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Lucknow News: प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी करेंगे काम बंदी, PHC, CHC, जनता को बताएंगे पीड़ा

Lucknow News: प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी शिक्षक 9 दिसंबर से करेंगे काम बंदी

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Newstrack NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 20 Oct 2021 12:15 PM GMT
karmchari shikshak sanyukt morcha
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बैठक कर आगे की रणनीति बनाते कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारी (फोटो-न्यूजट्रैक)

Lucknow News: "कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा (karmchari shikshak sanyukt morcha) के आवाहन पर प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी शिक्षक 9 दिसंबर से काम बंदी करेंगे। इसके पूर्व 26 नवंबर तक ब्लॉक, तहसील, पीएचसी (PHC) और सीएचसी (CHC) में जन जागरण (janajagaran) करके अपनी पीड़ा जनता तक पहुंचाएंगे। तो, 27 नवंबर की शाम को जनपद मुख्यालय पर मशाल जुलूस निकालकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजेंगे।'' ये बातें कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा (karmchari shikshak sanyukt morcha) के अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने बताई।

प्रदेश सरकार न मांग पूरी कर रही है, न बात कर रही

कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा (karmchari shikshak sanyukt morcha) के अध्यक्ष वी.पी. मिश्रा एवं महासचिव शशि कुमार मिश्र ने बताया कि "मोर्चा के नेताओं द्वारा मांगों पर निर्णय करने हेतु निरंतर पत्र ज्ञापन भेजा गया। इसके बाद 20 सितंबर से 30 सितंबर तक सभी मंत्री, विधानसभा सदस्य और विधान परिषद सदस्य के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर आग्रह किया गया कि मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक करके उन मांगों पर तत्काल निर्णय कराएं, जो लंबे अरसे से लंबित हैं।" उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा मांग पूरी करना तो दूर वार्ता तक नहीं की गई।

बसपा सरकार में मानी गई थी मांगें

वीपी मिश्रा ने बताया कि "विगत सभी मुख्यमंत्रियों एवं मुख्य सचिव ने मोर्चा के साथ बराबर बैठके की और सार्थक निर्णय किए गए। परंतु खेद है कि वर्तमान मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव की ओर से कर्मचारियों एवं शिक्षकों के प्रति उदासीनता रही है। भेजे गए ज्ञापन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।" उन्होंने कहा कि "एक बार बसपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उपेक्षा की, तो 2 दिन प्रदेश की सेवाएं ठप रही और दमन भी किया गया। लेकिन, मुख्यमंत्री ने संज्ञान में लेकर सभी मांगें स्वीकार की और आदेश जारी हो गए।"

शासन और कर्मचारियों के बीच टकराव रोक पाना संभव नहीं

मोर्चा के महासचिव शशि कुमार मिश्र ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि "प्रदेश सरकार की उपेक्षा के कारण प्रदेश के 22 लाख कर्मचारी शिक्षक आक्रोशित हैं। जिसका खामियाजा भावी चुनाव में भुगतना पड़ेगा। मोर्चा का मत है कि सरकार महत्वपूर्ण मांगों पर बातचीत के माध्यम से सार्थक निर्णय कर दे, वरना शासन एवं कर्मचारियों के बीच टकराव रोक पाना संभव नहीं है।"

सातवें वेतन का नहीं मिल पा रहा है लाभ

शशि कुमार मिश्र ने कहा कि "जब सरकार आर्थिक संकट में थी, तो कर्मचारियों ने 1 दिन का वेतन दिया। अब भीषण महंगाई से कर्मचारी परिवार संकट में है, तो फ्रीज डीए का बकाया एरियर भी नहीं दे रही है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि कर्मचारियों के रोके गए धनराशि को ब्याज के साथ कर्मचारियों को वापस करें। सरकार वेतन समिति के निर्णय को 3 वर्ष से रोके हुए हैं। जिससे सातवें वेतन आयोग का लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय निकायों, राजकीय निगमों, विकास प्राधिकरण, स्वायत्तशासी संस्थाओं के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को समानता नहीं मिल रही है। सेवा नियमावली सिंचाई, वाणिज्य कर एवं अन्य विभागों की लंबित हैं।"

पुरानी पेंशन की हो बहाली

मोर्चा के महासचिव ने कहा कि पुरानी पेंशन की बहाली भी भारत सरकार एवं राज्य सरकार नहीं कर रही है। जिससे युवाओं में बहुत असंतोष है। मोर्चा के नेताओं ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि मांगों पर स्वयं बैठक करके आंदोलन से पूर्व निर्णय करवा दें। जिससे कि शासन एवं कर्मचारियों के बीच टकराव की स्थिति ना बने। वहीं, वीपी मिश्रा ने कहा कि कोविड-19 की बीमारी में अपनी जान पर खेलकर सेवाएं अर्पित करके बीमार लोगों की जान बचाई। अब सरकार की बारी है कि उन्हें न्याय दे वरना आंदोलन को रोक पाना संभव नहीं होगा।

बैठक में ये परिषद रहे मौजूद

बैठक में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्र, महामंत्री अतुल मिश्रा, राज्य निगम महासंघ के अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र, महामंत्री घनश्याम यादव, स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शशि कुमार मिश्र, विकास प्राधिकरण कर्मचारी संयुक्त संगठन के अध्यक्ष अवधेश सिंह, माध्यमिक शिक्षक संघ के महामंत्री नंदकुमार मिश्र, फेडरेशन ऑफ फार्मासिस्ट के सुनील कुमार यादव, फेडरेशन ऑफ फॉरेस्ट के संयोजक डा. पीके सिंह व महामंत्री आशीष पांडे, राजकीय शिक्षक संघ के केदारनाथ तिवारी, शिक्षणेत्तर कर्मचारी महासंघ के महामंत्री आशादीन तिवारी, राजकीय नर्सेंज संघ के महामंत्री अशोक कुमार, आप्टोमेट्रिष्ट एसो0 के अध्यक्ष सर्वेश पाटिल, एक्स-रे एसो. के महामंत्री आर. केपी सिंह, जवाहर भवन इन्द्रा भवन कर्मचारी वेलफेयर एसो. की अध्यक्षा मीना सिंह व महामंत्री यूपी सिंह, राजकीय शिक्षक संघ के अध्यक्ष अशोक कुमार गौतम, केजीएमयू कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार, कैसर रजा, गोमती त्रिवेदी, सिंचाई कार्मिक महासंघ के अध्यक्ष प्रेमानंद चतुर्वेदी आदि शामिल थे।

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