विधायक और 2009 में बसपा के टिकट पर मुजफ्फरनगर से सांसद चुने गए। चरथावाल से उनके भाई नूरसलीम राणा बसपा के विधायक र,हे तो भतीजे शाहनवाज राणा बिजनौर से विधायक रहे। शाहनवाज की पत्नी इंतखाब जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं।

मुजफ्फरनगर दंगे के बाद पश्चिमी यूपी में बीजेपी का वर्चस्व बढ़ा तो सबसे ज्यादा नुकसान कादिर राणा (kadir rana) और उनके परिवार का हुआ। जहां उनके परिवार से कई विधायक होते थे, वहीँ 2014 के बाद इस वक्त कोई भी एक प्रतिनिधि उनके परिवार से नहीं है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के आगे कादिर राणा बुरी तरह हार गए तो 2017 में इस परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी सदन में नहीं पहुंच सका। 2019 के चुनाव में भी कुछ खास नहीं कर पाए राणा, अब 2022 में इन्होंने साइकिल को अपना नया ठिकाना बनाया है और विधानसभा पहुंचने की जुगत में लग गए हैं।

मुजफ्फरनगर दंगे में थे आरोपी (kadir rana muzaffarnagar danga connection)

सपा शासनकाल में साल 2012 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे में पूर्व सांसद कादिर राणा (kadir rana) भी आरोपी थे। उन पर भड़काऊ भाषण देकर भीड़ को उकसाने का आरोप लगा था। बता दें दंगों की शुरूआत मुजफ्फरनगर जिले से शुरू हुई थी। जिले के कवाल गांव में तीहरे हत्याकांड़ के बाद 30 सिंतबर को खालापार में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की एक सभा, धारा 144 लागू होने और रोक के बावजूद आयोजित हुई थी। जिसमें तत्कालीन बसपा सांसद कादिर राणा समेत बसपा और सपा के अल्पसंख्यक समुदाय के कई नेताओं की अहम भूमिका रही थी।

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Raghvendra Prasad Mishra

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