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Daliton Ki Congress : दलितों को सत्ता सौंपने को तैयार हुई कांग्रेस, यूपी में भी पूनिया पर दांव
Daliton Ki Congress : केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी में दलित और पिछड़ा वर्ग के नेताओं को तवज्जो मिलने लगी है।
Daliton Ki Congress : कांग्रेस नेतृत्व अब भारतीय जनता पार्टी को दलित एजेंडे पर ही मात देने की तैयारी में है। पंजाब में दलित मुख्यमंत्री (Dalit Mukhyamantri) देने के बाद कांग्रेस ने उत्तराखंड में दलित चेहरा यशपाल आर्य को आगे किया तो अब उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस (Congress Ka Chunavi Chehra) का चुनावी चेहरा पीएल पूनिया (pl punia) होंगे। अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस ने तीन राज्यों में अपना दलित कार्ड खेल दिया है। अब भाजपा को भी इसकी काट के लिए नया दांव आजमाना होगा।
केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी में दलित और पिछड़ा वर्ग के नेताओं को तवज्जो मिलने लगी है। कई राज्यों में दलित राज्यपाल और दलित-पिछड़ा वर्ग के मंत्रियों की तादाद पर फोकस करने के बाद भाजपा ने राष्ट्रपति भी दलित वर्ग से दिया। अगले साल पांच राज्यों पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर में चुनाव कराए जाने हैं।
सबसे बड़ा समर उत्तर प्रदेश के मतदाताओं के बीच लड़ा जाएगा। इसका असर जुलाई में केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार और पिछले महीने योगी सरकार (Yogi Sarkar) के मंत्रिमंडल विस्तार में भी दिखा जहां पिछड़ा व दलित वर्ग के मंत्रियों(Dalit Mantri) की तादाद सबसे ज्यादा रही है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के यूपी दौरों को लेकर भी राजनीतिक दल सवाल खड़े करने लगे हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि अगला चुनाव दलित उत्थान के एजेंडे पर हो सकता है।
कांग्रेस ने भाजपा को दलित सीएम पर घेरा
किसान कानून के मुद्दे पर पंजाब में असहज स्थिति से गुजर रही भाजपा को कांग्रेस ने पंजाब में दलित मुख्यमंत्री(Dalit Mukhyamantri) चेहरा पेश कर चुनावी मैदान से पूरी तरह बाहर धकेलने की कोशिश की है। दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की ताजपोशी का दांव ऐसा रहा है जिसकी वजह से भाजपा नेतृत्व कैप्टन अमरदिंर सिंह की खुलकर मदद करने से कतरा गया।
ऐसा करने पर उसे दलित मुख्यमंत्री (Dalit Mukhyamantri) को सत्ता से बाहर करने का अपयश झेलना पड़ता। कांग्रेस के इस हमले से भाजपा संभली नहीं थी तब तक कांग्रेस ने उत्तराखंड में भी दलित कार्ड चल दिया। उत्तराखंड के वरिष्ठ दलित नेता यशपाल आर्य जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे। उनकी घर वापसी बेटे समेत कांग्रेस ने करा ली है। अब बताया जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें ही उत्तराखंड में मुख्यमंत्री चेहरा बनाएगी।
अब यूपी में भी दलित पर दांव
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में भी दलित नेता को चुनावी कमान थमा दी है। प्रियंका गांधी वाड्रा की पहल पर कांग्रेस की चुनावी कमेटियों का एलान हुआ है, उसमें पूर्व नौकरशाह और अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पीएल पूनिया को चुनाव प्रचार अभियान समिति का चेयरमैन बनाया गया है।
इसका सीधा सा अर्थ है कि यूपी में कांग्रेस(Dalit Mukhyamantri) का चुनाव अभियान अब पीएल पूनिया के नेतृत्व में संचालित किया जाएगा। चुनाव अभियान का नेता होने की वजह से वह यूपी में कांग्रेस का फ्रंट फेस होंगे।
कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ ने प्रियंका गांधी को झाड़ू लगाने के लिए जिस तरह से अपमानित करने की कोशिश की और इसे छोटे लोगों का काम बताया। उसके जवाब में जब प्रियंका गांधी ने वाल्मीकि बस्तियों का रुख किया तो उन्हें अहसास हो गया कि यूपी में दलित वर्ग ऐसा है जो कांग्रेस के साथ आने को तैयार है।
भाजपा की बढ़ेगी मुश्किल
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंजाब, उत्तराखंड और अब उत्तर प्रदेश में भी दलित चेहरा जब चुनाव मैदान में होगा तो भाजपा के नेताओं को संभलकर बोलना पड़ेगा। दलितों को लुभाने की कोशिश पहले से ही भाजपा कर रही है तो अब वह उसे नाराज नहीं कर सकती है। दलित मुख्यमंत्री (Dalit Mukhyamantri) के जवाब में भाजपा को भी अपना दलित नेतृत्व आगे करना होगा।
अगर वह इस बिन्दु पर पीछे हटती है तो राष्ट्रपति बनवाने से लेकर अब तक उसके सारे किए धरे पर पानी फिर सकता है। ऐसे में उसकी मुश्किल यह होगी कि योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर चुनाव लड़कर क्या वह यह भरोसा दिला पाएगी कि यूपी का अगला मुख्यमंत्री दलित वर्ग(Dalit Mukhyamantri) से होगा।