×

Lucknow News: गोमती पहलवान अखाड़े में हुआ पहलवानों का इनामी दंगल

सन 1935 से चल रहे गोमती पहलवान अखाड़ा जो कि गंगा जमुनी तहजीब का एक मिसाल रहा है।

Network
Newstrack NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 13 Aug 2021 7:55 PM IST
Gomti Pehalwan Arena
X

पहलवानों के बीच कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक (फोटो-न्यूजट्रैक)

Lucknow News: सन 1935 से चल रहे गोमती पहलवान अखाड़ा जो कि गंगा जमुनी तहजीब का एक मिसाल रहा है। यह एक ऐसा अखाड़ा है, जिसमें बजरंग बली और अली दोनों एक साथ विराजमान हैं। यहां बजरंग बली पर वस्त्र एवं अली पर सेहरा दोनों एक साथ चढ़ाया जाता है। ऐसे ऐतिहासिक अखाड़े के जीर्णोद्धार के उपरांत इस वर्ष अखाड़ा समिति के प्रबंधक अनुराग मिश्र के नेतृत्व में चल रहे चार दिवसीय आयोजन में आज नाग पंचमी के अवसर पर ओलंपिक विजेताओं की ऐतिहासिक विजय के उत्सव के रूप में मनाया गया, जिसमें 6 बार ओलंपिक में भारत का नेतृत्व करने वाले आनदेश्वर पांडेय का सम्मान मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री ब्रजेश पाठक ने किया।


इनके साथ ही सैय्यद रफत, मनीष कक्कड़, कन्हैया लाल का भी सम्मान किया गया। शुक्रवार को नाग पंचमी के अवसर पर मुख्य आकर्षण नामी पहलवानों का इनामी दंगल हुआ।


तीन श्रेणी में कुश्ती हुई जूनियर, सीनियर एवं महिला वर्ग में कुश्तियां हुईं, जिसमें सीनियर वर्ग में सर्वेश कश्यप, जूनियर वर्ग में संस्कार मिश्र एवं महिला वर्ग में गाजियाबाद से आई रिया सेन चैम्पियन रहीं। इसमें सीनियर वर्ग के उस्ताद गोपाल साहू, इशरत भाई, डीपी सिंह, हिमांशू कश्यप, जूनियर वर्ग में संस्कार मिश्र, अविराज मिश्र, शिवा अवस्थी, सक्षम, उत्कर्ष ने अपनी कुश्तियां जीतीं।


महिला वर्ग में गाजियाबाद से आई रिया सेन, मनीषा, ज्योति, शालिनी विजेता रहीं। इसके बाद संरक्षक स्व. लाल जी टंडन को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि के साथ चार दिवसीय कार्यक्रम का समापन हुआ।


बता दें कि नाग पंचमी के अवसर पर दंगल की परंपरा रही है। लेकिन बदलते समय ने इस परंपरा को काफी प्रभावित किया है। अब कुछ गिनी चुनी जगहों पर ही इस परंपरा की रस्म अदाएगी की जाती है। एक समय था कि नाग पंचमी के मौके पर हर गांव में दंगल सजती थी। लोग अखाड़े में उतरने के साथ ही कबड्डी खेलते थे। इसके लिए लोग पहले से तैयारी भी करते थे। लेकिन देखते ही देखते यह त्योहार गांवों से भी गायब हो गया है। अब गांवों में भी दंगल नहीं होता।



Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

Next Story