UP Election 2022: भोजपुरी कलाकारों को सपा से जोड़ेंगे अखिलेश यादव, पूर्वांचल की 156 सीटों पर है नजर

UP Election 2022: यूपी में पूरी तरह से चुनावी माहौल सज गया है, सभी दलों ने अपने-अपने दांव पेंच खेलने शुरू कर दिये हैं।

Rahul Singh Rajpoot
Report Rahul Singh RajpootPublished By Shweta
Published on: 11 Sep 2021 4:11 PM GMT (Updated on: 11 Sep 2021 4:13 PM GMT)
अखिलेश यादव, खेसारी लाल यादव और भोजपुरी अभिनेत्री काजल निषाद
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अखिलेश यादव, खेसारी लाल यादव और भोजपुरी अभिनेत्री काजल निषाद ( डिजाइन फोटोः सोशल मीडिया)

UP Election 2022: यूपी में पूरी तरह से चुनावी माहौल सज गया है, सभी दलों ने अपने-अपने दांव पेंच खेलने शुरू कर दिये हैं। समाजवादी पार्टी भी अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए मिशन 2022 को फतह करने की कोशिशों में लगी हुई है। लगातार समाजवादी पार्टी के बढ़ते कुनबे से जहां उनके कार्यकर्ता और नेता गदगद हैं तो वहीं सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की नजर हर उस व्यक्ति पर है जो पार्टी को जीत दिलाने में अहम रोल निभा सकता है। 'बाइस में बाइसिकल' को तेजी से दौड़ाकर सत्ता तक पहुंचाने के लिए वह एक नई रणनीति तैयार कर बीजेपी को टक्कर देने की सोच रहे हैं क्योंकि बीजेपी पहले ही इस फॉर्मूले को आजमा चुकी है।

बता दें कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव की नजर पूर्वांचल पर टिकी है। पूर्वांचल के लिए यह कहा जाता है कि यहां जिसे ज्यादा सीटें मिलीं वह यूपी की सत्ता पर काबिज हो जाता है। इसी के मद्देनज़र अखिलेश यादव ने 'बाइस में बाइसिकल' की फतह के लिए भोजपुरी कलाकारों को पार्टी से जोड़ने की योजना बनाई है। बीजेपी ने भोजपुरी के तीन बड़े स्टार मनोज तिवारी, रवि किशन और दिनेश यादव उर्फ निरहुआ को अपने साथ कर पूर्वांचल में कमल खिलाया था। अब अखिलेश यादव भी यहां साइकिल की रेस को बढ़ाने में लग गए हैं।

सपा के साथ खेसारी लाल यादव

अखिलेश यादव संग खेसारी लाल यादव ( फोटोः सोशल मीडिया)

बता दें अभी कुछ ही महीने पहले भोजपुरी स्टार और गायक खेसारी लाल ने अखिलेश यादव से मुलाकात कर सपा ज्वाइन की थी। अभी चंद रोज पहले गोरखपुर की रहने वाली भोजपुरी अभिनेत्री काजल निषाद ने भी साइकिल की सवारी की है। काजल निषाद कांग्रेस के टिकट पर गोरखपुर से चुनाव लड़ चुकी हैं। अब 22 में सपा के लिए वोट मांगती दिखाई देंगी। सपा में शामिल होने के बाद खेसारी लाल यादव ने कहा था वह अखिलेश के साथ हर समय कदम से कदम मिलाकर खड़े हैं। तब से ये अनुमान लगाया जा रहा था कि समाजवादी पार्टी भोजपुरी सितारों को साथ लेकर चलने जा रही है।

आजमगढ़ से सांसद हैं अखिलेश यादव

अखिलेश सिंह यादव (फोटोः सोशल मीडिया)

2014 में मोदी लहर के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ में बीजेपी के विजय रथ को रोक कर जीत हासिल की थी तो वहीं 2019 में इस जीत को अखिलेश यादव ने भी बरकरार रखा। बीजेपी बड़ी रणनीति के तहत भोजपुरी स्टार दिनेश लाल निरहुआ को मैदान में उतारा था । लेकिन वह भी अखिलेश यादव को नहीं हरा पाए। इस तरह आजमगढ़ मे सपा का दबदबा कायम रहा। अब 2022 में भी अखिलेश पूर्वांचल पर खास फोकस कर जहां अपने जनाधार को मजबूत कर रहे हैं तो वहीं भोजपुरी कलाकारों को पार्टी से जोड़कर उसे जीत में तब्दील करने की योजना पर भी काम करना शुरू कर दिया है।

