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UP Election 2022: आखिर क्यों बीजेपी को बनानी पड़ी ज्वाइनिंग कमेटी? जानिए- क्या है इसके पीछे का मकसद

बीजेपी में शामिल होने से पहले अब ज्वाइनिंग कमेटी के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई की मंजूरी जरूरी

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 6 Nov 2021 10:37 PM IST
Dr Laxmikant Bajpai
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बीजेपी ज्वाइनिंग कमेटी के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई (फोटो-न्यूजट्रैक)

UP Election 2022: विधानसभा चुनाव नजदीक देख भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई (Laxmikant Bajpai) को एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। यूपी चुनाव से पहले अगर अब कोई नेता दल बदल कर बीजेपी में आना चाहता है तो सबसे पहले उसे डॉक्टर लक्ष्मीकांत बाजपेई (Laxmikant Bajpai) से मिलना होगा। उनकी सहमति के बाद पार्टी में उनकी एंट्री हो सकेगी। अगर उनकी ओर से हरि झंडी नहीं मिली तो वह बीजेपी में शामिल नहीं हो पाएगा।

लक्ष्मीकांत बाजपेई (Laxmikant Bajpai) के साथ दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, दिनेश शर्मा और बीजेपी के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को भी सदस्य बनाया गया है। यह कमेटी अब तय करेगी किस नेता को पार्टी में शामिल करना है और किसे नहीं शामिल करना है। चलिए आपको बताते हैं आखिर बीजेपी चुनाव से पहले जॉइनिंग के लिए ये कमेटी क्यों बनाई है?

दरअसल बीजेपी में कई बार ऐसा देखने को मिला है कि कुछ नेताओं की जॉइनिंग आनन-फानन में हो गई और जब विवाद बढ़ा तो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा। जिससे पार्टी की फजीहत हुई और उन नेताओं को भी धक्का लगा जो अपना घर छोड़कर बीजेपी के पास आये थे। ऐसे में अब बीजेपी चुनाव से ऐन वक्त पर फूंक-फूंक कर कदम रखना चाह रही है। जिससे किसी भी सूरत में उसे कोई नुकसान या विपक्ष को मौका ना मिले।

अब कुछ उन नेताओं के बारे में बताते हैं जो बीजेपी में शामिल हुए उसके बाद उन्हें बाहर निकाला गया। उनकी छवि तो धूमिल हुई ही कहीं न कहीं बीजेपी की भी साख पर बट्टा लगा और विपक्ष के निशाने पर वह आई।

पूर्व बीएसपी विधायक जीतेंद्र सिंह बबलू

फैजाबाद जिले की बीकापुर विधानसभा से पूर्व विधायक जीतेंद्र सिंह उर्फ बबलू की छवि एक दबंग नेता के तौर पर जानी जाती है। उन्हें अगस्त महीने पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल किया गया था। जब विवाद बढ़ा तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया। जीतेन्द्र सिंह बबलू को खुद प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पार्टी ज्वाइन कराया था लेकिन उन्हें बाहर का रास्ता देखना पड़ा। जीतेन्द्र सिंह बबलू वही नेता हैं जब मायावती की सरकार थी तो वह विधायक थे और तब तत्कालीन कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाने का का आरोप उन पर है।

जितेंद्र सिंह जब बीजेपी में शामिल हुए तो प्रयागराज की सांसद और पूर्व कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने इसका पुरजोर तरीके से विरोध किया और उन्होंने इस मुद्दे को पीएम मोदी से लेकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने उठाया। जिसके बाद बीजेपी को जीतेन्द्र सिंह बबलू को बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद कानपुर के एक गैंगस्टर के आरोपी को भारतीय जनता युवा मोर्चा में शामिल कर फिर से विवाद में घिरी गई थी। जिसके बाद पार्टी के नेता सामने आए और सफाई पेश की थी। इसके साथ ही अन्य कई नेताओं को शामिल कर बीजेपी में किरकिरी हुई और उन्हें बाहर का रास्ता देखना पड़ा था। इन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए अप चुनाव के ऐन वक्त पर आलाकमान ने यह फैसला लिया है कि लक्ष्मीकांत बाजपेई, केशव मौर्या, दिनेश शर्मा और दयाशंकर सिंह की अगुवाई वाली कमेटी ही तय करेगी कि किसे पार्टी में शामिल करना है कि से नहीं शामिल करना है।

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Raghvendra Prasad Mishra

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