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Lucknow News: यूपी में एमएसएमई पार्क को मिली रफ्तार, रोजगार के खुलेंगे नए द्वार

यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण द्वारा नोएडा के सेक्टर 29 और सेक्टर 32 में बतौर मॉडल विकसित किए जा रहे हैं।

Rajendra Kumar
Published on: 17 Aug 2021 1:02 PM GMT
MSME Park
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एमएसएमई पार्क की सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Lucknow News: तीन साल पहले प्रदेश में सूक्ष्म, लघु व मध्यम दर्जे के उद्योगों (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एमएसएमई पार्क की स्थापना करने संबंधी योजना को सहमति प्रदान की थी। मुख्यमंत्री के इस प्रयास से राज्य में एमएसएमई पार्क की स्थापना को रफ्तार मिली है। सूबे के यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण (यीडा) द्वारा गौतमबुद्धनगर (नोएडा) जिले के सेक्टर 29 और सेक्टर 32 में बतौर मॉडल विकसित किए जा रहे एमएसएमई पार्क में 812 निवेशकों ने जमीन खरीदी है। यूपी के इन दो पहले एमएसएमई पार्क में निवेशक 2345 करोड़ रुपए का निवेश कर अपनी फैक्ट्री उक्त पार्क में लगायेंगे, जिससे 42,800 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।

आगरा, कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी, आजमगढ़ और गोरखपुर में भी बनेंगे पार्क इसके अलावा आगरा, कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी, आजमगढ़ और गोरखपुर में भी एमएसएमई पार्क बनाने की कार्रवाई की जा रही है। इन छह जिलों में एमएसएमई इकाइयों की भारी तादाद है, पार्क की स्थापना से एमएसएमई इकाइयों को लाभ होगा।

गौरतलब है कि राज्य में रोजगार मुहैया कराने के लिहाज से कृषि क्षेत्र के बाद एमएसएमई सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर है। एमएसएमई की संख्या के लिहाज से देश में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 14.2 प्रतिशत है। एमएसएमई सेक्टर के माध्यम से प्रदेश लगातार तीन वर्षों से 1.14 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात कर रहा है। आगरा, कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी, आजमगढ़ और गोरखपुर में एमएसएमई इकाइयों की भारी तादाद है। इन जिलों के साथ ही प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने के लिए ही एमएसएमई पार्क की स्थापना की योजना को मुख्यमंत्री ने वर्ष 2018 में मंजूरी दी थी।

मुख्यमंत्री का मानना है कि एमएसएमई पार्क की स्थापना से एमएसएमई को रफ्तार मिलेगी, क्योंकि एमएसएमई पार्क में फैक्ट्री लगाने वाले उद्यमियों को सभी फैसिलिटी एक ही जगह पर दी जाए। इन पार्कों में कारखाने और फैक्ट्री शेड के साथ-साथ बिजनेस और शॉपिंग सेंटर, इन्क्यूबेशन सेंटर, होटल-रेस्टोरेंट, हॉस्टल, ऑफिस ब्लॉक, स्वास्थ्य और फायर स्टेशन जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाए। साथ ही बिजली, पानी और सड़क आदि की भी बेहतर व्यवस्था की जाएगी। पार्क में ही सर्टिफिकेशन लैब भी तैयार की जाएगी। भंडार गृह, कंटेनर और ट्रक टर्मिनल, रेलवे साइडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, फ्यूल स्टेशन को भी इन इंडस्ट्रियल पार्कों में तैयार किया जाएगा।

ऐसे पार्क बनाने के लिए तैयार की गई योजना में तय किया गया कि राज्य में 20 से लेकर 100 एकड़ तक के क्षेत्रफल में एमएसएमई पार्क विकसित किये जा सकेंगे। पार्क के कुल क्षेत्रफल का 50 फीसद एमएसएमई सेक्टर के लिए आरक्षित होगा। इस 50 फीसद क्षेत्र का 60 प्रतिशत यानि पार्क के कुल क्षेत्रफल का 30 प्रतिशत हिस्सा सूक्ष्म और लघु उद्योगों के लिए आरक्षित होगा। पार्क में उद्योग की स्थापना के लिए जमीन खरीदने वाले पहले खरीदारों को स्टांप ड्यूटी में 50 प्रतिशत छूट देने का फैसला किया गया। इसके अलावा भी कई अन्य रियायतें इस पार्क में फैक्ट्री लगाने वाले उद्यमियों को देना तय किया गया।

