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Acharya Pramod Krishnam: कौन हैं प्रमोद कृष्णम, क्या शिवपाल को कांग्रेस की ओर ले जाएंगे

Acharya Pramod Krishnam : उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय होने के साथ ही कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकारों में शुमार हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम की राजनीति शुरू से भाजपा विरोध की रही है।

Akhilesh Tiwari
Written By Akhilesh TiwariPublished By Vidushi Mishra
Published on: 12 Oct 2021 11:08 AM GMT
Acharya Pramod Krishnam
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आचार्य प्रमोद कृष्णम (फोटो- सोशल मीडिया)

Acharya Pramod Krishnam : क्या अखिलेश यादव व शिवपाल यादव की राहें जुदा हो गयी हैं। शिवपाल यादव की सामाजिक परिवर्तन यात्रा (Shivpal Yadav Ki Samajik Parivartan Yatra) व अखिलेश यादव की समाजवादी विजय यात्रा (Akhilesh Yadav Ki Samajwadi Rath Yatra) के शुरूआत के साथ ही इस सवाल का जवाब लोगों को मिलना शुरू हो गया है। पर जब शिवपाल यादव के रथ पर आचार्य प्रमोद कृष्णम(Kaun Hai Acharya Pramod Krishnam) दिखे तब राहें जुदा होने के सवाल का न केवल जवाब मिला।


बल्कि यह भी पता चल गया कि शिवपाल की इस यात्रा की मंज़िल किस ओर है। हालाँकि शिवपाल व प्रमोद कृष्णम के निजी रिश्ते बहुत गहरे है। पर शायद यह किसी से न छिपा हो कि प्रमोद कृष्णम की राजनीतिक प्रतिबद्धता क्या है?

प्रमोद कृष्णम का शिवपाल सिंह यादव से करीबी रिश्ता (Shivpal Singh Yadav Acharya Pramod Krishnam ka Rishta)

एक ऐसे समय जब शिवपाल सिंह गठबंधन की उम्मीद में सपा को लंबा टाइम दे चुके हों , उनकी तैयारी राज्य के सभी विधानसभा सीटों पर उतरने की नहीं दिख रही हो और कांग्रेस उम्मीदवारों का टोटा झेल रही हो तब प्रमोद कृष्णन की उपस्थिति के मायने महज़ निजी नहीं पढ़ें जा सकते हैं।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय होने के साथ ही कांग्रेस के प्रमुख रणनीतिकारों में शुमार हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम की राजनीति शुरू से भाजपा विरोध की रही है। संभल के निकट कल्कि पीठ की स्थापना करने वाले प्रमोद कृष्णम का शिवपाल सिंह यादव से करीबी रिश्ता (Acharya Pramod Krishnam Ka Shivpal Singh Yadav Se Kareebi Rista) है।

प्रियंका गांधी प्रमोद कृष्णम (फोटो- सोशल मीडिया)

पिछली सरकार में शिवपाल सिंह यादव ने तब प्रमोद कृष्णम के गाजियाबाद स्थित घर पहुंचकर अपनी करीबी रिश्तों का प्रदर्शन किया था जब प्रमोद कृष्णम आपराधिक मुकदमों को लेकर कानूनी दांव—पेंच में फंसे हुए थे। लखनऊ से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले प्रमोद कृष्णम को प्रियंका गांधी ने अपना विशेष सलाहकार बनाया है।

आचार्य प्रमोद कृष्णम का जन्म स्थान (Acharya Pramod Krishnam Ka Janm Sthan)

आचार्य प्रमोद कृष्णम मूल तौर बिहार निवासी (Acharya Pramod Krishnam Bihar Ke Rehne Vale) हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने (UP Election 2022) के दौरान दाखिल शपथपत्र में उन्होंने अपने पिता का नाम जसवंत सिंह (Acharya Pramod Krishnam Ke Pita Ka Naam Jaswant Singh) बताया है। कलयुग के ईश्वर अवतार कल्कि भगवान की अवधारणा को आधार बनाकर उन्होंने संभल के निकट कल्कि धाम और पीठ की स्थापना की। खुद को पीठाध्वीशर बताया।

