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अफीम से बने ड्रग्स की डिमांड बढ़ी, लखनऊ जैसे महानगरों में युवाओं व युवतियों के बीच बढ़ रहा है इसका प्रचलन

Lucknow News: लखनऊ की एसटीएफ ने अफीम तस्करों (Afeem taskar giraftar) को गिरफ्तार किया था।

Sandeep Mishra
Report Sandeep MishraPublished By Ragini Sinha
Published on: 22 Nov 2021 6:19 PM IST
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अफीम से बने ड्रग्स की डिमांड बढ़ी  (Social Media)

Lucknow News: राजधानी, नशे के मफियावाद का प्रमुख गढ़ बनती जा रही है। अभी दो दिन पूर्व ही लखनऊ की एसटीएफ ने अफीम तस्करों (Afeem taskar giraftar) को गिरफ्तार किया था। आज फिर थाना अलीगंज पुलिस ने दो अफीम तस्करों को अभी कुछ देर पहले गिरफ्तार किया है।इन दोनों अफीम तस्करों (Afeem taskar)के नाम बलबीर वर्मा व दीनानाथ दांगी बताये गए हैं।इनके पास से लाखों रुपये की कीमत की अफीम की खेप बरामद हुई है।ये दोनों उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अलावा झारखंड में भी अफीम सप्लाई (jharkhand main afeem ki taskari) करते थे।पुलिस की पूछताछ में इन दोनों अफीम तस्करों ने बताया कि वे लोग इस अफीम की खेप को झारखंड में सप्लाई करने जा रहे थे।


अफीम से बनते कई ड्रग्स

गिरफ्तार किये गए इन दोनों तस्करों ने बताया कि अफीम से कई तरह के ड्रग्स का निर्माण राजधानी में ही किया जा रहा है।अफीम से स्मैक, हीरोइन, कोकीन व एमडीएम ड्रग्स तैयार की जाती है जो राजधानी समेत उत्तर प्रदेश के कई महानगरों में सम्पन्न होने वाली हाइप्रोफाइल पार्टियों में इसका प्रयोग किया जाता है।


अफीम से बने ड्रग्स से शरीर को मिलती है कृत्रिम ऊर्जा

गिरफ्तार इन अफीम तस्करों ने बताया कि अफीम में रासायनिक पदार्थ मिलाकर जो ड्रग्स तैयार की जाती है।उसके सेवन करने से युवाओं के शरीर मे एक तरह की कृत्रिम ऊर्जा बढ़ जाती है।इसीलिये आज का युवा अफीम से बने ड्रग्स का उपभोग भारी मात्रा में कर रहा है।इन गिरफ्तार अफीम तस्करों की मानें तो अफीम से बने स्मैक, हीरोइन, कोकीन व एमडीएम ड्रग्स का उपभोग करने से शरीर की चेतना तरंगित होकर मदहोशी व आंनद का अहसास युवाओं को कराती है।इसीलिए अफीम से बने ड्रग्स का प्रचलन रेव पार्टियों में इस समय अत्यधिक किया जा रहा है।

राजस्थान से होती है अफीम की तस्करी

यूपी में तो अब अफीम की खेती पर बैन लगा हुआ है लेकिन राजस्थान प्रान्त के किसान अभी भी अफीम की खेती करते हैं।एक जानकारी के मुताबिक तो राजस्थान के किसानों को तो अफीम की खेती के लिये पट्टे भी दिए गए हैं।राजस्थान प्रान्त के चित्तौड़गढ़ व मंदसौर में तो बकायदा अफीम के खेत देखने को मिल जाएंगे।सरकारी नियम के मुताबिक खेत मे तैयार की गई अफीम पर सबसे पहला हक राजस्थान सरकार का होता है।अफीम की खेती राजस्थान में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रयोग के लिये की जाती है लेकिन यहां के माफिया टाइप के किसान सरकार को तय स्टॉक देने के बाद बाकी बची अफीम को तस्करों के हवाले कर देते हैं जिसकी उन्हें एक अच्छी कीमत मिल जाती है।एक जानकारी के मुताबिक राजस्थान में अफीम की सरकारी खरीद 1700 रुपये से लेकर 2500 रुपये प्रति किलो है जबकि इन किसानों को तस्कर एक लाख रुपये प्रति किलो के हिसाब से कीमत दे देते हैं।

अफीम से बने ड्रग्स की गिरफ्त में है महानगर का युवा

गिरफ्तार अफीम तस्करों ने पुलिस को बताया कि राजस्थान के किसान सरकार की आंखों में धूल झोंक कर मानक से अधिक अफीम का उत्पादन अपने खेतों में करते हैं।सरकार को तय मानक के अनुसार अफीम देने के बाद ये किसान तस्करों के देने के लिये अफीम जमीन में गाड़ कर रखते हैं।जो हर आदमी के लिये नहीं निकाली जाती है।जो उन किसानों के नियमित थोक से खरीदने वाले तस्कर होते हैं उन्हीं के लिये यह अफीम उपलब्ध रहती है।इस गिरफ्तार तस्करों का कहना है कि लखनऊ जैसे महानगरों के युवक व युवतियां सीधे अफीम का उपभोग नहीं करते हैं।वे अफीम से बने ड्रग्स का ही प्रयोग करते हैं।इन तस्करों ने पुलिस को बताया कि हम लोग पहले अफीम की खरीददारी कर फिर उसे रसायनिक पदार्थो की मदद से उस अफीम को स्मैक, कोकीन, हीरोइन व एमडीएम में तब्दील कर फिर इन्हें सप्लाई करते हैं।इन तस्करों ने बताया कि अफीम से बने ये ड्रग्स 1000 रुपये से लेकर 2500 रुपये प्रति ग्राम के हिसाब से रेव पार्टियों में सप्लाई की जाती है।इन तस्करों ने बताया कि अफीम से बने ड्रग्स के लिए कहीं घूमना नहीं पड़ता है।आज के युवा खुद इसकी सप्लाई के ऑर्डर देते हैं।

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Ragini Sinha

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