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Lucknow News: 18 अक्टूबर को विधानसभा का विशेष सत्र, योगी के किसी बड़े फ़ैसले को लेकर चर्चा तेज

योगी सरकार ने 18 अक्टूबर को बुलाया विधानसभा का विशेष सत्र, बढ़ी सियासी हलचल

Shreedhar Agnihotri
Published on: 10 Oct 2021 10:24 PM IST (Updated on: 10 Oct 2021 11:15 PM IST)
UP Vidhan Sabha
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यूपी विधानसभा की फाइल तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

Lucknow News: योगी सरकार (vidhan sabha cm yogi) ने अचानक आगामी 18 अक्टूबर को विधानसभा (up vidhan sabha satra 2021 date) का विशेष सत्र (up vidhan sabha satra) बुलाकर सत्ता पक्ष व विपक्ष की धड़कनें तेज कर दी है। योगी सरकार के विशेष सत्र आहूत करने के फ़ैसले ने कई अटकलों को जन्म दे दिया है। क़यास लगाये जा रहे हैं कि यदि इस विशेष सत्र को राष्ट्रपति संबोधित करने वाले हैं तो निः संदेह इसका रिश्ता आज़ादी के अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) से ही जुड़ता है। लेकिन यदि ऐसा नहीं है तो राज्य के विभाजन के प्रस्ताव व सत्रह पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जातियों में शरीक करने के प्रस्ताव को पास करके केंद्र के पास भेजा जा सकता है। यह माँग बहुत दिनों से की जा रही है।

ग़ौरतलब है कि दो साल पहले भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती के अवसर पर विशेष सत्र बुलाया गया था। जो लगातार 48 घंटे चला था। तब इसे एक अभिनव प्रयोग कहा गया था।

इसके बाद साल 2019 में भारतीय संविधान को अंगीकृत करने के अवसर पर यूपी विधानसभा (UP Vidhan Sabha Satra) का एक दिन का विशेष सत्र 26 नवम्बर को आयोजित किया गया था। इस दिन सभी दलों के अधिकतर विधायकों को सदन में अपनी बात रखने का अवसर दिया दिया गया था। जिसमें कई विधायकों ने संविधान के बारे में अपने विचार रखें थें। इस विषेष सत्र में समवेत दोनों सदनों को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का अभिभाषण भी हुआ था।

इसी तरह पिछली अखिलेश सरकार के दौरान भी यूपी विधानसभा (UP Vidhan Sabha Satra) ने 2012 में 6 से 8 जनवरी, 2013 को उत्तरशती (125 वर्ष) रजत जयन्ती मनाया था। जिसमें इस सदन के पूर्व सदस्यों नारायणदत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव समेत अन्य कई महानुभावों को सम्मानित किया गया था।

इसके पहले मायावती के मुख्यमंत्रित्वकाल में 29 जुलाई 1997 को यूपी विधानसभा ने हीरक जयन्ती समारोह का आयोजन किया था। जबकि 1987 में यूपी विधानसभा (UP Vidhan Sabha Satra) ने 1987 में अपना स्वर्ण जयन्ती समारोह का आयोजन हुआ था ।.जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी मुख्य अतिथि के तौर पर यहां आए थे।

विधान सभा (UP Vidhan Sabha Satra) से पहले भी सत्रह पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के प्रस्ताव पास हो चुके हैं । अनुसूचित जाति की कैटेगरी में जिन अन्य पिछड़ी जातियों को शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया है, उनमें कहार (Kahar) , कश्यप (Kashyap) , केवट (Kewat) , निषाद (Nishad) , बिंद (Bind) , भर (Bhar) , प्रजापति (Prajapati) , राजभर (Rajbhar) , बाथम (Batham) , गौर (Gaur) , तुरा (Tura) , मांझी (Majhi) , मल्लाह (Mallah) , कुम्हार (Kumhar) , धीमर (Dheemar) , गोडिया (Gaudiya) और मछुआ (Machua) शामिल हैं। 2005 में मुलायम सरकार (Mulayam Sarkar) ने इस बारे में एक आदेश जारी किया था। लेकिन हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। इसके बाद प्रस्ताव केंद्र सरकार (Kendra Sarkar) को भेजा गया। 2007 में मायावती सत्ता (Mayawati Satta) में आईं तो इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। इन जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा।

दिसंबर-2016 में इस तरह की कोशिश अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav Ka Cabinet Bill)) ने भी की थी। उन्होंने 17 अतिपिछड़ी जातियों को एससी में शामिल करने के प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी भी दिलवा दी। केंद्र को नोटिफिकेशन भेजकर अधिसूचना जारी की गई। लेकिन इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। मामला केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में जाकर अटक गया था।

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Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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