Lucknow News: आखिर क्यों नहीं रुक रहा यूपी में जहरीली शराब से मरने वालों का सिलसिला

आगरा में हाल ही में जहरीली शराब से हुई दस लोगों की मौत के बाद फिर इस बात पर सवाल खडे़ होने लगे हैं कि राज्य सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी ये मौते क्यों नहीं रूक रही हैं।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 26 Aug 2021 12:44 PM GMT
Deaths due to spurious liquor in UP
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यूपी में जहरीली शराब से होने वाली मौतें: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया

Lucknow News: उत्तर प्रदेश में शराब से हुई मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आगरा में हाल ही में जहरीली शराब से हुई दस लोगों की मौत के बाद फिर इस बात पर सवाल खडे़ होने लगे हैं कि राज्य सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी ये मौते क्यों नहीं रूक रही हैं। इसके पीछे सरकारी तंत्र को ही दोषी ठहराया जाता रहा है। साथ ही अधिकारियों पर कार्रवाई भी की जाती है। पर फिर भी हालात जस के तस ही रहते हैं।

ऐसे मामलों में स्थानीय पुलिस की उदासीनता भी सबसे बड़ा कारण होता है। बिना पुलिस की मिलीभगत से गांवों देहातों में अवैध भट्टियां नहीं लगाई जा सकती है। लेकिन यह मामला तब सामने आता है जब कोई बडी दुर्घटना हो जाती है।

केमिकल से बनी शराब से होती हैं मौतें

इस व्यवसाय से जुडे लोगों का मानना है कि शराब में अधिक टैक्स होने के कारण गरीब इस महंगी शराब को खरीद नहीं पाता जिसके कारण वह नकली शराब पीने की कोशिश करता है। यही कारण है कि इस तरह की केमिकल से बनी शराब से मौतें होती रहती हैं।

इस साल भी जहरीली शराब से कई बार गरीबों की मौत हो चुकी है। शुरूआत में ही 8 जनवरी को बुलंदशहर में जहरीली शराब से 5 लोगों की मौत हो गयी। इसके बाद 26 फरवरी को महोबा जिले में जहरीली शराब से 5 लोगों की मौत हो गयी। फिर 17 मार्च को प्रयागराज में जहरीली शराब से 9 लोगों की मौत होने के बाद 22 मार्च को चित्रकूट जिले में जहरीली शराब से 7 लोगों की मौत हुई।

नकली शराब ने ली जान: फोटो- सोशल मीडिया

इन जिलों में नकली शराब ने ली जान

इस दौरान जब कोरोना का संकट बढता गया तब भी शराब से हुई मौतों को सिलसिला जारी रहा। 1 अप्रैल को प्रतापगढ़ में जहरीली शराब से 6 से अधिक मौतें हुई। उसी दिन अयोध्या जिले में जहरीली शराब से 2 लोगों की मौत हो गयी। फिर 2 अप्रैल को बदायूं जिले में 2की मौत, 28 अप्रैल को हाथरस जिले में 5 की मौत, 12 मई को आजमगढ़ में 18 की मौत, 12 मई को अम्बेडकरनगर में 5 लोगों की मौत, 12 मई को बदायूं 2 तथा 28 मई को अलीगढ़ 72 लोगों की मौत हो गयी।

खास बात यह है कि जहां एक तरफ प्रदेश के कई स्थानों पर अवैध शराब का निर्माण होता है। वहीं पड़ोसी राज्यों उत्तराखण्ड बिहार तथा हरियाणा से भी खूब शराब आती है। पड़ोसी राज्य बिहार में शराबबंदी के कारण गोपालगंज, बक्सर तथा भोजपुर आदि जिलों से लाखो लीटर शराब आती है। जो देवरिया कुशी नगर, बलिया, महराजगंज होते हुए प्रदेष के अन्य जिलों में पहुंचाई जाती है। इस घटना में भी सहारनपुर में पकडे गए पकडे गए आरोपियों ने बताया कि 200 लीटर लाल पदार्थ (केमिकल) उपलब्ध हुआ था जिसमें 50 लीटर पानी और 50 लीटर लाल पदार्थ मिलाया गया था।

फोटो- सोशल मीडिया

हर साल 20 से 25 हजार लीटर अवैध शराब लखनऊ से होती है बरामद

एक अनुमान के अनुसार राजधानी लखनऊ में ही हर साल 20 से 25 हजार लीटर अवैध शराब बरामद की जाती है। आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हर साल लखनऊ में दो करोड लीटर देसी शराब की बिक्री की जाती है। जबकि 24 लाख लीटर अंग्रेजी शराब की बिक्री होती है। इसके बाद भी अवैध रूप से निर्मित देसी शराब की शौकीनों की संख्या में कोई कमी नहीं होती है।

आबकारी विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि प्रदेश में लगभग 28 हजार शराब के ठेके होने के बाद भी अधिकतर गरीब लोग गुड, महुवा और चावल तथा खमीर और यूरिया आदि से बनी शराब कम पैसे से लेकर अपना शौक पूरा करते हैं। ऐसी शराब 20 से 25 रुपए प्रति बोतल मिल जाती है। जबकि लाइसेंसी दुकान से यही देसी शराब की बोतल 350 रुपए के आसपास मिलती है। खास बात यह है कि इस शराब में नशा भी ज्यादा तेज होता है। इसलिए गरीब व्यक्ति इसी को ज्यादा तरजीह देते हैं।

Shashi kant gautam

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