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Gorakhpur Hatyakand: कभी पुलिस की गोली से, तो अब पुलिस की पिटाई से निर्दोष की मौत, क्या योगी सरकार को बदनाम करने की है ये साजिश
Lucknow : सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा चर्चा व सरकार की आलोचना का मुख्य केंद्र बना हुआ है।इस वीडियो में गोरखपुर में डीएम व एसएसपी मृतक व्यापारी की पत्नी को धमकाते व समझाते हुए दिखाई पड़ रहे हैं ।
Gorakhpur Hatyakand: कभी-कभी ऐसा लगता है कि खाकी की पतलून में लिपटे कुछ ऐसे अधिकारी सीएम से लिफ्ट पा रहे हैं, जिनकी नियत सीएम व सरकार के प्रति ठीक नही है? लगता है जैसे कि कुछ इस तरह की मानसिकता वाले पुलिस व प्रशासन के बड़े अफसर सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। यह हरेक के दिल व दिमाग को स्ट्राइक करने वाला ही बिंदु है कि जो सीएम अपराधी माफिया के खिलाफ इतने सख्त हैं कि आज की तारीख में ज्यादातर माफिया या तो जेल में है या फिर यूपी छोड़ कर अन्य प्रांतों में शरण लिये बैठे हैं।
योगी सरकार के सामने संकट (Yogi Sarkar)
उसी सीएम की पुलिस इतनी कुख्यात मूर्खतापूर्ण हरकत कर रही है, जिसके कारण समय समय पर योगी सरकार संकट में पड़ कर समाज व विपक्ष के सामने कठघरे में खड़ी होती रहती है पुलिस की इन कुख्यात हरकतों के कारण ही योगी सरकार को कई बार कठघरे में खड़ा होना पड़ा है।
आइये थोड़ा फ्लैश बैक में पहुंच कर नोएडा की एक घटना की याद को ताजा कर लेते हैं।यह घटना भी आज की सबसे चर्चित घटना से किसी भी एंगिल से कमजोर नहीं हैं । इस घटना के घटित होने के बाद देश की संसद हिल गयी थी। योगी सरकार को लेने के देने पड़ गए थे ।
लेकिन तब तत्कलीन एसएसपी ने इस मामले में आरोपी एएसआई व अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाही करते हुए सरकार की फजीयत होने से बचाई थी।यह सनसनीखेज मामला था 3 फरवरी, 2018 का। नोएडा के सेक्टर-122 में जिम ट्रेनर जितेंद्र यादव को गोली लगी थी।
आरोप था कि सेक्टर-122 के चौकी इंचार्ज विजय दर्शन शर्मा ने अपने दो पुलिस कर्मियों के साथ जिम ट्रेनर जितेंद्र यादव की गर्दन में उस समय गोली मार दी थी जब वो एक सीएनजी पम्प पर अपनी कार में सीएनजी गैस भरवा रहे थे।जितेंद्र अपने दोस्तों के साथ स्कार्पियो से बहन की सगाई समारोह से लौट रहे थे। इसके बाद नोएडा पुलिस पर फेक एनकाउंटर का आरोप लगा था।
आम नागरिक के साथ यह कुख्यात हरकत
जब यह मामला देश के राज्यसभा में गूंजा तब आरोपी चौकी इंचार्ज व उसके दो पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया गया था।बाद में इस मामले में हुईं जांच में यह पाया गया कि अपना आउट ऑफ टर्न प्रोमशन पाने के लिये इस दरोगा ने एक आम नागरिक के साथ यह कुख्यात हरकत की थी।
इसके बाद सूबे में सबसे चर्चित एनकाउंटर एप्पल कम्पनी एरिया मैनजेर विवेक तिवारी का था।गत सितंबर, 2018 में जब विवेक अपनी कम्पनी की सहकर्मी को अपनी कार में बैठा कर उसे घर छोड़ने के लिये जा रहे थे तभी रास्ते मे लखनऊ के गोमतीनगर में पुलिस कर्मी प्रशान्त चौधरी ने उसके सिर में गोली मार दी थी।
बाद ने इलाज के दौरान विवेक तिवारी की मौत हो गयी। तब हत्यारोपी पुलिस कर्मी ने अपने बचाव में कहा था कि उसने अपनी जान की रक्षा के लिये गोली चलाई थी।इस मामले में भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर दोनों आरोपी पुलिस कर्मियों को जेल भेज दिया था। आज एक बार फिर अपने गृह जनपद की पुलिस के कुख्यातपन से सीएम मृतक व्यापारी मनीष गुप्ता के परिवार, सभ्य समाज व समूचे विपक्ष के सामने कठघरे में खड़े हैं।
आरोपियों को बचाने के प्रयास हैं जारी
इस प्रकरण से रिलेटिड एक वायरल वीडियो कल से सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा चर्चा व सरकार की आलोचना का मुख्य केंद्र बना हुआ है।इस वीडियो में गोरखपुर में डीएम व एसएसपी मृतक व्यापारी की पत्नी को धमकाते व समझाते हुए दिखाई पड़ रहे हैं ।
