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Lucknow News: रेप और पाक्सो एक्ट पीड़िता के लिए 'प्रोजेक्ट साथी' की नियुक्ति, ऐसे करते हैं उनकी मदद
Lucknow News: लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस (Commissionerate Police) द्वारा महिला अपराध और पीड़िताओं की सुरक्षा के लिए पाक्सो एक्ट (POCSO ACT) और 376 (रेप पीड़िता) की मदद के लिए ‘प्रोजेक्ट साथी’ (Project Sathi) की नियुक्ति की गई है।
Lucknow News: कमिश्नरेट पुलिस (Commissionerate Police) महिला अपराध और पीड़िताओं की सुरक्षा (Women Crime and Victims Protection) और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने की व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए प्रयासरत रहती है। इसी क्रम में लखनऊ पुलिस (Lucknow police) ने पाक्सो एक्ट (POCSO ACT) और 376 (रेप पीड़िता) की मदद के लिए भी 'प्रोजेक्ट साथी' (Project Sathi) की नियुक्ति की जाती है।
हालांकि यह व्यवस्था काफी पहले से लागू की गई थी। लेकिन जब से डीसीपी महिला अपराध (DCP Women Crime) की जिम्मेदारी रुचिता चौधरी (DCP Women Crime Ruchita Choudhary) को मिली है उन्होंने इस पर अपने मातहतों के साथ बैठक कर इसे सही ढंग से लागू कराया है। इसके तहत अब पीड़ित बच्चियों और महिलाओं की मदद के लिए एक सहायक उपलब्ध कराया जाता है। जिससे वह अपनी पूरी बातें कह सके।
क्या है प्रोजेक्ट साथी? (What is Project Saathi)
डीसीपी रुचिता चौधरी (DCP Women Crime Ruchita Choudhary) ने प्रोजेक्ट साथी के बारे में बताया कि यह योजना कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद शुरू की गई थी। अक्टूबर 2021 से इस पर तेजी से कार्य हो रहा है। अब तक इसमें कई केस निस्तारित किए गए हैं। जिससे पीड़ितों को जल्द न्याय और सहायता राशि मिलने में आसानी होती है।
प्रोजेक्ट साथी के जरिए पाक्सो एक्ट या रेप पीड़िता जो बात अधिकारियों या पुलिसवालों से नहीं बता पाती। जब उसके साथ एक प्रोजेक्ट साथी (Project Sathi) की नियुक्ति की जाती है तो वह उससे खुलकर बात करती है और सारे घटनाक्रम उसे बताती है। प्रोजेक्ट साथी उसकी बातें संबंधित जांच अधिकारियों से समक्ष रखती है और केस को हल करने में आसानी होती है।
30 नवंबर 2021 तक निस्तारित किए गए मामले?
पाक्सो एक्ट- 97 मामले
निस्तारित 77
शेष- 20
376 के मामले- 150
निस्तारित किए गए-77
शेष- 73
घरेलू, आपसी विवाद का 'कुटुम्ब'
आपसी विवाद, पारिवारिक कलह (family feud) और गर्लफ्रेंड और ब्वाय फ्रेंड के बीच विवाद (dispute between girlfriend and boyfriend) को अब कमिश्नरेट पुलिस आपसी विवाद या पारिवारिक कलह नहीं बल्कि कुटुम्ब के जरिए निस्तारण कर विवाद को खत्म कराने की पूरी कोशिश करती है। डीसीपी चौधरी ने बताया कि इसका नाम कुटुम्ब इसलिए रखा गया है कि आपसी विवाद, परिवारिक विवाद अपनों के बीच होता है। वह कुटुंब के जरिए इसे खत्म कराने की पूरी कोशिश करती हैं।
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