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मायावती को लग सकता है बड़ा झटका, दलितों के मसीहा बनकर उभर रहे भीम आर्मी चीफ 'चंद्र शेखर आज़ाद'

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है।

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Newstrack NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 28 Aug 2021 6:29 PM GMT (Updated on: 28 Aug 2021 6:30 PM GMT)
Chandrashekhar Azad
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प्रदर्शनकारी शिक्षक अभ्यथियों के बीच भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण (फोटो-आशुतोष त्रिपाठी)

Bhim Army Chief Chandrashekhar Azad: उत्तर प्रदेश (UttarPradesh) में आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। छोटे-बड़े सभी राजनीतिक दल अपनी जबरदस्त उपस्थिति दर्ज कराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। सभी छोटे-बड़े मुद्दों को लेकर प्रदेश सरकार को घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। वहीं योगी सरकार के लिए शिक्षक भर्ती (69000 shikshak bharti) का मुद्दा सबसे बड़ी चुनौती हो गई है। 69000 शिक्षक भर्ती आरक्षण के तहत किए जाने की मांग को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी लगातार धरना प्रदर्शन (UP Protest) कर रहे हैं। ईको गार्डेन में बैठे शिक्षक अभ्यर्थियों के बीच पहुंचे भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर रावण (Chandrashekhar Azad Ravan) ने कहा है कि सरकार जब तक आरक्षण के तहत भर्ती प्रक्रिया की मांग मान नहीं लेती है, तब तक वह हटने वाले नहीं हैं।

बता दें कि भीम आर्मी चीफ उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी का वजूद तलाश रहे हैं। हाल के दिनों में जिस तरह उन्हें दलितों का समर्थन मिला है, उससे वह खुद का दलितों का मसीहा साबित करने का प्रयास कर रहे हैं। मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा मुद्दा शिक्षक भर्ती का हो गया है। चंद्र शेखर रावण अब इस मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में वह शनिवार देर रात तक शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ ईको गार्डेन में धरने पर बैठे रहे।


कौन हैं चंद्रशेखर रावण

बसपा प्रमुख मायावती के बाद खुद को दलितों का उत्तराधिकारी के तौर पर पेश करने वाले चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण अपनी राजनीतिक वजूद तलाशने में लगे हुए हैं। वह दलितों की आवाज बनने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं वजह है कि दलितों के बीच उनकी पहचान दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। चंद्रशेखर ने मायावती के साथ आने की पेशकश की थी जिसे बसपा प्रमुख ने ठुकरा दिया था। बता दें कि चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण का जन्म सहारनपुर जनपद के चटमलपुर के पास धडकूलि गांव में हुआ था। उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की है। चंद्रशेखर वर्ष 2015 में एक बोर्ड लगाकर विवादों में आ गए थे।


इस बोर्ड में उन्होंने लिखवाया था कि 'धडकाली वेलकम यू द ग्रेट चमार्स।' उनके इस कदम से गांव में दलितों और ठाकुरों के बीच तनाव पैदा हो गया था। यहीं से चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण चर्चा में आ गए। चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया का पूरा लाभ उठाया और फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से लोगों से भीम आर्मी से जुड़ने की अपील की।

दूसरे नंबर के नेता के रूप में खुद को किया खड़ा

चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण आज दलितोंं के दूसरे नंबर के नेता के रूप में खुद को खड़ा कर लिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती के बाद दलितों के नेता में किसी का नाम आता है तो वह चंद्रशेखर का नाम है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों में भीम आर्मी के नेता, कार्यकर्ता मिल जाएंगे। भीम आर्मी चीफ चंद्र शेखर आजाद इसबार विधानसभा चुनाव में इसी को भूनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

Raghvendra Prasad Mishra

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