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Bank Union Strike: लाखों कर्मचारी उतरे सड़कों पर, निजीकरण के विरोध में हल्लाबोल

Bank Union Strike: बैंकों के कर्मचारी आज और कल राजधानी लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में हड़ताल करेंगे और अपना विरोध दर्ज कराएंगे। इससे 1.18 बैंक शाखाओं में ताले लटके हैं।

Rahul Singh Rajpoot
Report Rahul Singh RajpootPublished By Shreya
Published on: 16 Dec 2021 1:03 PM IST (Updated on: 16 Dec 2021 1:04 PM IST)
Bank Union Strike: लाखों कर्मचारी उतरे सड़कों पर, निजीकरण के विरोध में हल्लाबोल
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बैंक स्ट्राइक (फोटो- आशुतोष त्रिपाठी, न्यूजट्रैक) 

Bank Union Strike: केंद्र सरकार के दो और राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण (Banks Privatization) के फैसले के विरोध में आज से देशभर में बैंक कर्मचारियों की दो दिवसीय हड़ताल (Bank Union Ka Hadtal) हो रही है। इसके विरोध में 10 लाख से अधिक कर्मचारी लामबंद हो गए हैं। इसमें 934 लाख कर्मी राष्ट्रीयकृत बैंकों के और 1.66 लाख ग्रामीण बैंकों के कर्मचारी शामिल हैं। यह कर्मचारी आज और कल राजधानी लखनऊ (Lucknow) सहित पूरे प्रदेश में हड़ताल करेंगे और अपना विरोध दर्ज कराएंगे। इससे 1.18 बैंक शाखाओं में ताले लटके हैं।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात करें तो 900 शाखाओं में ताले लटके हैं। जिससे आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (United Forum Of Bank Union) के बैनर तले इस विरोध प्रदर्शन में एआईबीईए (AIBEA), एआईबीओसी (AIBOC), एनसीबीई (NCBE), बीईएफआई (BEFI), एआईबीओए (AIBOA), आईएनबीईएफ (INBEF), आईएनबीओसी (INBOC), एनओबीडब्ल्यू (NOBW), एनओबीओ (NOBO) शामिल है।

लखनऊ के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के मुख्य शाखा पर सैकड़ों की संख्या में बैंक कर्मचारी इकट्ठा हुए हैं और अपना विरोध जता रहे हैं। वह केंद्र सरकार और वित्त मंत्री के खिलाफ नारेबाजी और गरीबों का उत्पीड़न बंद करो जैसे स्लोगन के साथ अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।

हड़ताल से उत्तर प्रदेश में लगभग 12 सौ करोड़ का नुकसान (Hadtal Se Nuksan)

दो दिवसीय बैंक हड़ताल (Bank Hadtal) से अगर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में इसके नुकसान की बात करें तो 12 सौ करोड़ रुपए का लेनदेन प्रभावित होगा। बैंक यूनियन (Bank Union) के नेताओं का आरोप है कि सरकार निजीकरण से कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाना चाहती है। पदाधिकारियों का आरोप है कि कारपोरेट घरानों की जनता की गाढ़ी कमाई के 157 लाख करोड़ जो राष्ट्रीयकृत बैंकों में जमा हैं, उस पर नजर है। बैंकों के निजीकरण (Bankon Ka Nijikaran) से कारपोरेट घराने इस जमा रकम का मनमाने तरीके से ऋण ले सकेंगे।

बैंककर्मी का कहना है कि बैंकों के निजीकरण से उनका वेतन कम नहीं होगा, मगर जो गरीब, किसान व मजदूर अभी 3 से 4 प्रतिशत की दर पर ऋण पा रहे हैं वह बंद हो जाएगा। इसी के विरोध में लाखों बैंक कर्मचारी दो दिवसी हड़ताल बुलाकर अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं।

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Shreya

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