TRENDING TAGS :
Lucknow News: नगर निगम के शौचालय को फल बेचने वालों ने बना दिया गोदाम
पब्लिक टायलेट के चालू नहीं होने के कारण यह देखा गया है कि निशातगंज के फल विक्रेता अपना फल इसी शौचालय में स्टोर करते हैं।
Lucknow News: बीजेपी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की दुर्दशा का हाल अब तक आपने गांवों में देखा होगा, लेकिन हम आपको यूपी की राजधानी लखनऊ के वीआईपी इलाके निशातगंज के हाल से वाकिफ कराते हैं, यहां राज्य शैक्षिक संस्थान और प्रदेश मुख्यालय भारत स्काउट गाइड के कार्यालय के बाहर बने शौचालय का हाल यह है कि लाखों रुपए लगाकर नगर निगम ने इसे तैयार तो करा दिया लेकिन आज तक इसका ताला शौचालय के लिए नहीं खुला। यह शौचालय किस उद्देश्य से बनाया गया है।
इसका जवाब किसी के पास नहीं है, जब यहां पर newstrack संवाददाता ने लोगों से इस शौचालय के बारे में जानना चाहा तो बताया की यह खुलता है तो फल रखने के लिए शौचालय के लिए नहीं। वहां पास में खड़े एक फल खरीदने वाले व्यक्ति ने बताया की पिछले काफ़ी दिनों से आसपास के फल विक्रेता अपना गोदाम बना लिये हैं। फल विक्रेता ही इसकी चाबी भी अपने पास ही रखते हैं, गोमती नदी किनारे बना नगर निगम का यह शौचालय काफी पुराना बताया जाता है, सार्वजनिक उपयोग के लिए बना यह शौचालय कभी सार्वजनिक तौर पर खुला नहीं, बस ये सुबह शाम खुलता है सिर्फ फलों की पेटियों को रखने और निकालने के लिए।
फल विक्रेता ने क्या कहा?
Newstrack ने जब इस बंद पड़े शौचालय के बारे में फल विक्रेताओं से पूछा उनका कहना था कि यह चलता तो है नहीं, जब से बना तब से विवाद में है। खाली पड़े शौचालय का उपयोग फल रखने के लिए गोदाम के तौर पर करते हैं, फल निकाल रहे दूसरे फल विक्रेता से जब इसके बारे में पूछा गया तो वह चेहरा छुपाता हुआ भागने लगा।
आखिर किसके लिया बना था ये शौचालय?
यह शौचालय नगर निगम की लापरवाही का जीता जागता उदाहरण है। इसका जवाब तो नगर निगम ही दे सकता है लेकिन आसपास रहने वाले लोगों और वहां पर फल बेचने वाले के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि आखिर यह शौचालय किसके लिए बना था और इसका उपयोग क्यों नहीं हो रहा है।
लाखों रुपये हुए बर्बाद
आमतौर पर देखा जाता है कि नगर निगम किसी भी प्रोजेक्ट को बिना उसकी उपयोगिता के स्वीकार नहीं करता और वहां पर काम तभी कराया जाता है, जब वहां के लोगों को इसका लाभ दिया जाना है। लेकिन गोमती नदी और पंचमुखी हनुमान के पास बने शौचालय के बारे में यह बात खरी नहीं उतरती है लाखों रुपए खर्च करने के बाद इसका उपयोग शौचालय के रूप में क्यों नहीं किया जा रहा है। इस पर चालक के आसपास रहने वाले कई गरीब परिवार के लोग झुग्गी झोपड़ी में रहते हैं और अक्सर शौचालय के लिए गोमती नदी के किनारे ही जाया करते हैं अगर शौचालय रूप से चला दिया गया होता तो यहां के सब्जी, फल विक्रेता और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोग इसका लाभ उठा सकते थे।