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Hoardings: अगर घर या इमारतों पर लगी है होर्डिंग तो उतार दें अभी, वरना देना होगा शुल्क
Hoardings Lagane Par Jurmana: नगर निगम ने छतों पर विज्ञापन लगवाने के लिए बकायदा लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था बनाई है।
Hoarding Lagane Par Jurmana: राजधानी लखनऊ (Lucknow) में भवन मालिकों (House Owner) को अपनी छत पर होर्डिंग लगवाने से पहले अब नगर निगम (Nagar Nigam) की अनुमति लेनी होगी। अगर भवन स्वामी नगर निगम के लाइसेंस (Licence for Hoarding) के बिना किसी भी प्रकार का विज्ञापन अपने छतों पर लगवाते हैं तो इसका शुल्क उनके गृहकर में जोड़ कर वसूला जाएगा। अभी तक ये व्यवस्था नहीं लागू थी तो नगर निगम इसकी वसूली विज्ञापन एजेंसियों (Advertising Agencies) से करता था। लेकिन नया नियम प्रभावी होने से अब घरों के छतों पर लगाई जाने वाली होर्डिंग का पैसा उनके मकान मालिक से वसूला जाएगा।
नगर निगम ने छतों पर विज्ञापन लगवाने के लिए बकायदा लाइसेंस (Hoarding Licence) जारी करने की व्यवस्था बनाई है। राजधानी में अब नई प्रचार उपविधि प्रभावी हो गई है, इसके तहत नगर निगम प्रशासन की ओर से उपविधि बनाकर अब 'विज्ञापन कर' की जगह विज्ञापन अनुज्ञा शुल्क वसूला जाएगा। इसकी मंजूरी शासन से पहले ही मिल चुकी है, इसके दायरे में होर्डिंग लगे सभी भवन, बिल्डिंग आएंगे।
3000 मकान मालिक दायरे में आएंगे
इस नियम के तहत अभी राजधानी लखनऊ में एक तिहाई शहर का सर्वे हुआ है, जिसकी जद में 1000 से अधिक भवन को चिन्हित किया गया है। जिन पर होर्डिंग लगी है नगर निगम के एक अनुमान के मुताबिक राजधानी में करीब 3000 ऐसे मकान हैं जहां होर्डिंग लगी होती है, सबसे ज्यादा फैजाबाद रोड, अशोक मार्ग, गोमती नगर, शहीद पथ के किनारे बसी कॉलोनियां, कानपुर रोड, रायबरेली रोड, सीतापुर, कुर्सी रोड के किनारे आवासीय इमारतों पर होर्डिंग लगाई जाती हैं।
पहले विज्ञापन एजेंसी से होती थी वसूली
अभी तक नगर निगम उस विज्ञापन एजेंसी से ही टैक्स वसूल करता था जो होर्डिंग पर विज्ञापन करते थे, भवन स्वामी को विज्ञापन कर से मतलब नहीं रहता था लेकिन नई नियमावली के तहत अब मकान मालिक को ही लाइसेंस लेना होगा इसके बिना अगर वह विज्ञापन लगाता है तो उसके गृह कर में इसे जोड़ दिया जाएगा।
होर्डिंग का आकार व लाइसेंस फीस
200 से 300 वर्ग फीट तक 20,400 रुपये
301 से लेकर 600 वर्ग फीट तक 40,800 रुपये
601 से लेकर 12 वर्ग फीट तक 81,600 रुपये
1200 वर्ग फीट से अधिक 1800 वर्ग फीट तक 1,02000 रुपये
बता दें कि नगर निगम के पास प्रचार शुल्क को लेकर कोई अधिकृत नियमावली नहीं थी। इससे विज्ञापन शुल्क वसूली को लेकर कानूनी विवाद भी हो रहे थे। इस नई उपविधि के लागू होने के बाद अब विवाद की समस्या नहीं रहेगी। क्षेत्र के हिसाब से विज्ञापन की दरें और लाइसेंस फीस तय कर दी गई है। जो सीधे मकान मालिक से वसूला जाएगा।