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KGMU के डॉक्टर जेडी रावत का कमाल, पैरासिटिक ट्विन बच्चे का आपरेशन कर दी सामान्य जिंदगी, बच्चा एकदम दुरस्त

Lucknow : किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) में जिस परजीवी जुड़वा बच्चे का ऑपरेशन हुआ है, उसके माता-पिता सीतापुर के कमलापुर क्षेत्र के चिरासी गांव के रहने वाले हैं।

Shashwat Mishra
Report Shashwat MishraPublished By Vidushi Mishra
Published on: 9 Nov 2021 7:41 PM IST
JD Rawat parasitic twin
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पैरासिटिक ट्विन बच्चे का आपरेशन

Lucknow : राजधानी लखनऊ में मंगलवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) में बाल शल्य चिकित्सा विभाग के हेड व प्रोफेसर जेडी रावत ने बताया कि विभाग द्वारा 3 नवंबर को एक पैरासिटिक ट्विन (परजीवी जुड़वा) बच्चे का ऑपरेशन किया गया था। जिसे मंगलवार को केजीएमयू से स्वस्थ हालात में डिस्चार्ज किया गया। बता दें कि, पैरासिटिक ट्विन का पैर, हाथ व कमर बना था, लेकिन सिर नहीं था। डॉ. जेडी रावत और उनकी टीम ने दो घण्टे तक ऑपरेशन कर बगैर बच्चे की जान को कोई हानि पहुंचाए, सफलता पूर्वक ऑपरेशन किया।

सीतापुर के सुशील-प्रीति यादव का था बच्चा

जिस परजीवी जुड़वा बच्चे का ऑपरेशन हुआ है, उसके माता-पिता सीतापुर के कमलापुर क्षेत्र के चिरासी गांव के रहने वाले हैं। पिता का नाम सुशील और माता का नाम प्रीति यादव है। 25 अगस्त, 2021 को दंपति ने इस परजीवी जुड़वा बच्चे को जन्म दिया था। जिसे देखकर सभी अचंभित थे। जिसके बाद, सुशील-प्रीति अपने बच्चे को लेकर स्थानीय डॉक्टरों के पास पहुंचे। जहां से उन्हें केजीएमयू रेफर कर दिया गया।


एमआरआई से परजीवी जुड़वा बच्चे का चला पता

केजीएमयू के बाल शल्य चिकित्सा विभाग के हेड व प्रोफेसर जेडी रावत ने बताया कि "जब यह बच्चा हमारे पास आया, तब मैं भी इसे देखकर आश्चर्य में पड़ गया। क्योंकि, ऐसे मामले बहुत कम देखे जाते हैं।

हालांकि, मैंने इससे पहले भी इस तरह के तीन ऑपरेशन किये हुए थे। इसलिए, मैंने सबसे पहले बच्चे की एमआरआई करवाई।" उन्होंने बताया कि "एमआरआई से यह पता चला कि बच्चे की पीठ एक परजीवी जुड़वा बच्चे से जुड़ी हुई है। जिसके हाथ, पैर व कमर तो है, लेकिन सिर नहीं है।"


3 नवम्बर को की गई थी सर्जरी

डॉ. जेडी रावत ने बताया कि "मैंने व मेरी टीम के सदस्यों ने मिलकर 3 नवम्बर को इस बच्चे की सर्जरी की। क़रीब 2 घण्टे तक ऑपरेशन करने के बाद हमने पैरासिटिक ट्विन को अलग कर लिया। यह पैरासिटिक ट्विन निचली रीढ़ और नसों के साथ जुड़ा हुआ था।" उन्होंने बताया कि मंगलवार को बच्चे को सही-सलामत व स्वस्थ हालत में डिस्चार्ज कर दिया गया।

पांच लाख बच्चों में से एक होता है पैरासिटिक ट्विन

प्रोफेसर जेडी रावत ने बताया कि "ऐसे केस बहुत कम देखने को मिलते हैं। बात करें अगर केजीएमयू में पैरासिटिक ट्विन बच्चों के ऑपरेशन की, तो अभी तक मात्र 5-7 सर्जरी हुई हैं। जिसमें मेरे द्वारा की गई यह तीसरी सर्जरी है।" डॉ. जेडी रावत ने कहा कि लगभग पांच लाख बच्चों में से एक पैरासिटिक ट्विन होता है।



Vidushi Mishra

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