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Lucknow News: कौन हैं राजा भैया और नन्दी, जिनके समर्थक एक-दूसरे के बने हैं जानी दुश्मन

कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी और रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के समर्थकों के बीच टकराव का मामला सामने आया है।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 18 Sept 2021 3:52 PM IST
Raja Bhaiya &  Nand Gopal Nandi
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रघुराज प्रताप सिंह और नंद गोपाल नंदी की डिजाइन तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ही राजनीतिक दल और एक ही इलाके में रहने वाले दो नेताओं के बीच आपसी मतभेद और टकराव (takrav) होना कोई नई बात नहीं है। फिर चाहे वह डॉ. अशोक वाजपेयी-नरेश अग्रवाल हो, डॉ. मुरली मनोहर जोशी-केशरी नाथ त्रिपाठी, विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह-कीर्तिवर्धन सिंह-बृजभूषण शरण सिंह अथवा श्रीप्रकाश जायसवाल-अजय कपूर क्यों न हों, यह वो सिलसिला है जो कई वर्षो से चला आ रहा है। यह रुकने का कभी नाम नहीं लेता है।

अब एक बार फिर इलाहाबाद में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी (Nand Gopal Nandi) और पूर्व कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) के समर्थकों के बीच टकराव (takrav) का नया मामला सामने आने के बाद इस बात पर फिर से बहस शुरू हो गयी है कि आखिर इन नेताओं के अहम आपस में क्यों टकराते हैं और सुलह के लाख प्रयासों के बाद भी इनके बीच मतभेद क्यों नहीं खत्म होते हैं।

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार की शाम को कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता (Nand Gopal Gupta) उर्फ नंदी के कोतवाली क्षेत्र में स्थित घर के बाहर उनकी तरफ से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर की गई अशोभनीय टिप्पणी को लेकर जमकर हंगामा हुआ। खुद को कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह (Raghuraj Pratap Singh) उर्फ राजा भैया का समर्थक बताने वाले पांच युवकों ने जमकर नारेबाज़ी की जिस पर वहां हड़कंप मच गया। मंत्री के खिलाफ नारेबाजी होते देख उनके समर्थक भड़क गए। उन्होंने नारेबाजी कर रहे युवकों को रोकने की कोशिश की। जिस पर दोनो पक्षों में टकराव हो गया। अब भले ही यह मामला सुलह समझौते की तरफ बढ रहा हो पर दोनो नेताओं के समर्थकों बीच यह मतभेद आगे और जा सकता है।

कौन है रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक क्षत्रिय नेता की पहचान बना चुके रघुराज प्रताप सिंह समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नजदीकी निर्दलीय विधायक रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले उन्होने जनसत्ता लोकतांत्रिक दल का गठन भी किया पर इस चुनाव में उनके दल को मुंह की खानी पड़ी। इसके पहले वह 1993 से लेकर अब तक प्रतापगढ की कुंडा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक के तौर पर वह चुनाव जीतते आ रहे हैं। राजपूत भदरी रियासत के उदय प्रताप सिंह के बेटे राजा भैया हैं। इनके परिवार का राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से भी गहरा नाता रहा है।

इलाहाबाद में अपनी पढ़ाई करने वाले राजा भैया जब पहली बार विधायक बने तब उनकी उम्र मात्र 26 साल की थी। इस चुनाव से पहले कांग्रेस के नियाज हसन यहां से लगातार जीतते आ रहे थें जो यूपी विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 1997 में कल्याण सिंह की सरकार में राजा भैया पहली बार मंत्री बने। फिर जब मुलायम सिंह की उत्तर प्रदेश में सरकार बनी तो उसमें वह खाद्य एवं रसद मंत्री बने। इसके पहले वह रामप्रकाश गुप्त और राजनाथ सिंह की सरकार में भी मंत्री रहे।

रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की दबंगई के कई किस्से मीडिया की सुर्खिया बन चुके हैं पर मायावती सरकार में उनको अपने पिता के साथ जेल भी जाना पडा। 2012 की सरकार में भी मंत्री रहते हुए सीओ जिया-उल- हक की हत्या के मामले में नाम आने पर उन्हे अपने पद से इस्तीफा भी देना पडा था। मीडिया में एक समय राजा भैया के बारे में कहा गया कि उनके तालाब में घडियाल पले हैं जिनमें वह अपने दुश्मनों को मारकर फेंक देते हैं।

इसके बाद एक दिसम्बर, 2002 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने राजा भैया और उनके पिता उदय प्रताप सिंह के खिलाफ डकैती और घर कब्जा करने के आरोप में मुकदमा दायर कर दिया। इसके बाद 25 जनवरी, 2003 के घर पर छापा पडा तो कई हथियार और विस्फोटक बरामद हुए। उनपर हत्या का भी मुकदमा दर्ज हुआ। फिर 5 मई, 2003 को उनके और पिता के अलावा चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह के खिलाफ पोटा के तहत कार्रवाई हुई । बाद में 17 दिसम्बर, 2005 को वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिहा हुए। इसके बाद वह समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन देते रहे और अखिलेश सरकार में फिर मंत्री बने।

कौन हैं नन्द गोपाल गुप्ता उर्फ नन्दी

उत्तर प्रदेश की राजनीति में नन्द गोपाल गुप्ता उर्फ नन्दी का राजनीतिक कैरियर बहुत लम्बा तो नहीं है पर कम समय की उन्होंने इस क्षेत्र में उचांईयों को छूने का काम किया है। साल 2007 में वह पहली बार बसपा से विधायक तो बने ही साथ में मायावती सरकार में मंत्री भी बने। इस बीच 2010 में उनके घर पर बमों से हमला किया गया। जिसका आरोप विधायक विजय मिश्र पर लगा।

जब उत्तर प्रदेश में वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव हुआ तो वह इलाहाबाद की दक्षिण सीट से समाजवादी पार्टी के हाजी परवेज अहमद से चुनाव हार गए। इसके बाद वह 2014 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़कर फिर हारे पर इस बीच उन्होने 2017 के चुनाव के पहले भाजपा से अपने तार जोडे। फिर से विधानसभा का टिकट पाकर चुनाव मैदान में उतरे और चुनाव जीतकर भाजपा विधायक तो बने ही साथ में कैबिनेट मंत्री का पद भी पाया।

कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता उर्फ नन्दी पर 2012 में इलाहाबाद के सिविल लाइन्स थाने पर बैंक मैनेजर को धमकाने का मुकदमा दर्ज हो चुका है। उन पर अपने साथियों समेत बैंक मैनेजर को धमकाने और नौकरी से निकलवाने का आरोप लगा। इसके अलावा दलित उत्पीडन के आरोप में भी वह फंस चुके हैं।

नन्द गोपाल गुप्ता उर्फ नन्दी के बारे में लोग बताते हैं कि राजनीति में आने के पहले एक दुकान में वह अनाज तौला करते थे। इसके लिए वह साइकिल से पैसा लेने के लिए दुकानदारों के यहां जाया करते थें। पर धीरे धीरे वह बडे व्यापारी बन गए। फिर मायावती से सम्पर्क कर विधानसभा का टिकट लेकर विधायक बने इसके बाद उनके जीवन में बडा बदलाव आ गया।



Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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