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UP Election: मुस्लिम वोटरों पर बीजेपी की नजर, सबसे बड़े इस्लामिक सेंटर देवबन्द से साधने की कोशिश

मुस्लिमों के सबसे प्रमुख स्थलों में से एक देवबंद दारुल उलूम में बीजेपी का यह पहला बड़ा सम्मेलन होने जा रहा है।

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 9 Dec 2021 12:40 PM IST
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देवबंद (फोटो-सोशल मीडिया)

Lucknow: 2022 के चुनाव में दोबारा सत्ता में वापसी के लिए भाजपा हर वह हथकंडे अपना रही है जिससे उसे सियासी लाभ हो सके। सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी(BJP) के नेता अब मुस्लिमों को भी अपने पाले में करने की कोशिश में लग गए हैं। इसी क्रम में यूपी में मुस्लिमों के सबसे बड़े शैक्षिक इस्लामिक सेंटर (Most important places of Muslims) में बड़ी बैठक होने जा रही है।

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा (BJP Minority Morcha) आज देवबंद में अल्पसंख्यक सम्मेलन के जरिये मुस्लिमों को पार्टी से जोड़ने की कवायद करेंगे। जिसमें साबिर अली और वाजिद अली अपने समाज के लोगों को भारतीय जनता पार्टी की नीतियों की उन्हें जानकारी देंगे और बीजेपी सरकार(BJP Government) द्वारा उनके चलाई जा रही योजनाओं के भी बारे में बतायेंगे।

पहली बार हो रहा सम्मेलन
(Darul Uloom Deoband mein Sammelan

मुस्लिमों (Most important places of Muslims) के सबसे प्रमुख स्थलों में से एक देवबंद दारुल उलूम (Darul Uloom Deoband mein BJP) में बीजेपी का यह पहला बड़ा सम्मेलन होने जा रहा है। इससे पहले बीजेपी का ऐसा कोई सम्मेलन वहां नहीं हुआ था। 2022 के चुनाव को देखते हुए जहां सपा, बसपा, कांग्रेस और ओवैसी उन्हें साधने में लगे हैं तो भारतीय जनता पार्टी भी इससे पीछे नहीं रहना चाहती।

वह भी मुस्लिमों को अपने पाले में लाने के लिए अब यह सम्मेलन करने जा रही है। जिसके जरिए उन्हें पार्टी से जोड़कर हिंदुओं के साथ मुस्लिमों का भी वोट हासिल कर सत्ता में वापसी की राह आसान हो सके।

देवबंद का क्या है महत्व?
Deoband Ka Kya Mahatva

देवबन्द उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले में स्थित एक नगर है।यह देश की दिल्ली दिल्ली से लगभग 150 किमी दूर है। यह सहारनपुर और मुज़फ़्फ़रनगर जिले के बीच स्थित है। सहारनपुर से यह 52 किमी और मुज़फ़्फ़रनगर से 24 किमी दूर है।

फोटो- सोशल मीडिया

देवबंदी सुन्नी इस्लाम के हनफ़ी पन्थ की एक प्रमुख विचारधारा है। जिसमें कुरआन व शरियत का कड़ाई से पालन करने पर ज़ोर है। दारुल उलूम देवबन्द विश्व में इस्लामी शिक्षा का दूसरा बड़ा केन्द्र है।

इसके अनुयायी इसे एक शुद्ध इस्लामी विचारधारा मानते हैं। ये इस्लाम के उस तरीके पर अमल करते हैं, जो अल्लाह के नबी हजरत मुहम्मद साहब लेकर आये थे, तथा जिसे ख़ुलफ़ा-ए-राशिदीन (अबु बकर अस-सिद्दीक़​, उमर इब्न अल-ख़त्ताब​, उस्मान इब्न अफ़्फ़ान​ और अली इब्न अबू तालिब​), सहाबा-ए-कराम, ताबेईन ने अपनाया तथा प्रचार-प्रसार किया।

देवबंदी सुन्नी इस्लाम (मुख्य रूप से हनफी) के भीतर एक पुनरुद्धारवादी आंदोलन है।यह भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में केंद्रित है, जो यूनाइटेड किंगडम में फैल गया है, और दक्षिण अफ्रीका में इसकी उपस्थिति है। यह नाम देवबंद , भारत से निकला है, जहां स्कूल दारुल उलूम देवबंद स्थित है।

1867 में हुई थी स्थापना
Darul Uloom Deoband Establishment

इसकी 1867 में स्थापना हुई थी।इस्लामी दुनिया में दारुल उलूम देवबन्द का एक विशेष स्थान है जिसने पूरे क्षेत्र को ही नहीं, पूरी दुनिया के मुसलमानों को प्रभावित किया है। दारुल उलूम देवबन्द केवल इस्लामी विश्वविद्यालय ही नहीं एक विचारधारा है,इस्लाम को अपने मूल और शुद्ध रूप में प्रसारित करता है। इसलिए मुसलमानों में इस विचाधारा से प्रभावित मुसलमानों को "देवबन्दी" कहा जाता है।

देवबन्द उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण नगरों में गिना जाता है जो आबादी के लिहाज़ से तो एक लाख से कुछ ज़्यादा आबादी का एक छोटा सा नगर है। लेकिन दारुल उलूम ने इस नगर को बड़े-बड़े नगरों से भारी व मशहूर बना दिया है, जो न केवल अपने गर्भ में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि रखता है।

देवबन्द इस्लामी शिक्षा व दर्शन के प्रचार के व प्रसार के लिए संपूर्ण संसार में प्रसिद्ध है।इस्लामी शिक्षा एवं संस्कृति में जो एकता हिन्दुस्तान में देखने को मिलती है उसका सीधा-साधा श्रेय देवबन्द दारुल उलूम को जाता है।

यह मदरसा मुख्य रूप से उच्च अरबी व इस्लामी शिक्षा का केंद्र बिन्दु है। दारुल उलूम ने न केवल इस्लामिक शोध व सहित्य के संबंध में विशेष भूमिका निभाई है, बल्कि भारतीय समाज व पर्यावरण में इस्लामिक सोच व संस्कृति को नवीनतम सोच प्रदान किए ।



Vidushi Mishra

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