धार्मिक गतिविधियों के साथ ही उनकी राजनीतिक सक्रियता भी कमी कम नहीं हुई। कल्कि पीठ पर होने वाले सालाना उत्सव में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता पहुंचते रहे हैं। इसका जोर—शोर से प्रचार भी होता रहा।

समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव के ​साथ उनकी निकटता हमेशा सभी की नजरों में रही। पर उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को समाजवादी पार्टी (Acharya Pramod Krishnam Ko Samajwadi Party Mein Nahi Mili Jagah) में स्थान नहीं मिल पाया । वह कांग्रेस के साथ चले गए।

कांग्रेस में जब पुराने नेताओं ने राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती देना शुरू किया तो आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राहुल और प्रियंका का दामन थाम (Acharya Pramod Krishnam Rahul Gandhi Priyanka Gandhi Ke Sath) लिया। इसका उन्हें फायदा भी मिला। लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस ने उन्हें लखनऊ से प्रत्याशी (Acharya Pramod Krishnam Lucknow Se Congress Pratyasi) बनाया और प्रियंका गांधी ने अपने विशेष सलाहकार ( Priyanka Gandhi Ke Visesh Salahkaar Acharya Pramod Krishnam ) का दर्जा दिया।

राजधानी लखनऊ में ऐसे मौके भी आए जब पत्रकारवार्ता के दौरान प्रियंका गांधी को पर्ची लिखकर सार्वजनिक तौर पर सलाह देते हुए वे देखे गए। पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस के प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल समेत सभी पदाधिकारियों का सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा मांग लिया।

तब उन्होंने कहा था कि चुनाव में जीत दिलाने की जिम्मेदारी पार्टी के प्रभारी व जिम्मेदार पदाधिकारियों की होती है। अगर चुनाव में हार होती है तो पार्टी पदाधिकारियों को नैतिक जिम्मेदारी लेकर अपने पद छोड़ने चाहिए। वह इस बहाने राहुल गांधी के उस इस्तीफे की याद दिला रहे थे, जो चुनाव में हार के बाद राहुल ने दिया था।

शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात के राजनीतिक मायने (Shivpal Singh Yadav Acharya Pramod Krishnam ki mualakat)

प्रियंका गांधी का विशेष सलाहकार होने के साथ ही आचार्य प्रमोद कृष्णम का शिवपाल सिंह यादव से करीबी रिश्ता भी जगजाहिर है। शिवपाल सिंह यादव ने मंगलवार को जब अपनी चुनावी यात्रा शुरुआत की तो आचार्य प्रमोद कृष्णम भी साथ में दिखाई दिए।

आचार्य प्रमोद कृष्णम भी साथ में दिखाई दिए (फोटो- सोशल मीडिया)

अखिलेश यादव (Acharya Pramod Krishnam Akhilesh Yadav) के साथ तालमेल की संभावना को यात्रा शुरू करने से पहले ही शिवपाल सिंह यादव भी खारिज कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पांच गांव मांगे थे । लेकिन नहीं मिले। इसलिए अब धर्मयुद्ध होगा।

ऐसे में माना जा रहा है कि शिवपाल यादव से प्रमोद कृष्णम की मुलाकात यूपी की राजनीति में नए गुल खिला सकती है। वह कांग्रेस के साथ शिवपाल सिंह यादव की पार्टी का तालमेल करा सकते हैं।

राजनीतिक हल्कों में यह भी चर्चा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी शिवपाल सिंह यादव के साथ कांग्रेस के तालमेल के आसार बने थे । लेकिन समाजवादी पार्टी—बसपा गठबंधन की मजबूती के तर्क ने इसे साकार नहीं होने दिया। ऐसे में बहुत मुमकिन है कि इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और शिवपाल की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़ें।

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Vidushi Mishra

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