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Lucknow News: यूपी के पहले हैंडीक्राफ्ट पार्क से 22 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार

उत्तर प्रदेश के हैंडीक्राफ्ट (हस्तशिल्प) की बेहद सम्पन्न परंपरा की पूरी दुनिया मुरीद रही है। बनारसी साड़ी, मुरादाबाद के पीतल के समान, कन्नौज का इत्र, लखनऊ की चिकनकारी, गोरखपुर का टेरोकोटा खुद में एक ब्रांड हैं।

Rajendra Kumar
Published on: 26 Aug 2021 10:38 PM IST
22 thousand people will get employment from the first handicraft park of UP
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 यूपी के पहले हैंडीक्राफ्ट पार्क से 22 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया

Lucknow News: उत्तर प्रदेश के हैंडीक्राफ्ट (हस्तशिल्प) की बेहद सम्पन्न परंपरा की पूरी दुनिया मुरीद रही है। बनारसी साड़ी,मुरादाबाद के पीतल के समान,कन्नौज का इत्र, लखनऊ की चिकनकारी, गोरखपुर का टेरोकोटा खुद में एक ब्रांड हैं। सूबे के हर जिले में इसी तरह के कुछ खास उत्पाद उनकी पहचान हैं। इनको बनाने सैकड़ों दक्ष शिल्पकार अपने हाथों के हुनर से बनाए गए मिट्टी, पत्थर, तथा लकड़ी के खिलौने, मूर्ति और अन्य उत्पादों से सूबे का नाम रोशन कर रहे हैं। जिसका संज्ञान लेते हुए ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना शुरू की थी।

अब इसी क्रम में सूबे के सभी प्रमुख हेंडीक्राफ्ट को एक स्थान पर देश और विदेश के लोगों मुहैया कराने के लिए यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के सेक्टर 29 में एक हेंडीक्राफ्ट पार्क बनाया जा रहा है। करीब 50 एकड़ के इस पार्क में 76 उद्योगपतियों ने अपनी फैक्ट्री लगाने के लिए जमीन ली है। ये उद्योगपति करीव 403 करोड़ रुपए का निवेश कर अपनी यूनिट पार्क में लगायेंगे। इन उद्योगपतियों के पार्क में किए जा रहे निवेश से 22,144 लोगों को स्थायी रोजगार मिलेगा।

हैंडीक्राफ्ट पार्क में दिखेगा पूरे यूपी का हुनर

यूपी के इस पहले हेंडीक्राफ्ट पार्क से देश तथा विदेश के लोगों को एक ही स्थान पर यूपी के ओडीओपी योजना से जुड़े सभी हेंडीक्राफ्ट एक ही स्थान पर मिल सकेंगे। यही नहीं इस पार्क के बनने से यूपी के हस्तशिल्प कारोबार को बड़ा बाजार मिलेगा। इस पार्क में आकर निर्यात कारोबार से जुड़े लोग सूबे के हस्तशिल्प को खरीद सकेंगे। दिल्ली तथा नोएडा में रहने वाले लोग भी लखनऊ, मेरठ, बरेली, फिरोजाबाद, आगरा, वाराणसी, चंदौली, गोरखपुर, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, आजमगढ़, मिर्जापुर तथा झांसी एवं ललितपुर के हस्तशिल्प को आसानी से पा सकेंगे।

फोटो- सोशल मीडिया

यूपी के हेंडीक्राफ्ट पार्क में 76 उद्यमियों ने ली जमीन, 403 करोड़ रुपए का होगा निवेश

यीडा के अधिकारियों के अनुसार सूबे के इस पहले हेंडीक्राफ्ट पार्क को लेकर इस क्षेत्र में कार्यरत उद्यमी बेहद उत्साहित है। यही वजह है कि 76 उद्यमियों ने यहां अपनी यूनिट लगाने के लिए जमीन ली है। यहां हैंडीक्राफ्ट पार्क योजना के अंतर्गत विकास एक्सपोर्ट्स को 5,000 वर्ग मीटर जमीन वुड, मेटल, मार्बल हैंडीक्राफ्ट के लिए आवंटित की गई। इसी प्रकार द सिल्क फैक्ट्री, रटेरिया एक्सपोर्ट, नारायण क्रिएशन, वजीर चंद एंड कंपनी, डक्स इंडिया इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, द्वार फुटवियर इंडस्ट्रीज तथा स्पेशलिस्ट होम कांसेप्ट को जमीन आवंटित हो गई है।

जेवर एयरपोर्ट के पास देशभर के हैंडीक्राफ्ट से रू-ब-रू हो सकेंगे लोग

अधिकारियों के अनुसार, जेवर एयरपोर्ट के पास जल्द ही इस पार्क में यूपी सहित देशभर के हैंडीक्राफ्ट से लोग रू-ब-रू हो सकेंगे और यह पार्क कारीगरों, शिल्पकारों और दस्तकारों का सबसे प्रमुख ठीहा बन जाएगा। यहाँ वैसी ही भीड़ जुटेगी जैसी कि दिल्ली में आयोजित होने वाले हुनर हाट में होती है। दिल्ली के हुनर हाट में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 600 से अधिक दस्तकार, शिल्पकार और कारीगार स्वदेशी उत्पादों के साथ शामिल होते हैं। इनके बनाए उत्पादों को खरीद कर लोग अपने घरों को सजाते हैं।

फोटो- सोशल मीडिया

सीएम की मंशा के अनुरूप इस पार्क से होगा स्थानीय हुनर का संरक्षण और संवर्धन

पार्क में जिन उद्यमियों ने भूमि ली है, वो सभी हेंडीक्राफ्ट कारोबार से जुड़े हैं। यह लोग अपने बनाए उत्पाद तो यहां बेचेंगे ही ओडीओपी से जुड़े सूबे तमाम जिलों के उत्पाद भी यह लोगों को मुहैया कराएंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा भी यही है कि स्थानीय हुनर का संरक्षण और संवर्धन हो। यह पार्क उनकी मंशा को पूरा करेगा। एक जिला-एक उत्पाद, विश्वकर्मा श्रम सम्मान जैसी योजनाओं का भी यही मकसद है। मिट्टी को जीवंत करने वाले कारीगरों को संरक्षण एवं संवर्धन देने के लिए उनकी पहल पर जहां प्रदेश में पहली बार माटीकला बोर्ड का गठन किया गया । इसके तहत इससे जुड़े कारीगरों को ट्रेनिंग से लेकर बाजार तक कि सुविधा मुहैया कराई गई और अब इसी दिशा में हैंडीक्राफ्ट पार्क बनाया जा रहा है। जहां ना सिर्फ 22 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि सूबे के हस्तशिल्प को भी एक नया बाजार मिलेगा।



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Shashi kant gautam

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