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Kalyan Singh Profile : BJP के दिग्गज नेता कल्याण सिंह के बारे में जानें
बीजेपी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह एक प्रमुख हिंदू नेता के रूप में उभरे थे...
Kalyan Singh profile : अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह एक प्रमुख हिंदू नेता के रूप में उभरे थे। जून 1991 में, बीजेपी को विधानसभा चुनावों में जीत मिली और कल्याण सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। फिर बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद, कल्याण सिंह ने 6 दिसंबर 1992 को राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
कल्याण सिंह की जीवनी
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को अलीगढ में हुआ। उन्होंने अपने कॉलेज की पढ़ाई अलीगढ़ के धर्म समाज महाविद्यालय से पूरी की। उन्होंने बीए और एलएलबी किया है। उनकी पत्नी का नाम रामवती देवी हैं उनका एक बेटा राजवीर सिंह (राजनेता) और एक बेटी प्रभा देवी है। उनका बेटा राजवीर सिंह भी एक राजनेता हैं और वर्ष 2014 के आम चुनावों में वह संसद सदस्य के रूप में चुने गए। उनके पासंददीदा नेता अटल बिहारी वाजपेई थे।
कल्याण सिंह इन कारणों से सुर्खियों में रहें
कल्याण सिंह अपनी राजनीतिक जीवन में हमेशा सुर्खियों में रहें। बाबरी मस्जिद मामले की अदालत में लंबे समय तक सुनवाई चली। इस बीच वह राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। 2019 में वह लखनऊ लौटे और फिर से बीजेपी में शामिल हो गये। उस समय उन्होंने सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष मुकदमे का सामना किया। अदालत ने सितंबर 2020 में उनके समेत 31 आरोपियों को बरी कर दिया। 1991 में यूपी में बीजेपी के पहले सीएम कल्याण सिंह उस समय की राजनीति में दो वजहों से याद किए जाते हैं। पहला नकल अध्यादेश और दूसरा बाबरी मस्जिद विध्वंस।
कल्याण सिंह का राजनीति करियर
- कल्याण सिंह ने पहली बार अतरौली विधानसभा से 1967 में चुनाव जीता। वह 1980 तक विधायक रहे।
- 1980 के विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह को कांग्रेस के अनवर खां ने पहली बार पराजित किया।
- वह सितंबर 1997 से 1998 तक दुबारा से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
- बीजेपी के टिकट पर कल्याण सिंह ने 1985 के विधानसभा चुनाव में फिर कामयाबी हासिल की।
- कल्याण सिंह को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान 21 महीने के लिए जेल में डाल दिया गया।
- 2004 के विधानसभा चुनाव तक कल्याण सिंह अतरौली से विधायक रहे।
- 14 नवंबर 2009 को मुलायम सिंह यादव ने फिरोजाबाद लोकसभा चुनाव में सपा के खराब प्रदर्शन को कल्याण सिंह के कारण मुस्लिम समर्थन के नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया।
- वह 2014 में फिर से भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया, और 2019 में सक्रिय राजनीति में फिर से प्रवेश किया।
- सितंबर 2019 में उन्हें बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने की आपराधिक साजिश के लिए मुकदमा चलाया गया। उन्हें 2020 में केंद्रीय जांच ब्यूरो की एक विशेष अदालत ने बरी कर दिया था।
कल्याण सिंह इन विवादों में रहें
- बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले, उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर बनाने की शपथ ग्रहण की।
- बाबरी मस्जिद विध्वंस में संलिप्त होने पर उन्हें कोई खेद नहीं है। उनके अनुसार, बाबरी मस्जिद विध्वंस आवश्यक था।
- फरवरी 1998 में, उनकी सरकार ने बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल लोगों के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए थे।
- वर्ष 1999 और वर्ष 2009 में बीजेपी छोड़ने के लिए वह विवादों में रहे।
बीजेपी के ओबीसी चेहरा कल्याण सिंह
कल्याण सिंह ने जब अपनी सियासी पारी का आगाज किया था, तब उत्तर प्रदेश से लेकर पूरे देश में कांग्रेस पार्टी का वर्चसव था। बीजेपी के दिग्गज नेता रहे गोविंदाचार्य ने मंडल के खिलाफ सोशल इंजीनियरिंग का मंत्र दिया। मंडल आयोग की सिफारिश के जरिए ओबीसी जातियों को वर्गों में बांटा जाने लगा और पिछड़ा वर्ग की ताकत सियासत में पहचान बनाने लगी। इस समय मुलायम सिंह से लेकर लालू यादव, शरद यादव, नीतीश कुमार जैसे राजनेता खड़े हो रहे थे। उसी दौरान बीजेपी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रहे गोविंदाचार्य ने बीजेपी के लिए ओबीसी नेताओं को आगे लाने का काम किया, जिसमें यूपी में पार्टी का संकटमोचक चेहरा बनकर उभरे।
कल्याण सिंह का निधन
कल्याण सिंह का 89 साल की आयु में 21 अगस्त 2021 को SGPGI में निधन हो गया। बताया जा रहा है की वह सेप्सिस और बहु-अंग विफलताओं से पीड़ित थे। 3 जुलाई 2021 को उन्हें मतली और सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, जिसके बाद उन्हें डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान डॉक्टरों को गुर्दे की समस्या का संदेह था। 20 जुलाई तक उनकी हालत गंभीर बनी रही। उस दौरान cm योगी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल समेत कई राजनेताओं ने उनसे मुलाकात की। बाद में, उनका रक्तचाप बढ़ गया और उन्हें बेहतर उपचार के लिए संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में स्थानांतरित कर दिया गया।