Shivpal Akhilesh News:जब अखिलेश की जिद के आगे बेबस हो गए थे चाचा शिवपाल, ताजमहल देखकर ही माने

शिवपाल यादव ने एक इंटरव्यू में कहा कि “टीपू (अखिलेश के घर का नाम) जब सातवीं में पढ़ते थे, तब हम और हमारी पत्नी छुट्टियों के बाद उन्हें छोड़ने धौलपुर गए थे। तब टीपू ने ताजमहल दिखाने की जिद की थी। काफी समझाने के बाद भी वो नहीं माने। आखिरकार उस जिद के आगे हमें झुकना पड़ा और ताजमहल दिखाने ले गए।”

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Report amanPublished By Deepak Kumar
Published on: 10 Oct 2021 3:53 AM GMT
Former UP CM Akhilesh Yadav and his uncle Shivpal Yadav
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यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव व शिवपाल यादव। (Social Media)

Shivpal Akhilesh News: राजनीति और उससे जुड़े लोगों के किस्सों में आज बात यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh yadav) और उनके चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) की। वर्तमान समय में चाचा-भतीजे के रिश्ते भले ही जो हों। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के रिश्ते आज भले ही नदी के दो किनारों की तरह हैं। मगर एक वक्त ऐसा भी था, जब अखिलेश चाचा शिवपाल की उंगलियां पकड़कर चलना सीखे थे। घर से बाहर कदम रखते ही चाचा साथ देने को तैयार रहते थे।

समाजवादी आंदोलन के समय में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का अधिकतर समय घर से दूर राजनीति करते, आंदोलनों में और जेल जाते बीता था। उस समय बालक अखिलेश बड़े हो रहे थे, तब चाचा शिवपाल (Chacha Shivpal Singh Yadav) ही थे, जो उनका ख्याल रखते थे।


अखिलेश से दूरी को याद कर भावुक हो गए 'नेताजी' (Mulayam Singh Yadav Story)

मुलायम सिंह अपने उन संघर्षपूर्ण दिनों को याद करते हुए एक इंटरव्यू में भावुक हो गए थे। मुलायम ने उनकी जिंदगी के उन सबसे तकलीफदेह लम्हों को याद करते हुए इमरजेंसी के दौर को याद किया। बताया कि "मेरा बेटा अखिलेश तब तीन साल का हो गया था। वह अपने पिता से मिला भी नहीं था। क्योंकि तब मैं जेल में था। जिस समय बेटे को अपने पिता की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। सरकार ने आपातकाल की वजह से मुझे जेल में डाल दिया था। ये बात बेटे के लिए दुर्भाग्यपूर्ण तो थी ही, एक पिता के लिए भी तकलीफदेह भी।"

चाचा शिवपाल ने उठाया जिम्मा (Shivpal Yadav Story)

तब जब पिता मुलायम सिंह समाजवादी आंदोलन ( Samajwadi movement) का झंडा बुलंद कर रहे थे, तब ऐसे वक्त में बेटे अखिलेश को संभालने का जिम्मा उठाया था चाचा शिवपाल यादव ने। यह किस्सा तब का है जब अखिलेश यादव छठी क्लास में पढ़ते थे। तब चाचा शिवपाल ने उनका दाखिला, धौलपुर के सैनिक स्कूल में करवाया था। शिवपाल खुद हर महीने अखिलेश से मिलने धौलपुर जाया करते थे।


टीपू की ताजमहल दिखाने की जिद

अपने एक इंटरव्यू में शिवपाल यादव बताते हैं कि "टीपू (अखिलेश के घर का नाम) जब सातवीं में पढ़ते थे, तब हम और हमारी पत्नी छुट्टियों के बाद उन्हें छोड़ने धौलपुर गए थे। अखिलेश ने तब चाचा-चाची से ताजमहल दिखाने की जिद की थी। काफी समझाने के बाद भी वो नहीं माने। आखिरकार उस जिद के आगे हमें झुकना पड़ा और हम सब पहले ताजमहल देखने गए…।" आज भी बालक अखिलेश की चाचा शिवपाल संग ताजमहल के सामने की तस्वीर परिवार के एलबम में संभालकर रखी हुई है।

अखिलेश की इंग्लिश थी कमजोर

शिवपाल ने एक दफे बताया था कि धौलपुर सैनिक स्कूल में अखिलेश का दाखिला करवाना इतना भी आसान नहीं था। क्योंकि उनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं थी। ऐसे में चाचा शिवपाल और पिता मुलायम सिंह ने उनकी अंग्रेजी मजबूत करने पर खासा जोर दिया। अलग से एक शिक्षक रखा गया। आखिरकार मेहनत रंग लायी। सबकी कोशिशों और अखिलेश की कड़ी मेहनत के बात उनका सैनिक स्कूल में दाखिला हो गया।


तब टीपू ने दिया था सही जवाब

शिवपाल यादव बताते हैं, "धौलपुर सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा में टीपू से सवाल पूछा गया था कि हेलमेट का क्या काम है? इसके जवाब में अखिलेश ने कहा कि यह शरीर की रक्षा के लिए जरूरी है। क्योंकि हेलमेट से हमारे दिमाग की हिफाजत होती है..।" अखिलेश के इसी जवाब ने न सिर्फ उन्हें दाखिला दिलवाया। बल्कि अंग्रेजी बोलने को लेकर उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ाया। आज बतौर राजनेता अखिलेश यादव अंग्रेजी बोलते देखे जा सकते हैं।

साल 2016 के आखिरी महीनों में यादव परिवार में राजनीतिक कलह शुरू हुआ था। जिसके बाद चाचा शिवपाल यादव और भतीजे अखिलेश यादव के रास्ते बिलकुल जुदा हो गए। शिवपाल ने समाजवादी पार्टी को छोड़ अपनी अलग पार्टी बना ली। हालांकि शिवपाल की पार्टी कोई बड़ा कारनामा नहीं कर पाई। उत्तर प्रदेश में आगामी महीनों में एक बार फिर विधानसभा चुनाव होने हैं। देखना है कि चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश की जुदा राहें क्या फिर एक होंगी।

Deepak Kumar

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