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राजनीति के अपराधीकरण पर न्यायालय की चिंता:अपने अपराधी प्रवृत्ति वाले नेताओं की जानकारी वेबसाइट पर डालें दल

UP Elections: सत्तादल समेत अन्य सभी दलों की चल रही इन चुनावी तैयारियों के बीच प्रयागराज हाईकोर्ट (High Court) का एक बेहद अहम निर्णय भी आया है, जो आवाम में इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है।

Sandeep Mishra
Report Sandeep MishraPublished By Shweta
Published on: 23 Sep 2021 10:09 AM GMT (Updated on: 23 Sep 2021 10:26 AM GMT)
Allahabad High Court
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इलाहाबाद हाईकोर्ट (फोटोः सोशल मीडिया)

UP Elections: सूबे में आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव (UP Elections) बेहद नजदीक आते जा रहे हैं। सत्ताधारी दल भाजपा समेत सपा, बसपा कॉग्रेस समेत सभी छोटे बड़े दलों ने अपने अपने हिसाब से इन चुनाव की तैयारियों को लेकर अपने अपने होमवर्क भी करने शुरू कर दिए हैं। सत्तादल समेत अन्य सभी दलों की चल रही इन चुनावी तैयारियों के बीच प्रयागराज हाईकोर्ट (Prayagraj High Court) का एक बेहद अहम निर्णय भी आया है, जो आवाम में इस समय बेहद चर्चा का विषय बना हुआ है। एक बार फिर हाईकोर्ट ने राजनीति में अपराधीकरण पर अपनी चिन्ता जहिर कर दी है।

बता दें कि हाइकोर्ट ने कहा है,"यह चिंताजनक रूप से देखने में आया है कि सूबे के राजनैतिक दल संगठित अपराध में शामिल गैंगस्टरों और अपराधियों का अपने यहां स्वागत करते है। यह नहीं, उन्हें संरक्षण देने व बचाने के प्रयास भी करते हैं। ऐसे में उन्हें जनता के समक्ष रॉबिनहुड की मानिंद पेश भी करते हैं। न्यायालय ने कहा है कि अपराधी सिर्फ अपराधी ही होता है। उनका राजनीतिक दलों में स्वागत बेहद चिंता का विषय है।कोर्ट की यह चिंता करना लाजिमी भी है क्योंकि आज अपराधी प्रवृत्ति के लोग सूबे के सभी दलों में मौजूद हैं।आइये एक नजर डालते हैं कि इस मौजूदा समय में किस दल में कितने अपराधी प्रवृत्ति के लोग मौजूद हैं।

विभिन्न दलों में अपराधी प्रवृत्ति के लोगों की मौजूदगी

कॉन्सेप्ट फोटो सोशल मीडिया

गत 2017 के जारी किए गए अगर आंकड़ों पर अगर गौर करें,तो सूबे की 403 विधानसभा सीटों में भाजपा को 312,सपा को 47,बीएसपी को 19, कांग्रेस को 7, और अपना दल को 9 सीटें प्राप्त हुईं थीं।इसमे तीन निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव जीते थे।इन जीते 402 विधायकों में 143 विधायकों पर आपराधिक मामले हैं।यह जानकारी इन राजनैतिक रॉबिन हुडों ने बड़े शान के साथ अपने अपने हलफनामों में चुनाव आयोग को भी दी थी।

सत्ताधारी दल बीजेपी के दागी माननीय

कॉन्सेप्ट फोटो सोशल मीडिया

एक आंकड़े के मुताबिक सूबे के सत्तादल बीजेपी में 37 फीसदी माननीय विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस दल के सदन में इस समय मौजूद 312 विधायकों में 114 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।जबकि 83 विधायकों पर संगीन आपराधिक मुकद्दमे दर्ज हैं।

समाजवादी पार्टी के माननीय

कॉन्सेप्ट फोटो सोशल मीडिया

समाजवादी पार्टी के 47 विधायकों में 14 विधायकों पर आपराधिक मुकद्दमे दर्ज हैं। हालाँकि इन 14 में 11 विधायकों पर तो संगीन अपराधों के मुकद्दमे दर्ज हैं।

बीएसपी के माननीय

कॉन्सेप्ट फोटो सोशल मीडिया

इस समय बीएसपी के 19 विधायक सदन में मौजूद हैं।जिनमे 5 पर आपराधिक मुकद्दमे हैं।इनमें चार विधायकों पर गम्भीर आपराधिक मुकद्दमे हैं।

कांग्रेस के माननीय

कॉन्सेप्ट फोटो सोशल मीडिया

सूबे में कंग्रेस के सात विधायक सदन में थे। इनमें एक विधायक पर आपराधिक मामला दर्ज है।

निर्दलीय माननीय

इस उत्तर प्रदेश में गत 2017 के चुनाव में तीन प्रत्याशी चुनाव जीत कर विधायक बनें हैं। इन तीनों विधायकों पर संगीन आपराधिक मुकद्दमे दर्ज हैं।

ये है एडीआर की रिपोर्ट

एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देश के 51 सांसदों और विधायकों ने महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामलों की घोषणा की है, जिनमें कथित दुष्कर्म और अपहरण जैसे मामले भी शामिल हैं।एडीआर की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इन 51 में से 48 विधायक और तीन सांसद हैं।पार्टीवार विवरण देते हुये बताया गया कि विभिन्न मान्यता प्राप्त दलों में भाजपा के विधायकों-सांसदों की संख्या सबसे ज़्यादा 14 है।इसके बाद शिवसेना के 7 , ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के 6 नेता हैं। जिन्होंने महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध से जुड़े मामलों की घोषणा की है।एडीआर के मुताबिक महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के इन मामलों में हमला या महिला की गरिमा भंग करने के उद्देश्य से आपराधिक बल का इस्तेमाल, अपहरण, महिला को शादी के लिये बाध्य करना, दुष्कर्म, महिला से क्रूरता, देह व्यापार के लिये नाबालिग की खरीद-फरोख्त, महिला का अपमान करने के उद्देश्य से हावभाव का प्रदर्शन करने जैसे संगीन अपराध शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट निर्देश को मानने पर दलों की बोलती बंद हैं

इसी साल सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी माह में देश के सभी दलों को यह निर्देश दिया था कि वे अपने दल में शामिल ऐसे नेताओं की जानकरी बेवसाइट पर डालें, जिनके ऊपर आपराधिक मुकद्दमें चल रहे हैं।लेकिन अब तक इन राजनैतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के इन निर्देशों को अब तक फॉलो नहीं किया है।अब सबकी बोलती बंद है।

Shweta

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