इसी के बाद आगरा, कानपुर, मुरादाबाद, वाराणसी, आजमगढ़, गोरखपुर के प्रशासनिक अफसरों तथा नोएडा एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण (यीडा) के अधिकारियों ने अपने क्षेत्र में एमएसएमई पार्क की स्थापना को लेकर प्रयास शुरू किए। जिसके तहत ही नोएडा के सेक्टर 29 और सेक्टर 32 में एमएसएमई पार्क विकसित करने का फैसला किया गया। करीब 240 एकड़ भूमि में बनाए जा रहे इस एमएसएमई पार्क में 812 उद्यमियों में अपनी फैक्ट्री लगाने के लिए यीडा से जमीन खरीदी है।

इस भूमि पर 2345 करोड़ रुपए का निवेश कर उद्यमी अपनी फैक्ट्री उक्त पार्क में लगाएंगे, जिससे 42,800 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। यीडा के अधिकारियों के अनुसार पार्क में भूमि लेने वाले तमाम उद्यमियों ने अपनी फैक्ट्री का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। निर्माण कार्य शुरू करने वाली प्रमुख कंपनियों में स्वस्तिक इंडस्ट्री, यूनाइटेड लाजिस्टिक्स, सीरिया इम्पेक्स, डीआर ऑटो इंडस्ट्रीज, ग्राम्य एग्रीटेक प्राइवेट लिमिटेड, एमवी एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड, रेंनेक्स मेडिकल, श्री बाला जी प्रिंटिंग तथा गेपडेक इंफ्राटेक लिमिटेड अपनी फैक्ट्री का निर्माण कराना शुरू कर दिया है।

इस पार्क की स्थापना से जहाँ एमएसएमई को बढ़ावा मिलेगा, वही सरकार को भी फायदा होगा। अधिकारियों के अनुसार पार्क में रेडीमेड गार्मेंट, आटो पार्ट्स, फूड प्रोसेसिंग, प्रिंटिंग से लेकर कई तरह की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगेगी। इनमें होने वाले उत्पादन पर लगने वाले जीएसटी के जरिए सरकार को राजस्व मिलेगा। अधिकारियों का कहना है कि आगरा में चमड़ा उत्पाद बनाने वाली 10,000 माइक्रो, 150 छोटी, 30 मध्यम दर्जे और 15 बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं। दो लाख लोगों को इनमें रोजगार मिला है और सालाना टर्नओवर 6000 करोड़ रुपये।

पार्क की स्थापना होने के इस कारोबार में और इजाफा होगा। इसी प्रकार कानपुर में चमड़े की प्रोसेसिंग और चर्म उत्पाद बनाने वाली 2000 छोटी और मझोली इकाइयां 1.2 लाख कामगारों का पेट पालती हैं। वार्षिक टर्नओवर 10,000 करोड़ रुपए का है। मुरादाबाद में पीतल के उत्पाद बनाने वाली 1800 लघु इकाइयों के अलावा 25,000 अपंजीकृत घरेलू इकाइयां 3.6 लाख कारीगरों की आजीविका का साधन हैं। सालाना 4950 करोड़ रुपये का टर्नओवर है। हर वर्ष करीब चार हजार करोड़ रुपए का निर्यात होता है। वाराणसी में 30,000 कारीगर सिल्क उत्पाद तैयार करते हैं और सालाना टर्नओवर-2700 से 4500 करोड़ रुपए का है। इसी प्रकार आजमगढ़ में टेक्सटाइल और रेडीमेड गार्मेंट बनाने वाली 20,000 इकाइयां एक लाख लोगों की रोजी-रोटी का साधन बनी हुई है और गोरखपुर में फूड प्रोसेसिंग, गार्मेंट और टेराकोटा का कारोबार एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा दे रहा है।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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