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Kalyan Singh Passes Away: राम मंदिर निर्माण के सबसे बड़े नायक, जीवन की यह आखिरी इच्छा रह गई अधूरी

राम मंदिर के लिए संघर्ष करने वालों में कल्याण सिंह का नाम सबसे प्रमुख नेता के रूप में लिया जाता है...

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Praveen Singh
Published on: 21 Aug 2021 10:22 PM IST
Kalyan Singh Passes Away
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Kalyan Singh Passes Away

Kalyan Singh Passes Away : लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह (BJP Leader Kalyan Singh) का शनिवार देर रात लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में निधन हो गया। गंभीर रूप से बीमार होने के बाद उन्हें पीजीआई में भर्ती कराया गया था जहां पिछले कई दिनों से उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी कर रही थी मगर शनिवार देर रात इस 89 वर्षीय नेता ने आखिरी सांस ली। अयोध्या में इन दिनों भव्य राम मंदिर के निर्माण की कल्पना साकार हो रही है मगर इस राम मंदिर के लिए संघर्ष करने वालों में कल्याण सिंह का नाम सबसे प्रमुख नेता के रूप में लिया जाता है।

वैसे तो अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के लिए संघर्ष करने वालों की गिनती करना मुश्किल है मगर यदि सबसे बड़े नायक की बात की जाए तो हर किसी के जेहन में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Former CM Kalyan Singh) का नाम ही उभरता है। 1992 में विवादित ढांचा तोड़े जाने के समय वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और इस घटना के बाद उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था। बाद में कल्याण सिंह ने साफ तौर पर कहा था कि मुझे अपनी सरकार बर्खास्त किए जाने का कोई गम नहीं है क्योंकि मैं राम भक्तों के खून से अपने हाथ नहीं रंग सकता था।

पिछले साल अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए हुए भूमि पूजन समारोह में कल्याण सिंह हिस्सा नहीं ले सके थे। उस समय उन्होंने कहा था कि अब मेरी एक ही इच्छा बाकी रह गई है कि मैं अयोध्या में भव्य राम मंदिर को अपनी आंखों से देख सकूं और उसमें जाकर प्रभु रामलला के दर्शन कर सकूं। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण तो शुरू हो गया है मगर निर्माण पूरा होने के बाद प्रभु रामलला के दर्शन की कल्याण सिंह की इच्छा अधूरी ही रह गई।

भूमि पूजन कार्यक्रम में नहीं ले सके थे हिस्सा

पिछले साल अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन का कार्यक्रम तय होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी उसमें हिस्सा लेने के इच्छुक थे मगर कोरोना महामारी ने उनके कदम रोक दिए। दरअसल भूमि पूजन से पहले कल्याण सिंह ने एक टीवी चैनल के पत्रकार को इंटरव्यू दिया था और बाद में वह पत्रकार कोरोना पॉजिटिव पाया गया।

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह

इसके बाद कल्याण सिंह होम क्वारंटाइन हो गए। पहले उन्होंने अयोध्या जाने का कार्यक्रम बनाया था और इस बाबत वहां के डीएम और सांसद से भी बात की थी मगर बाद में उन्होंने अयोध्या जाने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया। उन्होंने लखनऊ स्थित आवास पर ही टीवी चैनलों पर भूमि पूजन के ऐतिहासिक कार्यक्रम को देखा था। उनका कहना था कि मैं इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए बेकरार था मगर हालात ने मेरे कदम रोक दिए।

अधूरी रह गई कल्याण की यह इच्छा

अयोध्या में भूमि पूजन का कार्यक्रम संपन्न होने के बाद कल्याण सिंह काफी खुश थे। उनका कहना था कि अब मेरी बस एक ही इच्छा है कि प्रभु राम के जन्म स्थान पर भव्य राम मंदिर का दर्शन कर सकूं। राम मंदिर निर्माण के लिए असंख्य राम भक्तों ने संघर्ष किया है और अयोध्या का राम मंदिर इन राम भक्तों के संघर्ष का प्रतीक होगा। उनका कहना था कि मैं राम के जन्म स्थान की भव्यता का दर्शन करने के बाद ही चैन से मरना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन ने कथित धर्मनिरपेक्षता की आड़ में तुष्टीकरण की सियासत करने वालों को सबक सिखा दिया है। ऐसे लोग आज हाशिए पर पहुंच चुके हैं। ऐसे लोगों को राष्ट्रवाद की ताकत समझ में आ चुकी है।

रामराज की अवधारणा पर राष्ट्र निर्माण

कल्याण सिंह की राय थी कि राम मंदिर निर्माण शुरू होने के साथ ही राष्ट्र की अस्मिता से खिलवाड़ करने वालों को मुंहतोड़ जवाब मिल चुका है। अब रामराज की अवधारणा पर राष्ट्र निर्माण का कार्य किया जाना बाकी है। ‌अयोध्या में पिछले साल 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के साथ ही रामराज की अवधारणा पर राष्ट्र निर्माण का कार्य भी शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि बस मेरी एक ही व्यक्तिगत इच्छा बाकी रह गई है कि मेरे जीवनकाल में ही भगवान राम का भव्य मंदिर जल्द से जल्द बनकर तैयार हो जाए।

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह

प्रभु श्रीराम की कृपा से मिला सौभाग्य

पूर्व मुख्यमंत्री का कहना था कि यदि 1992 में 6 दिसंबर को कारसेवकों ने विवादित ढांचे को न तोड़ा होता तो शायद इस विवाद का समाधान खोजने की कोशिशें भी तेज न हो पातीं। विवादित ढांचे को तोड़े जाने से ही मंदिर निर्माण का रास्ता निकला है। उनका कहना था कि यह मेरा सौभाग्य है कि जब भी श्रीराम जन्मभूमि और अयोध्या आंदोलन का जिक्र आएगा तो अयोध्या आंदोलन के नायकों के साथ मेरा भी नाम जरूर लिया जाएगा। मेरे जीवन का यह सबसे बड़ा सपना रहा है और अब सपना साकार होते देख मिलने वाली खुशी को बयां करना मुश्किल है। वे कहा करते थे कि प्रभु श्रीराम की कृपा से ही मुझे यह सौभाग्य हासिल हुआ है।

मस्जिद नहीं, सिर्फ जर्जर ढांचा था

कल्याण सिंह का कहना था कि मुझे आज भी बात पर गर्व महसूस होता है कि 28 साल पहले मैंने कितना उचित फैसला लिया था। कारसेवकों ने जिस मस्जिद को ढहा दिया, उसमें 1936 से कोई नमाज पढ़ी ही नहीं गई थी। जब वहां इतने दिनों से कोई नमाज नहीं पढ़ी गई तो फिर मस्जिद के अस्तित्व की बात ही गलत है। उन्होंने कहा कि इस बात को समझना जरूरी है कि वह मस्जिद नहीं बल्कि एक जर्जर ढांचा मात्र था।

राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोग भी कल्याण सिंह को मंदिर आंदोलन का सबसे बड़ा नायक मानते थे। उनका मानना था कि कल्याण सिंह पूरे मंदिर आंदोलन के दौरान अग्रणी भूमिका निभाते हुए कार सेवकों का हौसला बढ़ाएं रखा जिसकी वजह से राम मंदिर आंदोलन में जीत हासिल हुई।



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