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Up Election 2022 : जेल में बंद पिता-पति और बहन के लिए चुनाव मैदान में

Up Election 2022 : यूपी चुनाव में ऐसे उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जो जेल में बन्द हैं। ऐसे में उनकी पत्नी के अलावा बेटे-बेटियां और बहन चुनाव मैदान में उतरकर सहानुभूति वोटों के सहारे विधानसभा चौखट पार करना चाह रहे हैं।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 3 Feb 2022 8:39 AM IST (Updated on: 3 Feb 2022 10:57 AM IST)
Up Election 2022 : जेल में बंद पिता-पति और बहन के लिए चुनाव मैदान में
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UP Election 2022 : यूपी के इस विधानसभा चुनाव (Up Election 2022) में ऐसे लोग अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जो राजनीति के क्षेत्र से हैं परन्तु जेल में हैं। यही नहीं कई ऐसे भी पीडित लोग हैं जो न्याय की आस में काफी समय से जेल में हैं। ऐसे में उनकी पत्नी के अलावा बेटे-बेटियां और बहन चुनाव मैदान में उतरकर सहानुभूति वोटों के सहारे विधानसभा चौखट पार करना चाह रहे हैं। ऐसे उम्मीदवार (Candidate) किसी एक दल में नहीं बल्कि सभी दलों में हैं।

गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी

अमेठी विधानसभा (Amethi Vidhan sabha) से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की प्रत्याशी व पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी चुनाव मैदान में हैं। गायत्री प्रजापति गैंगरेप (Gayatri Prajapati gangrape) के आरोप में जेल में हैं। कोर्ट के आदेश पर 18 फरवरी, 2017 को गायत्री प्रसाद प्रजापति और अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।

अशोक चंदेल की पत्नी राजकुमारी

हमीरपुर में पूर्व सांसद और भाजपा के पूर्व विधायक अशोक सिंह चंदेल इन दिनों हत्या के मामले में जेल में हैं। इस बार कांग्रेस के टिकट पर उनकी पत्नी राजकुमारी चंदेल चुनाव मैदान में उतरी हैं। मंगलवार को उन्होंने व्हीलचेयर में आकर नामांकन किया है। करीब बाइस साल पहले हुए हमीरपुर शहर में पांच लोगों की सामूहिक हत्या के मामले में 2019 में हाईकोर्ट इलाहाबाद की डबल बैंच से फैसला आया, जिसमें भाजपा के विधायक अशोक सिंह चंदेल व शराब कारोबारी सहित नौ लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद से वह लगातार जेल में हैं।

खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी

अयोध्या की गोसाईगंज सीट से विधायक फर्जी मार्कशीट मामले में जेल होने के बाद इस दफे उनकी पत्नी आरती तिवारी चुनाव मैदान में उतरकर मतदाताओं से उनके लिए वोट मांग रही हैं। फैजाबाद की एक अदालत ने पिछले साल दिसंबर 2020 में इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी को जालसाजी के एक मामले में पांच साल कैद की सजा सुनाई थी। अब इस बार भाजपा ने उनकी पत्नी आरती तिवारी को चुनाव में उतार दिया है।

बाहुबली अशोक दीक्षित की बेटी रूपाली दीक्षित

इस सीट से बाहुबली अशोक दीक्षित दो बार चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. हांलाकि उन्हें दोनों ही बार हार का सामना करना पड़ा लेकिन इस बार बाहुबली पिता की बेटी रूपाली दीक्षित इस बार अपने पिता के पुराने कामों को लेकर मैदान में हैं। रूपाली के पिता 75 वर्षीय अशोक दीक्षित को 2015 में सरकारी स्कूल के टीचर सुमन यादव की हत्या का दोषी ठहराया गया था। अशोक दीक्षित के खिलाफ कुल 69 आपराधिक केस दर्ज हैं।

खुशी दुबे की बहन नेहा तिवारी

कानपुर जिले के बिकरू हत्याकांड के एक आरोपी की विधवा खुशी दुबे की बहन नेहा तिवारी कानपुर के कल्याणपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में हैं। न्याय के लिए तरस रही खुषी दुबे पिछले डेढ साल से अधिक समय से जेल मेें है। नेहा अपनी बहन की रिहाई को लेकर जनता से न्याय की गुहार लगा रही है।

आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम

समाजवादी पार्टी के सांसद मो आजम खां इन दिनों जेल में हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम चुनाव मैदान में उतरकर अपने पिता की दुहाई देकर वोट मांग रहे हैं। हांलाकि चुनाव मैदान में आजम खां भी हैं पर अब्दुल्ला आजम अपने पिता पर हुए जुल्मों को लेकर रामपुर की जनता के सामने झोली फैलाकर खुद को और अपने पिता को जिताने की अपील कर रहे हैं।

संजीव राजा की पत्नी मुक्ता राजा

भाजपा ने अलीगढ़ शहर से संजीव राजा की पत्नी मुक्ता राजा को मैदान में उतारा है। पहली बार विधायक चुने गए राजा को पिछले नवंबर में एक पुलिसकर्मी पर हमला करने के 22 साल पुराने मामले में दोषी पाए जाने के बाद दो साल जेल की सजा सुनाई गई थी। अलीगढ़ शहर सीट से विधायक संजीव राजा की पत्नी मुक्ता राजा चुनाव मैदान में है। विधायक संजीव राजा को मारपीट के एक मामले में लोअर कोर्ट से सजा हो चुकी है।

इसी तरह उन्नाव से सामूहिक बलात्कार मामले की पीड़िता की मां आशा सिंह को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। उन्नाव रेप पीड़िता के साथ साल 2017 में रेप किया गया था। इस मामले में विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा हुई है।अब देखना है कि अपने परिजनों के प्रति ऐसे प्रत्याशियों को जनता की कितनी सहानुभूति मिल पाती है ।



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Ragini Sinha

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