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Lucknow News: योगी सरकार नहीं मान रही मांगें, शासन और कर्मचारियों में बन रही टकराव की स्थिति, डिप्टी CM केशव मौर्य को सौंपा गया ज्ञापन

Lucknow News: महासचिव शशि कुमार मिश्र ने कहा कि 'सरकार पुरानी पेंशन एवं महंगाई भत्ते के एरियर एवं अन्य काटे गए भत्तों की बहाली भी नहीं करना चाहती है।

Shashwat Mishra
Written By Shashwat MishraPublished By Shweta
Published on: 28 Sept 2021 5:49 PM IST
teacher employee giving memorandum
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 ज्ञापन देते हुए शिक्षक कर्मचारी 

Lucknow News: कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्रा एवं महासचिव शशि कुमार मिश्र ने कहा है कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों एवं शिक्षकों की मांगों पर गंभीर नहीं है। मंत्रियों एवं विधायकों द्वारा जो ज्ञापन मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजे जा रहे हैं, उसे जनसुनवाई पोर्टल पर डालकर सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव एवं विभागाध्यक्ष को भेजकर मांगों पर नियमानुसार कार्यवाही करने को कहा जा रहा है। उसकी सूचना अधोहस्ताक्षरी को दी जा रही है, जबकि उसे मुख्य सचिव को भेजकर उनसे बैठक करके इन मांगों को निस्तारण करने को कहना चाहिये।' ऐसा लगता है कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों की मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं करना चाहती।

कर्मचारियों की ये हैं मुख्य मांगें

• वेतन समिति की संस्तुतियों को लागू करना।

• वेतन विसंगतियों को दूर करना।

• कॉडर पुनर्गठन; जिसमें राज्य कर्मचारियों के भांति स्थानीय निकायों एवं विकास प्राधिकरण, शिक्षणेत्तर कर्मियों की सेवाओं का पुनर्गठन करके समान वेतन भत्ते एवं अन्य सुविधाएं देना।

• निजीकरण को रोककर रोडवेज सहित सभी घाटे के विभागों को सुदृढ़ करके कर्मचारियों को समस्त देयों का भुगतान करना।

• फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन एवं ऑप्टोमेट्रिस्ट के वेतनमान को अन्य पैरामेडिकल संवर्ग के बराबर 4200 ग्रेड पे करना।

• नर्सेज का पदनाम परिवर्तित करना।

• सिंचाई, वन, वाणिज्यकर आदि विभागों की सेवा नियमावलियां जारी करना।

• आउटसोर्सिंग/संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की नीति बनाना।

• कैशलेस इलाज की सुविधा देना।

• तदर्थ माध्यमिक शिक्षकों को विनियमित करना।

प्रदेश के कर्मचारी भी मुंह तोड़ जवाब देंगे

महासचिव शशि कुमार मिश्र ने कहा कि 'सरकार पुरानी पेंशन एवं महंगाई भत्ते के एरियर एवं अन्य काटे गए भत्तों की बहाली भी नहीं करना चाहती है। महासंघ नेताओं ने कर्मचारियों को आगाह किया है कि आगामी चुनाव के बाद अधिकांश विभाग, संस्थान, निगमों, स्थानीय निकायों, विकास प्राधिकरण को निजी करण कर दिया जाएगा। प्रक्रिया अभी से प्रारंभ हो गई है, जनपदों में मेडिकल कॉलेजों को पीपीपी मॉडल पर व जिला चिकित्सालय को लीज पर देने की कार्यवाही चल रही है। मोर्चा का मत है कि कर्मचारियों एवं शिक्षकों को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। अगर सरकार कर्मचारियों की रोजी-रोटी समाप्त करने का प्रयास करेगी, तो प्रदेश के कर्मचारी भी मुंह तोड़ जवाब देंगे। कर्मचारियों को जाति धर्म के नाम पर बांटा नहीं जा सकता है।'

शासन और कर्मचारियों में बन रही टकराव की स्थिति

उन्होंने बताया कि 'मोर्चा ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे मोर्चा की मांगों पर स्वयं बैठक करके सार्थक निर्णय करें, जिससे शासन एवं कर्मचारियों के बीच टकराव की स्थिति न बने। मोर्चा की 30 सितंबर की बैठक में अगले कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। बैठक 30 सितंबर को अपराह्न 2:00 बजे मंगलवार को राजधानी में कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा एवं उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ का प्रतिनिधिमंडल उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) और राज्य मंत्री स्वाति सिंह (UP Minister Swati Singh) से मिला। जिसका नेतृत्व महासचिव शशि कुमार मिश्रा ने किया। कर्मचारियों ने केशव मौर्य और स्वाति सिंह से भेंट कर अपनी मांगों पर निर्णय कराने हेतु ज्ञापन देकर अनुरोध किया। ज्ञापन देने गए प्रतिनिधिमंडल में गिरीश चन्द्र मिश्रा, मनोज कुमार मिश्रा, सुनील यादव, घनश्याम यादव, कैसर रज़ा, गोमती त्रिवेदी, आरपी सिंह, शैलेश धानुक, रामकुमार रावत, शैलेन्द्र तिवारी सहित कई पदाधिकारी शामिल हुए थे।



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