सपा प्रवक्ता कपीश श्रीवास्तव ने क्या कहा

सपा प्रवक्ता कपीश श्रीवास्तव और अखिलेश यादव ( फोटोः ट्विटर )

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता कपीश कुमार श्रीवास्तव कहते हैं,"सपा का सदैव यह लक्ष्य रहा है कि चाहे वह हमारे लोक कलाकार हों अथवा भोजपुरी फिल्म के कलाकार हों या बालीवुड के कलाकार अथवा खिलाड़ी हों, कवि हों या साहित्यकार, वाद्य के विधा से जुड़े समस्त कलाकार एवं खिलाड़ियों का सदैव समाजवादी पार्टी ने सम्मान किया है। यश भारतीय सम्मान की शुरुआत भी समाजवादी पार्टी की सरकार ने कलाकारों के उत्साहवर्धन के लिए की थी। यह एक उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार की अनूठी पहल थी।" उसी क्रम में आज भी चाहे वह हमारे अदाकार हों, गीतकार हों, फिल्मकार हों, साहित्यकार हों अथवा खिलाड़ी हों, समाजवादी पार्टी सब के मान सम्मान की रक्षा भी करेंगी उनका उत्साहवर्धन भी करेंगी। पार्टी का टिकट भी देगी उन्हें, पार्टी से जुड़ेगी भी और उन्हें अपने पार्टी का पदाधिकारी भी बनायेगी।

भाजपा को नहीं पड़ेगा ज्यादा फर्क

रवि किशन और मनोज तिवारी (फोटोः सोशल मीडिया)

भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो उनके साथ मनोज तिवारी, गोरखपुर से सांसद रवि किशन, स्टार निरहुआ समेत कई कलाकार जुड़े हुए हैं। ऐसे में अगर समाजवादी पार्टी भोजपुरी कलाकारों को अपने पाले में लाने में सफल होती है तो उससे कहीं ना कहीं भाजपा को नुकसान जरूर होगा। हालांकि भाजपा का मानना है कि अखिलेश यादव के मिशन पूर्वांचल से उनकी पार्टी को कोई ज्यादा फर्क पड़ने वाला नहीं है।

जिसका पूर्वांचल उसकी सत्ता

यूपी के लिए यह कहा जाता है कि जिस पार्टी को पूर्वांचल के मतदाताओं का साथ मिल गया वह यूपी की सत्ता पर काबिज हो जाता है। यूपी के 75 जिलों में 26 जिले पूर्वांचल में आते हैं । यहां विधानसभा की 156 सीटें हैं, जबकि लोकसभा की 29 सीटें हैं। अगर 2017 के विधान सभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो भारतीय जनता पार्टी ने 156 में से 106 सीटों पर कब्जा किया था। वहीं समाजवादी पार्टी को 18, बसपा को 12, अपना दल को 8, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 4, कांग्रेस को 4 और निषाद पार्टी को 1 सीट पर जीत मिली थी, जबकि 3 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 29 में से 22 सीटें मिली थीं। सपा-बसपा गठबंधन को 6 सीटों पर जीत मिली थी। यहां कांग्रेस का खाता नहीं खुला था।

पूर्वांचल का जातीय गणित समझिए

पूर्वांचल के लिए राजनीतिक दलों ने जो जातिगत आंकड़े बनाए हैं, उसके तहत हरिजन, मुस्लिम और यादव मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। पटेल और राजभर कुछ सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं।

जातियों का प्रतिशत

दलित-20 से 21 प्रतिशत

मुस्लिम-15 से 16 फीसदी

यादव-6से 7 प्रतिशत

ब्राह्मण-10 से 12

राजपूत -6 से 7

कुर्मी-4 से 5 प्रतिशत

मौर्या (कोयिरी)-3 प्रतिशत

निषाद-2 प्रतिशत

राजभर -2से 3 प्रतिशत

सोनकर-1.5 प्रतिशत

नोनिया-1 से 2

कुम्हार-1 से 1.5 प्रतिशत

अन्य-12 से 13 प्रतिशत

यूपी के चुनाव में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा जब पार्टियां कलाकारों का सहारा लेकर विजय हासिल करने की जुगत में लगी हों। इससे पहले बीजेपी, सपा, कांग्रेस अपने चुनाव प्रचार या फिर सितारों को चुनावी रण में उतार कर जीत का दांव चलते रहे हैं। अब फिर से जब चुनाव की रणभेरी बज चुकी है तो जाहिर है जाति धर्म की राजनीति के बाद अब क्षेत्र वादी राजनीति भी उत्तर प्रदेश में पांव पसार रही है।

Shweta

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