एसएससपी गोरखपुर इस वीडियो में पीड़िता को धमका रहे हैं कि पहले तो यह जांच होगी कि आपके पति गोरखपुर करने क्या आये थे?एफआईआर दर्ज करवाने से क्या लाभ मिलेगा? बिना मतलब मामले को क्यो तुल दे रही हो?यह वीडियो ही सीएम योगी की आंख खोलने के लिये काफी है।
उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि आपराधिक मानसिकता के पुलिस कर्मियों को बड़े अधिकारी किस हद तक अपना प्रश्रय दिए हुए हैं।मतलब इस प्रकरण पर समूचा विपक्ष व समस्त उत्तर प्रदेश के वासी आज मृतक व्यापारी की पत्नी व परिवार के साथ खड़े हैं ।
तब ऐसे समय में सीएम के गृह जनपद के डीएम, एसएसपी पति की मौत पर उसकी पत्नी से कोई संवेदनाएँ व्यक्त करने के बजाय उसे धमकाएं,तो इसी से सीएम को समझ लेना चहिए ऐसे अधिकारियों का एक खास रैकेट ही एक कथित साजिश के तहत योगी सरकार को बदनाम करने में लगे हैं।
इस वीडियो से यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि व्यापारी की हत्या के आरोपी व मास्टरमाइंड इंस्पेक्टर जे एन सिंह व अन्य पुलिसकर्मी गोरखपुर एसएसपी के सबसे ज़्यादा खास हैं । तभी तो वह इस कुख्यात प्रकरण पर आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाही की बात न करते हुए बल्कि वह उसे मैनेज करने में जुट गया।
सरकार के खिलाफ किसी साजिश की तरफ करतीं हैं इशारा
सूबे के पुलिस महकमें में तैनात दरोगा, इंस्पेक्टर व अन्य पुलिसकर्मी अंगूठा टेक नही होते।सब हायर शिक्षा से एजुकेटिड होते हैं।उसके बाद भी सूबे में जिस तरह से सबसे चर्चित आम लोगों की कथित हत्याएं पुलिस कर्मियों ने की हैं।
उन्हें समझ कर यह नही कहा जा सकता कि इन घटनाओं को अंजाम किसी शिक्षित शख्स ने दिया हैं। लेकिन जब पुलिस कनपटी में सिर में गोली व सिर में डंडे बरसा कर आम आदमी को मौत दे रही है। तो फिर इन पुलिस कर्मियों को क्या बोले पढ़े लिखे बेवकूफ?
जी नहीं, ये पढ़े लिखे बेवकूफ नहीं बल्कि ये पढ़े लिखे वो शातिर हैं जो कब सरकार को बदनाम करने के लिए कथित सुपारी लें लें। यह समझना तो काफी गम्भीर चिंतन का विषय है। नोएडा के जिम ट्रेनर, लखनऊ में एप्पल कम्पनी के विवेक तिवारी की व अब रियल स्टेट व्यापारी मनीष गुप्ता की मौत ने यह साफ संकेत दिया है कि लगातार हो रही ऐसी घटनाओं के बावजूद सरकार या सूबे के डीजीपी कोई सबक नही ले रहे हैं।
तभी लगातार सरकार को कठघरे में खड़ा करने वाली घटनाओं की परिणीति हो रही है,इसके एवज में फिर होता है निलंबन, जेल व पीड़ित को आर्थिक सहायता देकर मामले को मैनेज किया जाना। लेकिन अब सवाल यह है कि सरकार ऐसे कुख्यात व सम्वेदनहीन कुकृत्यों पर कोई ठोस कदम क्यो नही उठा पा रही है कि जिससे पुलिस निर्दोष लोगों की कथित हत्या करने से बीस बार सोचे।
गोरखपुर कांड से सीएम हैं डीजीपी से सख्त नाराज
गोरखपुर कांड से सीएम योगी अपने डीजीपी से सख्त नाराज हैं।यह जानकारी पुलिस विभाग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों से मिली है।तभी सीएम ने गोरखपुर की घटना के बाद यह आदेश दिए हैं कि हाल के दिनों में कतिपय पुलिस अधिकारियों , कार्मिकों के अवैध गतिविधियों में संलिप्त होने की शिकायतें मिली हैं। यह कतई स्वीकार्य नहीं है।
अब पुलिस विभाग में ऐसे लोगों के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।सीएम ने प्रमाण के साथ ऐसे लोगों को चिन्हित कर सूची उपलब्ध कराने के सख्त आदेश दिए हैं।उन्होंने निर्देश दिए हैं कि ऐसे सभी के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही हो।सीएम ने यह भी निर्देश दिए हैं कि अति गंभीर अपराधों में लिप्तअधिकारियों व कार्मिकों को बर्खास्त किया जाए तथा दागियों को महत्वपूर्ण पदों पर कतई तैनाती न दी जाये।