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वायरस भी करते हैं आपस में बातें, मिसकम्युनिकेशन से होता है म्यूटेशन

जिस तरह से हम इंसान आपस में एक दूसरे से अलग-अलग माध्यम के जरिए बात करते हैं और जुड़े रहते हैं ठीक वैसे ही जीवित कोशिकाएं भी आपस में बातें करती हैं और एक दूसरे से संपर्क में रहती हैं।

Yogi Yogesh Mishra
Report Yogi Yogesh MishraPublished By Ashiki
Published on: 26 Aug 2021 5:55 PM IST
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कांसेप्ट इमेज (फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ: हमारी आंखों से दिखने वाले संसार के अलावा एक और छिपा हुआ जीवित संसार होता है जिसे हम "सूक्ष्म जीवों का छिपा संसार कहते हैं।" सूक्ष्मजीव कई प्रकार के होते हैं जैसे एकल कोशिकीय (singal cellular) और बहुकोशिकीय (multi cellular) बहुत से ऐसे बहुकोशिकीय सूक्ष्मजीव होते हैं, जिनकी संरचना हम अपनी आंखों से कई हद तक देख सकते हैं। लेकिन एकल कोशिकीय सूक्ष्म जीवों को खुली आंखों से देख पाना असंभव है जिसके लिए हमें माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करना पड़ता है।

क्या आप जानते हैं हम इंसानों की तरह ही कोशिकाएं भी आपस में बात करती हैं?? यह सुनकर आप शायद चौंक गए होंगे लेकिन यह बिल्कुल सत्य है। जिस तरह से हम इंसान आपस में एक दूसरे से अलग-अलग माध्यम के जरिए बात करते हैं और जुड़े रहते हैं ठीक वैसे ही जीवित कोशिकाएं भी आपस में बातें करती हैं और एक दूसरे से संपर्क में रहती हैं। वहीं अगर कोरोनावायरस की बात की जाए तो वह अपने स्वरूप समय के साथ साथ बदलता रहता है दरअसल इस प्रक्रिया को म्यूटेशन कहते हैं। कोई भी कोशिका चाहे वह वायरस ही क्यों ना हो अपनी ही जैसी नई कोशिका को जन्म देती है और एक से दो कोशिका बनने इस प्रक्रिया को सेल साइकिल कहते हैं। इसी प्रक्रिया के दौरान होने वाले मिसकम्युनिकेशन की वजह से बनने वाली नई कोशिका के जेनेटिक मैटेरियल में बदलाव हो जाता है और इस बदलाव को म्यूटेशन तथा ऐसी कोशिका को म्युटेंट सेल कहते हैं।

आधुनिकता की दुनिया में जिस तरह हम मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से एक दूसरे से जुड़े रहते हैं ठीक वैसे ही कोशिकाएं सिग्नल और केमिकल एक्सचेंज के माध्यम से एक दूसरे के संपर्क में रहती हैं और सूचनाओं का आदान प्रदान करती हैं।


जानकारी देते हुए मेदांता के डायरेक्टर डॉ राकेश कपूर ने बताया कि इंसानी शरीर हो या कोई भी सूक्ष्मजीव उनके कोशिकाएं आपस में कई तरीके से जुड़ी रहती हैं और अलग-अलग माध्यम के जरिए वह कम्युनिकेट करती हैं। उदाहरण के तौर पर यदि कोई सूक्ष्मजीव जैसे वायरस, फंगस अथवा बैक्टीरिया इंसानी शरीर की कोशिकाओं के संपर्क में आता है तुरंत ही इंसानी कोशिकाएं हरकत में आ जाती हैं और आसपास की कोशिकाओं को सिग्नल अथवा केमिकल सेक्रेशन के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश करती हैं और चेतावनी देती हैं कि कोई बाहरी सूक्ष्मजीव उनके संपर्क में आया है।

क्या हो अगर कोशिकाएं आपस में बात ना करें ?

अगर इंसान आपस में एक दूसरे से बात करना बंद कर दे तो सभी कामकाज ठप हो जाएंगे ठीक वैसे ही कोशिकाएं अगर आपस में संपर्क ना बनाए तो संसार में जीवन का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। क्योंकि जब कोशिका ही आपस में संपर्क नहीं बनाएंगे तो उस जीवित व्यक्ति के शरीर में होने वाले बाहरी सूक्ष्मजीवों के अटैक को रोका नहीं जा सकेगा जिससे उसका जीवन नष्ट हो सकता है।



Ashiki

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