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Transgenic plant: कपास की खेती हुई आसान, किसानों को नहीं होगा नुकसान

ट्रांसजेनिक प्लांट वह प्लांट होते हैं जिनमें किसी अन्य पौधे का गुण तकनीक के सहारे स्थानांतरित किया जाता है। उदाहरण के तौर पर कपास के पौधे में यह गुण नहीं था कि वह खुद को व्हाइटफ्लाई से बचा सके लेकिन फर्न नामक पौधे में यह गुण पाया जाता है।

Yogi Yogesh Mishra
Published on: 26 Aug 2021 3:17 PM IST
Cotton cultivation becomes easy, farmers will not suffer
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ट्रांसजेनिक प्लांट से कपास की खेती हुई आसान

Transgenic plant: भारत एक कृषि प्रधान देश है जहां की ज्यादातर आबादी कृषि पर ही निर्भर है। बहुत से वैसे किसान हैं जो व्यवसायिक खेती भी करते हैं जिसमें सबसे ज्यादा कपास की खेती किसानों द्वारा की जाती है। कपास की खेती की अगर बात की जाए तो सालाना 45 हज़ार करोड़ रुपए तक का कारोबार अनुमानित है। लेकिन कीट पतंगों तथा व्हाइटफ्लाई की वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ जाता है ऐसे में यह नुकसान लगभग 75% तक पहुंच जाता है। बीते कुछ वर्षों में देखा गया है कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व कुछ अन्य राज्यों में कपास की खेती करने वाले किसान व्हाइटफ्लाई के कारण हुए नुकसान को नहीं सहन कर पाए और किसानों ने आत्महत्या भी कर ली।

व्हाइटफ्लाई की समस्या को देखते हुए नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NBRI) ने एक ऐसा कपास का ट्रांसजेनिक पौधा इजात किया है जिसमें यह गुण मौजूद होता है कि वह खुद को व्हाइटफ्लाई से बचा सके।


न्यूज़ट्रैक की टीम ने एनबीआरआई के वैज्ञानिकों से बात की और जाना कि आखिर क्या खासियत है इस पौधे में और कैसे इसको बनाया गया। वैज्ञानिक पीके सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि बीते कुछ वर्षों में कपास की खेती करने वाले किसानों को व्हाइटफ्लाई की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा था वहीं हमने यह पाया कि हमारे एनवायरमेंट में कुछ ऐसे पौधे भी हैं जिनमें विशेष प्रोटीन होती है जो उन्हें व्हाइटफ्लाई से खुद को बचाने की क्षमता देती हैं। उन्हें पौधों से हमने उस प्रोटीन को बनाने वाले जीन के बारे में पता किया और उस जीन को कपास के पौधे में स्थानांतरित किया। इस प्रक्रिया के बाद देखा गया कि कपास के पौधे में भी वह प्रोटीन बनने लगी है जिससे कपास का पौधा खुद को व्हाइटफ्लाई से बचाने की क्षमता रख सकता है।


क्या होता है जीन-

किसी भी जीवित वस्तु या व्यक्ति में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले गुण के लिए जो जिम्मेदार होता है उसे ही जीन कहते हैं। यह जीन हमारे कोशिका के डीएनए का एक छोटा सा हिस्सा होता है जो किसी एक कार्य के लिए जिम्मेदार होता है और पीढ़ी दर पीढ़ी यह आगे बढ़ता रहता है। उदाहरण के तौर पर बच्चे का अपने माता-पिता के किसी एक भौतिक स्वरूप से उसका मिलना।



क्या होते हैं ट्रांसजेनिक प्लांट-

ट्रांसजेनिक प्लांट वह प्लांट होते हैं जिनमें किसी अन्य पौधे का गुण तकनीक के सहारे स्थानांतरित किया जाता है। उदाहरण के तौर पर कपास के पौधे में यह गुण नहीं था कि वह खुद को व्हाइटफ्लाई से बचा सके लेकिन फर्न नामक पौधे में यह गुण पाया जाता है। वैज्ञानिकों ने तकनीक के सहारे फर्न में पाए जाने वाले प्रोटीन को बनाने के लिए जिम्मेदार जीन का पता कर उसे कपास के पौधे में स्थानांतरित किया। बताते चलें जिस पौधे में यह प्रक्रिया की जाती है वह पौधा ट्रांसजेनिक पौधा कहलाता है।



वहीं इस फर्न पौधे की खोज करने वाले वैज्ञानिक डॉ अजीत सिंह ने बताया कि यह पौधा दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है जिसे हमने देश के अलग-अलग पहाड़ी क्षेत्रों से इकट्ठा किया और इसमें पाए जाने वाले उस जीन के बारे में पता किया जिससे वह प्रोटीन पैदा होती है जो व्हाइट फ्लाइ से पौधे को बचाती है। बताते चलें फर्न पौधे को नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में प्लांट हाउस के अंदर प्राकृतिक व अप्राकृतिक रूप दोनों से ही उगाया जाता है।



Shashi kant gautam

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