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Gandhi Jayanti: रुपए पर महात्मा गांधी की ही तस्वीर क्यों छापी जाती है? जानें क्या है इतिहास
महात्मा गांधी के बारे में जितना जानों उतना ही कम...
Lucknow News: हम बचपन से रुपयों पर महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की तस्वीर देखते हैं। मन में कई सवाल आते थे कि आखिर नोटों पर बापू की तस्वीर क्यों छापी गई? हमें पता है कि ये सवाल आपके भी मन में आये होंगे। तो चलिए आज इस रहस्य से पर्दा उठा ही देते हैं। आपको बताते हैं कि इसके पीछे की दिलचस्प कहानी है क्या।
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। महात्मा गांधी की तस्वीर देश की मुद्रा या रुपयों पर पहली बार उनके जन्मशती वर्ष में प्रकाशित की गई थी। पहली बार 100 रुपए के नोट पर राष्ट्रपिता बापू की तस्वीर प्रकाशित की गई थी। हालांकि, वर्ष 1947 में आजादी मिलने के बाद से ही यह महसूस किया जाने लगा था कि भारतीय मुद्रा से ब्रिटिश सम्राट के चित्र की जगह महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की तस्वीर होनी चाहिए। लेकिन सरकार को इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने में काफी वक्त लग गया।
पहली बार छपी बैठे हुए गांधीजी की तस्वीर
आजादी के बाद जिस चीज में सबसे पहले बदलाव की तरफ मांग होने लगी थी वह था, भारतीय मुद्रा से ब्रिटिश सम्राट की तस्वीर को हटाया जाना। क्योंकि रुपए हर दिन इस्तेमाल की चीज है। हर दिन कई हाथों से यह गुजरती है। तब हाल ही में आजादी मिली थी। रुपयों पर ब्रिटिश सम्राट की तस्वीर उन्हें उन पुराने जुल्म के दिनों की याद दिलाने के लिए काफी थी। हालांकि इस बीच, करेंसी नोट में ब्रिटेन सम्राट का स्थान सारनाथ के अशोक चिन्ह ने ले लिया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने पहली बार साल 1969 में 100 रुपए का एक स्मारक नोट जारी किया। जिसमें सेवाग्राम आश्रम में बैठे महात्मा गांधी को दिखाया गया था।
500 की नोट पर बापू की मुस्कुराती तस्वीर
रुपयों पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की तस्वीर को नियमित तौर पर प्रकाशित करने का काम वर्ष 1987 में शुरू हो पाया। इस साल 500 रुपए के नोट की नई श्रृंखला में मुस्कुराते हुए महात्मा गांधी का चित्र छापा गया। तब गांधीजी की तस्वीर वाटरमार्क के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। बता दें कि गांधीजी के चित्र से पहले भारतीय मुद्रा पर कई डिजाइन और तस्वीरों को प्रकाशित किया जाता रहा।
कब से हुई शुरुआत
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार साल 1996 में महात्मा गांधी की तस्वीर वाले नोट चलन में आए। उसके बाद 5, 10, 20, 100, 500 और 1000 रूपये के नोट बापू की तस्वीर के साथ छापे गए। इस दौरान अशोक स्तंभ की जगह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का फोटो छापा जाने लगा। अशोक स्तंभ की फोटो नोट के बाईं तरफ निचले हिस्से पर प्रिंट कर दी गई।
'रुपया' और 'रुपए' पर छिड़ी बहस
उल्लेखनीय है, कि बापू का चित्र छापने से पहले भारतीय मुद्रा नोटों में कई डिजाइन और छवियों का उपयोग किया गया। साल 1949 में तत्कालीन सरकार ने अशोक स्तंभ के साथ एक रुपए का नया नोट जारी किया था। फिर वर्ष 1953 में जारी नए नोटों में हिंदी को प्रमुखता के साथ स्थान दिया गया। हिंदी में 'रुपया' के बहुवचन को लेकर जो बहस उस समय छिड़ी थी वह अंत में 'रुपए' शब्द पर जाकर ख़त्म हुई।
गांधी की तस्वीर पर भी बहस
हालांकि, एक आरटीआई (RTI) में सामने आया था कि वर्ष 1993 में भारतीय रिजर्व बैंक ने नोट के दाहिनी तरफ महात्मा गांधी का चित्र छापने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी। बता दें कि महात्मा गांधी की फोटो पर कई बार बहस होती है कि उनके स्थान पर देश के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर क्यों नहीं छापी गई।
गांधी की तस्वीर ही क्यों?
दरअसल, हमारा देश अनेकताओं में एकता वाला देश है। महात्मा गांधी को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में देखा जाता रहा है। राष्ट्रपिता की उपाधि हासिल कर चुके गांधी उस वक्त राष्ट्र का सबसे सम्मानित चेहरा थे, इसलिए उनके नाम पर फैसला लिया गया था। क्योंकि अन्य सेनानियों के नाम पर क्षेत्रीय विवाद होने का डर था। हालांकि इस सवाल को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान ही आरबीआई पैनल ने गांधी के स्थान पर अन्य राष्ट्रीय नेता की तस्वीर ना छापने का फैसला किया था। क्योंकि उनका मानना है कि महात्मा गांधी से ज्यादा कोई भी व्यक्ति देश के स्वभाव का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है।