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Lucknow News: लखनऊ शहर में घुसा तेंदुआ, लोगों में दहशत, जानिए जंगल का राजा किस मजबूरी में आया इंसानों की बस्ती में
वन्य जीव जंतु विशेषज्ञ आशीष त्रिपाठी बताते हैं यह चीते से मिलता जुलता प्रजाति का जानवर होता है और बेहद चालक किस्म का जानवर होता है। दिन के समय यह घने पेड़ो पर चढ़ कर आराम फरमाता है और रात के समय पेड़ से अपने शिकार की तलाश में उतरता है।
Lucknow News: राजधानी लखनऊ के थाना गुडम्बा इलाके में बीती रात्रि जंगली मांसाहारी जानवर तेंदुआ दिखाई पड़ा है।आज सुबह 4 बजे लखनऊ के रिहायशी इलाके में घूमते हुए उसकी फोटो सीसीटीवी कैमरे में जब कैद हो गयी तब इस बात की पुष्टि हुई कि यह तेंदुआ रिहायशी इलाके में रातभर मस्ती में घूमता रहा है।राजधानी के गुडम्बा इलाके में जब यह तेंदुआ पहाड़पुर चौराहे के पास स्थित पूजा नर्सिंग होम के पास पहुंचा तो वह वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया।तेंदुआ के रिहायशी इलाके में घूमते हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद हो जाने से इलाके में दहशत का माहौल है।वन विभाग की टीमें तेंदुआ की तलाश में सक्रिय हो गईं है लेकिन उन्हें अभी तक तेंदुआ की परछाई तक नजर नही आयी है।
इस संदर्भ में वन्य जीव जंतु विशेषज्ञ आशीष त्रिपाठी बताते हैं यह चीते से मिलता जुलता प्रजाति का जानवर होता है और बेहद चालक किस्म का जानवर होता है।दिन के समय यह घने पेड़ो पर चढ़ कर आराम फरमाता है और रात के समय पेड़ से अपने शिकार की तलाश में उतरता है।जंगल मे रहने वाला यह माँसाहारी जानवर रात भर अपने शिकार की तलाश करता है।तेंदुआ इंसानों पर हमला कम करता है लेकिन इंसानों के छोटे छोटे बच्चों व बकरी व गाय के बछड़ों का शिकार करता है।
वन्यजीव जंतु विशेषज्ञ आशीष त्रिपाठी बताते हैं कि ये जंगली जानवर होता है और यह रिहायशी इलाको में कम ही आते हैं लेकिन अब मैन एंड एनिमल के कनफ्लिक मतलब ये आदमी और जानवरों के बीच का द्वंद है।जब इंसान इनके प्रवासी क्षेत्रों में अपना आशियाना बनाता जा रहा है,इंसान इनके जंगल मतलब जहां यह रहते हैं उन वनों को काटता जा रहा है।तो फिर इनकी मजबूरी बन जाती है कि ये मजबूरी में रिहायशी इलाके में प्रवेश करें।इन्सानों के द्वारा इनके जंगल काटने से इनके शिकार भी कम होने लगे हैं।इंसानों के इनके प्रवासी स्थानों पर कब्जा करने से ये मजबूरी में रिहायशी इलाके की तरफ अपने शिकार की तलाश में आ जाते हैं।शहरों में ये इंसान के बच्चे,बकरी के बच्चे व गाय व भैंस के बच्चों का ही शिकार करने आते हैं।जबकि तेंदुआ का मकसद किसी की हत्या करना नही है लेकिन वह अपने पेट की भूख को शांत करने के लिये शहरों की तरफ अपना मजबूरी में करते हैं।
वन्य जीव जंतु विशेषज्ञ आशीष त्रिपाठी बताते हैं कि जिस रास्ते से यह तेंदुआ शहर की तरफ आते है उन रास्तों के जंगल में वन विभाग इनका जोन बनाकर उसमें कच्चे मांस को फेंक दिया जाए जैसे शहर में जितने भी लावारिश जानवर मरते है वे इनके ज़ोन में फेंक दिया जाए ।तो उसको जब भोजन मिलता रहेगा तो फिर वह रिहायशी इलाकों में आना बंद कर देगा।यही इस समस्या का हल है।