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Medical News: कुष्ठ रोगियों की सेवा में समर्पित लखनऊ के डॉ विवेक
Lucknow News: कहा जाता है कि अच्छे लोगों की वजह से दुनिया चल रही है। ऐसे ही एक भले इंसान हैं डॉ. विवेक कुमार। लखनऊ के डॉ. विवेक 1990 से कई संगठनों के साथ स्किन आउटडोर क्लीनिक चला रहे हैं।
Lucknow News: कहा जाता है कि अच्छे लोगों की वजह से दुनिया चल रही है। ऐसे ही एक भले इंसान हैं डॉ. विवेक कुमार। लखनऊ के डॉ. विवेक 1990 से कई संगठनों के साथ स्किन आउटडोर क्लीनिक चला रहे हैं। ये पूरी तरह मुफ्त सेवा है। डॉ विवेक इस क्लीनिक में सप्ताह के पांच दिन पूरा समय देते हैं। डॉ विवेक का कहना है कि डॉक्टरों को कम से कम एक गांव गोद लेकर धर्मार्थ कार्य करना चाहिए। डॉ विवेक पिछले 28 साल से कुष्ठ रोगियों का इलाज भी कर रहे हैं। इसे वे मानवता की सेवा मानते हैं।
डॉ. विवेक ने बताया कि उन्होंने कभी भी किसी से परामर्श शुल्क या आने जाने का खर्चा नहीं लिया है। उन्होंने अपनी धर्मार्थ सेवा का एक नायाब रूटीन बनाया हुआ है जिसके तहत दिन की शुरुआत रोगियों को देखने से होती है। वह एक ही शिफ्ट में 30 से 40 रोगियों की समस्याओं से मुखातिब होते हैं। फिर दोपहर और शाम को निजी प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं।
डॉ विवेक के अनुसार वे सुबह से काम करना शुरू कर देते हैं क्योंकि सुबह के समय वे अपने आप को सबसे ज्यादा ऊर्जावान, तरोताजा और प्रोडक्टिव पाते हैं। डॉ विवेक ने बताया कि सुबह की शुरुआत मुफ्त रोगियों को देखने के साथ होती है। उनका कहना है कि उनका दैनिक रूटीन मानवता के प्रति उनकी सेवा का हिस्सा है।
डॉ विवेक मोहनलालगंज स्थित मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी लेप्रोसी रिहैबिलिटेशन सेंटर से 28 साल से जुड़े हुए हैं। वे यहां प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को स्किन ओपीडी संचालित करते हैं जिसमें हर विजिट में 30 से 40 मरीजों को मुफ्त परामर्श दिया जाता है। लोगों की सुविधा के लिए प्रत्येक क्लिनिक एक समय पर एक ही जगह और एक निश्चित दिन संचालित की जाती है।
इस सेंटर में कुष्ठ रोगियों के लिए 100 बेड का अस्पताल भी है। इस समय यहां 80 मरीज भर्ती हैं। यहां एक कुष्ठ पुनर्वास केंद्र, एक निवासी मोची और शिशु भवन भी है। यहां पहले एक कपड़ा बनाने का करघा भी था जिसमें कुष्ठ रोगियों के लिए कपड़े बनाये जाते थे। डॉ विवेक कहते हैं कि फार्मा कंपनियां उनके काम में बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
ये कंपनियां सभी गतिविधियों में भागीदारी करती हैं और निर्धन मरीजों को बड़ी तादाद में मुफ्त सैंपल प्रदान करती हैं।इसके अलावा उनके द्वारा कुष्ठ रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए रोगियों को स्वास्थ्य शिक्षा की जानकारी प्रदान की जाती है। जैसे-जैसे कुष्ठ रोगियों को शिक्षित किया जाता है, वे कुष्ठ रोग से जुड़ी भ्रांतियों को समाप्त करने के अच्छे संदेशवाहक बन जाते हैं।