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Lucknow News: किन्नर बोर्ड के गठन से कई समस्याओं से मिल सकेगा छुटकारा

Lucknow News: यूपी में पहली बार किन्नर बोर्ड (Kinnar Board) के गठन को मंजूरी मिलने जा रही है।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Shweta
Published on: 16 Sep 2021 9:15 AM GMT
कॉन्सेप्ट फोटो
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कॉन्सेप्ट फोटो (फोटोः सोशल मीडिया)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में पहली बार किन्नर बोर्ड (Kinnar Board) के गठन को मंजूरी मिलने के बाद समाज के इस वर्ग को शिक्षा रोजगार और आवास आदि जीवनपयोगी चीजों के मुहैया होने में बड़ी मदद मिलने जा रही है। प्रदेश की योगी सरकार (Yogi government) ने पिछले साल ही इस बात का फैसला ले लिया था। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेश के बाद किन्नरों के लिए विशेष बोर्ड (special board) का गठन गुजरात , महाराष्ट्र, तमिलनाडु ,बिहार तथा झारखड पहले ही कर चुके है। अब उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) भी इसी कतार में शामिल हो गया है।

बता दें कि एक अनुमान के अनुसार उत्तर प्रदेश में ट्रांसजेंडरों (transgenders) यानी किन्नरों की संख्या लगभग डेढ लाख के आसपास है। इसलिए इन्हे समाज से जोड़ने की मांग काफी दिनों से की जा रही थी। किन्नरों की यह पुरानी मांग थी कि समाज के अन्य वर्गो की तरह ही उन्हे भी शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य समेत सभी सुविधाए मिलनी चाहिए। किन्नर समाज से जुड़ी संस्थाएं यह भी मांग करती आ रही हैं कि उन्हे सबसे ज्यादा पुलिस उत्पीड़न का सामना आए दिन करना पडता है। पर किन्नर कल्याण बोर्ड के गठन से उन्हे इससे मुक्ति मिल सकेगी।

उत्तर प्रदेश में हर साल बढ रहे हैं साढे तीन हजार किन्नर

एक सामाजिक संस्था के सर्वे के अनुसार उत्तर प्रदेश में हर साल किन्नरों की संख्या मे इजाफा हो रहा है। संस्था के अनुसार हर साल साढे तीन हजार किन्नरों की संख्या बढ जाती है। 2011 में किन्नरों की संख्या 137465 आंकी गयी थी। इसमें सबसे अधिक संख्या आगरा मंडल में 14915 बताई गयी थी। सर्वे के अनुसार इसमें सबसे ज्यादा हिन्दू धर्म से जुडे किन्नर पाए गए।

राजनीति में गहरी दिलचस्पी है इस समाज की

तीन चार महीने पहले हुए पंचायत चुनाव में जौनपुर आशा किन्नर ने भी अपनी किस्मत आजमाने का काम किया। इसके पहले भी वह पिछले साल चुनाव में उतरी थी। जबकि हाल ही में सेानम किन्नर ने भाजपा की सदस्यता ली है। इसके पहले भी गोरखपुर में एक किन्नर को जनता ने मेयर के रूप में चुना था। जबकि विधानसभा और लोकसभा के कई चुनावों में किन्नरों ने भागीदारी की है।

देश के पहले किन्नर विश्वविद्यालय की स्थापना की नींव

दो साल पहले कुशीनगर जिले के कसया तहसील में रखी जा चुकी है। इसके निर्माण पर 200 करेाड के खर्च की बात कही जा रही है। इसमें प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की व्यवस्था की जा रही है। इसकी स्थापना से जुडे लोगों का कहना है कि शिक्षा का अधिकार सभी को है। उसी के तहत इस केन्द्र की स्थापना करने का उदेश्य है।

इस समस्या का भी हो सकेगा निदान

किन्नर समाज की एक बड़ी समस्या उनकी मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की भी होती है। इस समाज का कहना है कि हमारे समाज में किसी के निधन के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिए भी अलग से व्यवस्था होनी चाहिए। उनका कहना है कि भले ही मरने वाला हिन्दू समाज का हो पर उसे दफनाया ही जाता है वह भी रात के अंधेरे में इसलिए हमे भी दाह संस्कार की सुविधा मिलनी चाहिए।

Shweta

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