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UP Politics : मायावती ने मुख्तार का टिकट काटा, दिखाया अखिलेश को आईना
UP Politics : मुख्तार अंसारी के भाई एवं पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी को अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी में शामिल किया था। वहीं विधानसभा चुनावों को लेकर आज सुबह मायावती ने एक साथ तीन ट्विट किए।
लखनऊ : बसपा सुप्रीमों मायावती (BSP supremo Mayawati) ने पहले स्मारकों पार्को एवं मूर्तियों का निर्माण न कराने के वायदे के बाद अब माफियाओं और अपराधियों से भी दूरी बनाना शुरू कर दिया है। उन्होंने अपनी पार्टी की मऊ विधानसभा सीट (Mau assembly seat) से विधायक एवं माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) का टिकट काट दिया है। उनके स्थान पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर (Bhim Rajbhar) को पार्टी का प्रत्याशी बनाया है।
मायावती ने अपने इस फैसले से एक तीर से दो निशाने साधने का काम किया है। एक तरफ उन्होंने पार्टी की साफ सुथरी छवि बनाने का काम किया है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को आईना दिखाने का भी काम किया है।
विधानसभा चुनाव के पहले एक बड़ा कदम
हाल ही में मुख्तार अंसारी के भाई एवं पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी को अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी में शामिल किया था। मायावती (BSP supremo Mayawati) के इस फैसले को आने वाले विधानसभा चुनाव के पहले एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
आज सुबह मायावती ने सुबह एक साथ तीन ट्विट किए। पहले ट्विट के माध्यम से उन्होंने कहाकि बसपा अगले विधानसभा चुनाव में यह प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली एवं माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए।
इसके मद्देनजर ही आजमगढ मंडल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि यूपी बीएसपी के स्टेट अध्यक्ष भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है।
अपने दूसरे ट्विट में कहा कि जनता की कसौटी व उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए पार्टी प्रभारियों से यह उम्मीद है कि वह उम्मीदवारों का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखे ताकि सरकार बनाने पर ऐसे तत्वों के विरूद्व सख्त कार्यवाही करने में कोई दिक्कत न हो।
इसके बाद तीसरे और अंतिम ट्विट में मायावती ने कहा कि बीएसपी का संकल्प कानून द्वारा कानून का राज स्थापित करना है। जिससे यूपी की तस्वीर को बदला जा सके। जिससे यह बात साफ हो सके कि बसपा जो कहती है वह करती है।
विधानसभा चुनाव के कुछ ही महीने बचे
दरअसल, मायावती जनता को यह बताना चाह रही है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ नहीं है बल्कि उनकी पार्टी अलग तरह की पार्टी है। बसपा जो कहती है वह करती है जबकि समाजवादी पार्टी ऐसा नहीं करती है।
2017 के चुनाव के पहले अखिलेश यादव ने अपराधियों एवं माफियाओं को अपनी पार्टी से दूर रखने का वादा किया था। उसके बाद भी उन्होने कई माफियाओं को अपनी पार्टी में शामिल करने के साथ ही उन्हे टिकट भी दिया।
अब इस बार जबकि विधानसभा चुनाव के कुछ ही महीने बचे है। ऐसे में मायावती जनता में यह मैसेज देना चाह रही है कि पिछली बार की गल्तियों को बसपा इस बार नहीं दोहराएगी। इसलिए उन्होंने पार्का स्मारकों एवं मूर्तियों का निर्माण न कराए जाने का वादा जनता से किया है।
साथ ही मुख्तार अंसारी को पार्टी से टिकट न देकर यह भी बता दिया कि वह माफियाओं और गुंडो माफियाओं से तनिक भी समझौता करने को तैयार नहीं हैं। चर्चा तो इस बात की भी है कि जल्द ही मुख्तार अंसारी एवं उनके सांसद भाई अफजाल अंसारी को पार्टी बाहर का रास्ता दिखाने जा रही है।
उधर समाजवादी पार्टी ने मफिया मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी को भले शामिल कर लिया हो। लेकिन बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी और सांसद अफजाल अंसारी को पार्टी की सदस्यता दिलाने से अभी परहेज कर रही है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि पूर्वांचल की करीब 10 सीटों पर अंसारी बंधुओं का प्रभाव है।