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क्या एक होने की ओर बढ़ रहा है डॉ. सोनेलाल पटेल का बिखरा कुनबा

यूपी विधानसभा का चुनाव नजदीक है तो एक बार फिर से अपना दल के दोनो धड़ों को एक करने की कवायद नाते रिश्तेदारों की तरफ से शुरू हो चुकी है।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 11 Sept 2021 2:47 PM IST (Updated on: 11 Sept 2021 3:12 PM IST)
क्या एक होने की ओर बढ़ रहा है डॉ. सोनेलाल पटेल का बिखरा कुनबा
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लखनऊ: बसपा से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले अपना दल(Apna Dal) के संस्थापक स्व डॉ सोनेलाल पटेल (Late Sone Lal Patel) ने कभी नहीं सोचा होगा, जिस राजनीतिक दल के पौधे को वह रोपित कर रहे हैं, वह एक दिन वृक्ष बनकर फल देगा और उस फल को पाने के लिए परिवार के सदस्यों में ही आपस में मतभेद उभरेगें।

हाल यह है कि अपना दल(Apna Dal) अब दो भागों में विभाजित है। एक का नेतृत्व डॉ सोनेलाल पटेल(Late Sone Lal Patel) की पत्नी कृष्णा पटेल(Krishna Patel) कर रही हैं । जबकि दूसरे अपना दल (सोनेलाल) का नेतृत्व उनकी एक बेटी अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) कर रही हैं, जो केन्द्र और प्रदेश की सत्ता पर काबिज हैं।

डॉ सोनेलाल पटेल की हुई थी 2009 में एक एक्सीडेंट में मौत

अपना दल के संस्थापक डॉ सोनेलाल पटेल(Late Sone Lal Patel) की 2009 में जब एक एक्सीडेंट में मौत हो गयी, तो उनकी चार बेटियों पारूल पटेल, पल्लवी पटेल, अनुपिया पटेल और अमन पटेल में सबसे अधिक राजनीतिक समझ अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) में होने कारण पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं और नाते रिश्तेदारों ने कृष्णा पटेल को पार्टी का अध्यक्ष और अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) को पार्टी का महासचिव बनाया।

लेकिन 2014 के चुनाव के समय से इनमें टूट की नींव पड़ना शुरू हो गयी। पार्टी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल(Krishna Patel) और बेटी अनुप्रिया पटेल के बीच भाजपा (B J P) से गठबंधन को लेकर मतभेद उभरे।

बेटी अनुप्रिया पटेल और मां कृष्णा पटेल

भाजपा से गठबंधन को लेकर मां बेटी में शुरू हुआ टकराव

टिकट बंदवारे के कारण उभरे मतभेदों के साथ ही मां कृष्णा पटेल (Krishna Patel) यह भी नहीं चाहती थी कि भाजपा के साथ अपना दल(Apna Dal) का गठबंधन हो। पर बेटी अनुप्रिया पटेल(Anupriya Patel) लगातार प्रदेश प्रभारी अमित शाह के सम्पर्क में रहकर गठबंधन के पक्ष में थी।

बेटी अनुप्रिया पटेल प्रदेश प्रभारी अमित शाह के सम्पर्क में (फोटो- सोशल मीडिया)

इस पूरे प्रकरण में भाजपा (B J P) को चिंता वाराणसी से चुनाव लड़ रहे नरेन्द्र मोदी को लेकर थी क्योंकि पहली बार विधायक बनी अनुप्रिया पटेल(Anupriya Patel) की रोहनिया सीट वाराणसी लोकसभा सीट के अर्न्तगत ही थी। जहां पर कुर्मी वोट बहुतायत है। इसलिए भाजपा ने लगातार कोशिश कर अनुप्रिया पटेल को अपने पाले में कर लिया।

अनुप्रिया पटेल के पति ने राजनीति के लिए छोड़ी सरकारी नौकरी

इसके अगले साल ही यानी 2015 में अनुप्रिया पटेल(Anupriya Patel Husband Name) के पति आशीष पटेल की राजनीति में दिलचस्पी बढ़ना शुरू हुई। सरकारी नौकरी में होने के बाद भी वह अपनी पत्नी के राजनीतिक कामों में हस्तक्षेप करने लगे। जो परिवार के लोगों को नहीं भाया।

कैसे शुरू हुए परिवार में मतभेद

इस बीच मां कृष्णा पटेल(Krishna Patel) ने अपनी दूसरी बेटी पल्लवी पटेल की भी राजनीति में इंट्री करानी चाही। उसे पार्टी का महासचिव बना दिया। तो अनुप्रिया पटेल(Anupriya Patel) ने इस पर आपत्ति जताई। यहां से मामला और गंभीर हो गया। मां बेटी के समर्थकों के बीच मतभेद काफी गहरा गया। मामला पुलिस से लेकर चुनाव आयोग तक पहुंचा।

