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Lucknow News: संकट में घिरे लोगों का सहारा बने सीएम योगी, दौरा कर परख रहे जमीनी हकीकत

हर संकट में साथ बोले तो योगी आदित्यनाथ। यह नारा नहीं हकीकत है।

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Newstrack NetworkPublished By Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 13 Aug 2021 10:34 PM IST
Yogi Adityanath
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बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने बलिया पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Lucknow News: हर संकट में साथ बोले तो योगी आदित्यनाथ। यह नारा नहीं हकीकत है। संकट कोई भी हो, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर जगह ग्राउंड जीरो पर मौजूद मिलेंगे। मौसम, अपने सेहत और जोखिम की परवाह किए बगैर। चाहे कोरोना का संकट हो या भीषण ठंड से लोगों को बचाने का मामला। मुख्यमंत्री अस्पताल और रैनबसेरों में लोगों की मदद करते पहुंच जाते हैं। बाढ़ में भी यह सिलसिला जारी है। बाढ़ आते ही वह दौरे पर निकल पकड़े हैं। बुंदेलखंड से पूर्वांचल तक की दूरी वह करीब हफ्ते भर में नाप चुके हैं।

मालूम हो कि देश की दो सबसे प्रमुख नदियों के नाते ये इलाके बाढ़ के लिहाज से सर्वाधिक संवेदनशील हैं। यमुना औऱ उसकी सहायक नदियों के अधिग्रहण क्षेत्र में आने के नाते बुंदेलखंड और गंगा और उसकी सहायक नदियों के अधिग्रहण क्षेत्र में आने के नाते पूर्वांचल का पूरा इलाका बाढ़ के लिहाज से सर्वाधिक संवेदनशील हो जाता है। इस लिहाज से मुख्यमंत्री का यह दौरा खुद में बेहद नियोजित होता है। इस क्रम में वह अब तक बुंदेलखंड के जालौन, हमीरपुर, इटावा और औरैया का दौरा कर चुके हैं। कल वह पूर्वांचल के वाराणसी में थे। इस दौरान जोखिम की परवाह किये बिना बाढ़ की जमीनी हकीकत जानने के लिए उफनाती गंगा में नाव से चल दिए। आज बलिया और गाजीपुर में भी उन्होंने बाढ़ का जायजा लिया।

हर दौरे में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण

बाढ़ पीड़ितों के लिए किए जा रहे राहत एवं बचाव कार्यों का जमीनी सत्यापन, स्थानीय प्रशासन के साथ बाढ़ के हालात, राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा के साथ जरूरी निर्देश भी देते हैं। वाराणसी दौरे के दौरान तो उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मिरजापुर, भदोही और चंदौली के बाढ़ की स्थिति एवं राहत कार्यों की भी समीक्षा की।

उल्लेखनीय है कि बाढ़ से अब तक प्रदेश के करीब दो दर्जन जिलों के 1200 गांव प्रभावित हैं। इनके लिए सरकार की ओर से 982 राहत शिविर बनाए गए हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुचाने के लिए 2200 नावों लगाई गई हैं। 600 से अधिक मेडिकल टीमें लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं दी रहीं हैं। 614 बाढ़ चौकियां हालात पर लगातार नजर रखे हैं। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में अब तक करीब 2 लाख लंच पैकेट, 22 हजार राशन किट बांटे जा चुके हैं।

हर चीज पर पैनी नजर

मुख्यमंत्री का ताल्लुक पूर्वांचल के गोरखपुर से है। रोहिन और राप्ती के संगम पर स्थित होने के कारण यह इलाका बाढ़ के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। 1998 में यहां आई बाढ़ को तबके प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने जलप्रलय कहा था। लिहाजा वह बाढ़ और बाढ़ उतरने के बाद कि जरूरतों और समस्याओं से पूरी तरह वाकिफ हैं। उनके दौरों और इस दौरान दिए गए निर्देश (पेट्रोमेक्स, दियासलाई, मोमबत्ती, गैस सिलेंडर, राहत चौकियों की संख्या, शिविरों में महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा, हर प्रभावित गांव के लिए अलग-अलग नोडल अधकारी) इसके सबूत हैं।

यही नहीं इस दौरान सांप और कुत्ता काटने की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर एंटी स्नेक वेनम, रैबीज के इंजेक्शन तक कि व्यवस्था का उनको ध्यान रहता है। बाढ़ उतरने के साथ ही आदमी और पशु कुछ जलजनित और मच्छरजनित रोगों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने के साथ फागिंग और खुरपका एवं मुंहपका के लिए पशुओं का टीकाकरण तक उनको याद रहता है।



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Raghvendra Prasad Mishra

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