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लखनऊ में बारिश ने बढ़ाई ठंड: अगले दो-चार दिन होती रहेगी बूंदाबांदी, गेहूं समेत इन फसलों को मिलेगा फ़ायदा
Lucknow Ka Mausam: राज्य की राजधानी लखनऊ में बुधवार की रात से ही बर्फ़ीली हवाओं ने अपनी मौजूदगी को दर्ज कराना शुरू कर दिया था। जो कि गुरुवार की सुबह आते-आते बारिश में तब्दील-सी हो गई।
Lucknow Ka Mausam: पूरे राज्य में कोरोना के बीच यदि किसी दूसरी चीज़ ने लोगों के ज़ेहन पर कब्ज़ा किया है, तो वह है बढ़ती हुई 'सर्दियां।' यूँ तो पूरे प्रदेश में ठंडी (UP Mein Thand) की वजह से लोगों में कंपकंपी छूट रही है। मग़र, इस पर सोने पे सुहागा तो तब हो जाता है, जब बेमौसम बारिश (Bemausam Barish) से पारा लुढ़क जाता है। जिसके बाद, शहरों में रहने वाले लोग हीटर (ब्लोअर) या अंगीठी के आस-पास नज़र आते हैं। वहीं, गांवों में रहने वालों के लिये लकड़ियां जलाकर, उसके पास बैठने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं होता।
राज्य की राजधानी लखनऊ में बुधवार की रात से ही बर्फ़ीली हवाओं ने अपनी मौजूदगी को दर्ज कराना शुरू कर दिया था। जो कि गुरुवार की सुबह आते-आते बारिश (Lucknow Mein Barish) में तब्दील-सी हो गई। इससे न सिर्फ़ पारा 7 डिग्री लुढ़का, बल्कि लोगों के शरीर पर कपड़ों का लबादा भी बढ़ेगा।
9 जनवरी तक बारिश के आसार
मौसम विभाग (Mausam Vibhag) के अनुसार- पहाड़ों पर बर्फ़ गिरने की वजह से मैदानी इलाकों में बारिश व बूंदाबांदी भरा मौसम रह सकता है। अगले 4-5 दिनों तक प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हल्की बारिश (Barish Ke Asar) होती रहेगी। कई क्षेत्रों में ओले गिरने की संभावना है। साथ ही, आसमान में बादल छाए रहेंगे।
7 डिग्री तक लुढ़का पारा
बारिश की वजह से पारे में गिरावट दर्ज की गयी है। जहां बुधवार की दोपहर में अधिकतम तापमान 15.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। मंगलवार को अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस था। वहीं, बूंदाबांदी व सर्द हवाओं के बीच गुरुवार की सुबह इसमें 7 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई।
इन फसलों को मिलेगा फ़ायदा
वैज्ञानिकों की मानें तो हल्की बारिश वैसे भी सब्जियों के लिये फायदेमंद रहती है। वहीं, कई राज्यों में गेहूं की बुवाई हो चुकी है। यूपी भी इन्हीं राज्यों में है, जहां बुवाई के बाद फ़सल में दूसरा पानी लगाने का वक़्त आ रहा था, इस लिहाज़ से यह बारिश गेहूं की फसल (Gehu Ki Fasal) को भी फ़ायदा पहुंचाएगा। इसके अलावा, यह बारिश आलू की फसल (Aaloo Ki Fasal) हेतु पाले के ख़तरे को कम करेगा। सरसों और जौ की खेती करने वाले किसान भी इस बारिश से ख़ुशी की अनुभूति कर सकते हैं।
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