इसके बाद डॉ सोनेलाल पटेल(Late Sone Lal Patel) के परिवार में दो फाड़ हो गये। पत्नी कृष्णा पटेल(Krishna Patel) को चुनाव आयोग ने अपना दल की मान्यता दे दी, जबकि अनुप्रिया पटेल(Anupriya Patel) अपना दल (एस) की अध्यक्ष बन गयी। इस बीच जब 2017 के विधानसभा चुनाव आए, तो नाते रिश्तेदारों ने मां बेटी को एक करने के कई प्रयास किए पर सारे प्रयास असफल हो गए।

इस बीच विधानसभा चुनाव में मिली सफलता ने अनुप्रिया पटेल(Anupriya Patel) का कद और बढ़ा दिया। जबकि मां कृष्णा पटेल (Krishna Patel) का अपना दल कमजोर होता गया और वह चुनाव भी हारी। 2019 का लोकसभा चुनाव अपना दल(Apna Dal) (एस) एक बार फिर भाजपा(B J P) के साथ गठबंधन करके लड़ा। अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से दोबारा सांसद बनी। साथ ही केन्द्र सरकार में दो साल बाद मंत्री भी बनी।

दोनो धड़ों को एक करने की कोशिश में भाजपा नेतृत्व

अनुप्रिया पटेल (फोटो- सोशल मीडिया)

अब जबकि यूपी विधानसभा का चुनाव नजदीक है तो एक बार फिर से दोनो धड़ों को एक करने की कवायद नाते रिश्तेदारों की तरफ से शुरू हो चुकी है। पर अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) की कुछ शर्तों तथा परिवार के ही कुछ सदस्यों के अहम के कारण बात नहीं बन पा रही है।

जबकि भाजपा(B J P) नेतृत्व लगातार इस कोशिश में है कि दोनो धड़ों के एक होने का लाभ उसे विधानसभा चुनाव में मिल सकता है क्योंकि प्रदेश के कुर्मी वोट का काफी बड़ा हिस्सा इसी परिवार के पास है।

अनुप्रिया पटेल(Anupriya Patel) के पति और विधानपरिषद सदस्य आशीष पटेल, पल्लवी पटेल के पति आशीष निरंजन और मां कृष्णा पटेल(Krishna Patel) के अलावा उनकी तीसरी बेटी अमन पटेल को समझाने बुझाने के प्रयास लगातार जारी हैं।

बड़ी बेटी पारूल पटेल का राजनीति से कोई मतलब नहीं है। वह अपने पति के साथ बंगलूरू में रहती हैं। जबकि अमन पटेल का अभी विवाह नहीं हुआ है। वह पारिवारिक व्यवसाय को देखने आदि का काम करती हैं।

पार्टी की कलह से ऊबकर अपना इस्तीफा

कृष्णा पटेल को सौंप चुके पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं अपना दल(Apna Dal) के संस्थापक सदस्यों में से एक आरके पटेल का कहना है कि ''अनुप्रिया पटेल(Anupriya Patel) ने परिवार को एक करने के लिए बहुत अच्छी पहल की है''।

उनका कहना है कि ''अगर दोनो धड़े एक हो जाते हैं तो हर चुनाव में जिस तरह वोट बंट जाता है उसके एक हो जाने से डॉ सोनेलाल पटेल की आत्मा को निश्चित रूप से शांति मिलेगी।"

घटता बढता रहा अपना दल (Apna Dal) का वोट बैंक

अपना दल (फोटो- सोशल मीडिया)

1995 में बसपा से अलग होने के बाद जब डॉ सोनेलाल पटेल(Late Sone Lal Patel) ने अपना दल की स्थापना की, तो 1996 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने 155 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। जिनमें एक भी सीट वह नहीं जीत पाए। जबकि उनके वोटों का प्रतिशत 0,72 प्रतिशत रहा।

इसके बाद वह खुद 1999 के लोकसभा चुनाव में फूलपुर से उतरे, पर वह चुनाव हार गए। फिर 2002 के विधानसभा चुनाव में उनके दल 227 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का काम किया। इस चुनाव में डॉ सोनेलाल पटेल तो चुनाव हारे, पर उनके दल के तीन प्रत्याशी चुनाव जीत गए।

साथ ही वोटों का प्रतिशत 2,16 हो गया। इसके बाद उनका 2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा(B J P) से गठबंधन हुआ तो 39 सीटों में उनके दल को एक भी सीट नहीं मिली। पर वोटों का प्रतिशत जरूर घटकर 1,06 हो गया।

इस बीच उनक निधन के बाद जब पार्टी की कमान अनुप्रिया पटेल(Anupriya Patel) के हाथ आई, तो 2012 के विधानसभा चुनाव में वोटों का प्रतिशत 0.90 हो गया और रोहनिया सीट अनुप्रिया ने जीतने का काम किया।

इस चुनाव में पीस पार्टी के साथ गठबंधन के तहत अपना दल(Apna Dal) के 76 प्रत्याशी मैदान में थें। फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना दल मिर्जापुर से सांसद बनी। जबकि इस चुनाव में प्रतापगढ सीट भी उनके हिस्से में आई।



Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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