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Jaipuria Institute of Management: बाधित शिक्षार्थियों को मुख्य धारा की शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य

Jaipuria Institute of Management: जयपुरिया इंस्टिट्यूट ने आवश्यक संसाधनों की मांग करने के लिए एक अभियान शुरू किया।

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Newstrack NetworkPublished By Shweta
Published on: 2 Oct 2021 3:42 PM GMT
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कॉन्सेप्ट फोटो (फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)

Jaipuria Institute of Management: वैश्विक कोरोना महामारी (Covid19) ने दुनिया भर में छात्रों के सीखने में व्यवधान पैदा किया है। भारत में, इसने मार्च 2020 से पूर्व-प्राथमिक से उच्च माध्यमिक तक 286 मिलियन से अधिक छात्रों को पूर्व प्रणाली से बाहर कर दिया है। पिछले लंबे समय तक स्कूल बंद रहने के साक्ष्य से पता चलता है कि इस तरह के व्यवधान बच्चों की आने वाली पीढ़ियों के लिए विभिन्न संकट उत्पन्न कर रहे हैं। इसी के मद्देनजर, बाधित शिक्षार्थी को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए एक आउटरीच के रूप में, जयपुरिया इंस्टिट्यूट ने आवश्यक संसाधनों की मांग करने के लिए एक अभियान शुरू किया।

इसमें डिजिटल उपकरणों के दान के लिए अपील भी शामिल है। यह योजना 20,000 से अधिक घंटे के स्वयंसेवक समय को प्रचारित करने और शिक्षा के अभाव से जूझ रहे बच्चों को ट्यूशन देने, डिजिटल उपकरणों को वितरित करने और बाधित शिक्षार्थियों को शिक्षा की मुख्य धारा में वापस लाने के लिए आयोजित करने की है। इस विषय पर एक बड़ी तस्वीर सामने रखने के लिए जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ने एक अतिथि वार्ता आयोजित की, जिसमें कई गणमान्य शामिल हुए। इस अवसर की एक शानदार शुरुआत हुई, जिसमें जयपुरिया इंस्टिट्यूट की निदेशक डॉ कविता पाठक ने दर्शकों को संबोधित किया और शिक्षा से वंचित बच्चों के जीवन में होने वाले व्यवधानों पर अपनी चिंता ज़ाहिर की। उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा में वापस लाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं पर चर्चा की।

कार्यक्रम में बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि वंचित बच्चों के पास उनकी मदद करने और इन संकटपूर्ण समय में लड़ने के लिए एक विंगमैन है। उन्होंने यह भी कहा कि कैसे परोपकारी और सहानुभूतिपूर्ण स्वभाव पेशेवर और व्यक्तिगत विकास में सफलता की कुंजी है। वहीं, प्रोमिनी चोपड़ा ने इन बच्चों के भविष्य की चिंता की और और कहा कि इस तरह के अभियान शिक्षा में आये व्यवधानों को दूर करने में सहायक होंगे। इस मौके पर यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूपीएमआरसी) के महाप्रबंधक संचालन स्वदेश सिंह ने कहा कि यह अभियान गेम चेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि कोई भी चीज शिक्षा के महत्व को कम नहीं कर सकती है और इस तरह के नेक काम का हिस्सा बनने पर आभार व्यक्त किया।

एक निजी मीडिया ग्रुप के मुख्य राजस्व अधिकारी रजत कुमार ने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि दुनिया कैसे बदल गई है और शिक्षा प्रणाली भी बदल गई है। अब जरूरत इस बात की है कि डिजिटल व्यवधान के परिणामस्वरूप पैदा हुई खाई को पाट दिया जाए जहां छात्रों को वास्तविक कक्षा की शिक्षा से अलग कर दिया गया है। वोडाफोन आइडिया भी लगभग 1000 बच्चों को 6 महीने के मुफ्त इंटरनेट डेटा के साथ मुफ्त सिम कार्ड प्रदान करके इस उद्देश्य का समर्थन करने के लिए सामने आया।

इस अभियान के तहत प्रसार के लिए संस्थान ने तीन मॉडल प्रस्तावित किए हैं। पहले मॉडल में, छात्र स्थानीय समुदाय से डिजिटल उपकरणों के दान के लिए अपील करेंगे। छात्र विभिन्न गांव और सरकारी स्कूलों में बाधित शिक्षार्थियों के लिए शिक्षक की भूमिका निभाएंगे। योजना की शुरुआत में कम से कम 1000 बाधित शिक्षार्थियों का समर्थन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस अभियान को आर्थिक अभावों के कारण टेक्नोलॉजी की उपलब्धता की कमी से शिक्षा में उत्पन्न विघ्नों से जूझ रहे बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल के रूप में देखा जा सकता है। वर्तमान के बच्चे भविष्य को आकार देंगे, इसलिए बेहतर भविष्य के लिए इन बच्चों के लिए शैक्षिक अंतर को पाटना समय की आवश्यकता है।

Shweta

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