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Lucknow News: आख़िर क्यों दिया ओवैसी ने मुख़्तार व अतीक को अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने का न्योता

उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों के पहले एक दल से दूसरे दल में जाने का खेल शुरू हो गया है।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 10 Sept 2021 4:44 PM IST (Updated on: 10 Sept 2021 4:46 PM IST)
Asaduddin Owaisi & Mukhtar Ansari
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असदुद्दीन ओवैशी और मुख्तार अंसारी की डिजाइन तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों के पहले एक दल से दूसरे दल में जाने का खेल शुरू हो गया है। आज जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने माफिया विधायक मुख्तार अंसारी का मऊ विधानसभा सीट से टिकट काटने की घोषणा की तो आनन फानन में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम ने मुख्तार अंसारी को अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने का आफर दे दिया।

एक ऐसे समय जब मुख़्तार अंसारी समेत तमाम माफिया सरकार के निशाने पर हों तब ओवैसी माफ़ियाओं को अपनी पार्टी से लड़ने का न्योता देकर आख़िर क्या संदेश देना चाहते हैं। अभी दो तीन दिन के भीतर ही उन्होंने जेल में बंद माफिया अतीक अहमद की पत्नी के साथ मंच साझा किया। रैली में एक जेल से भेजा गया अतीक का ख़त भी पढ़ा गया। जिसमें अतीक ने मुसलमानों से ओवैसी को रहनुमा मानने की अपील की थी। सूत्रों की मानें तो इलाहाबाद शहर पश्चिमी से अतीक की पत्नी उम्मीदवार भी हो सकती हैं।

एआईएमआईएम के प्रदेश प्रवक्ता असीम वकार ने आज कहा है कि यदि मुख्तार अंसारी उनकी पार्टी में आना चाहें तो उनको पार्टी में शामिल कर मऊ से चुनाव लड़ाया जाएगा। शौकत ने कहा कि सभी मुसलमान शोषित वंचित समाज का हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा कि घोसी सीट से बीएसपी सांसद अतुल राय पर रेप का मामला दर्ज है तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। शौक़त ने कहा कि भाजपा और समाजवादी पार्टी मिले हुए है। इसीलिए ओवैसी पर मुक़दमा दर्ज किया गया है।

उल्लेखनीय है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज विधायक मुख्तार अंसारी का मऊ विधानसभा से टिकट काटकर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर को टिकट दे दिया। जो 2012 का इसी सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। तब मुख्तार अंसारी ने उन्हें अपनी पार्टी कौमी एकता दल से लगभग 6 हज़ार वोट से हराया था।

माफिया अतीक अहमद पहले ही पांच बार विधायक बने हैं। साल 2004 में वह सांसद रहे हैं। वह इसके पहले दो बार समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं। साथ ही दो बार डॉ. सोनेलाल पटेल के अपना दल में भी रह चुके हैं।

अतीक अहमद इस समय किसी भी दल में नहीं हैं। 2017 के चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अतीक अहमद को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उन्हें साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया था।

माना जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती की तरफ से मुख्तार का टिकट सदर विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी के सपा में आने के राजनीतिक धुरंधर मायने निकालने लगे हैं। इस समय मुख्तार अंसारी और उनके बड़े भाई गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी बसपा में हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्तार अंसारी की आपराधिक छवि को देखते हुए सपा में उनकी एंट्री संभव नहीं लगती, लेकिन मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को सपा में प्रवेश मिल सकता है। चूंकि अफजाल अंसारी का कार्यकाल अभी लगभग तीन साल बकाया है, इसलिए अभी उनके सपा में आने की संभावना कम दिख रही है।

पर जिस तरह ओवैसी माफ़ियाओं पर दांव लगा रहे हैं। उससे यह संदेश मिलता है कि उनके टिकट के दावेदारों की संख्या घटी है या फिर पश्चिम बंगाल चुनाव में जिस तरह अल्पसंख्यकों ने उन्हें वोट कटवा मान लिया है। यह सब इससे उबरने की कोशिश है। क्योंकि मुख़्तार व अतीक के अपने गृह जनपद के आसपास के तीन चार ज़िलों के अल्पसंख्यकों में गहरी पकड़ है। यही नहीं, उत्तर प्रदेश में भी इनका नेटवर्क अल्पसंख्यकों में ख़ाली काम करता है।



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Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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