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UP Election 2022: इंसेफेलाइटिस से निजात दिलाने वाले योगी आदित्यनाथ को बदले में जीत का तोहफा देने को तैयार है लोग
UP Election 2022: गोरखपुर सदर विधानसभा के लोग इंसेफेलाइटिस बीमारी का खत्मा करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तोहफे के तौर पर जीत देने को तैयार बैठे हैं। योगी आदित्यनाथ ने 1998 में पहली बार लोकसभा में इंसेफेलाइटिस का मुद्दा उठाया था।
UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के छठे चरण में हाट सीटों में सबसे महत्वपूर्ण सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की गोरखपुर सीट है। अपने लम्बे राजनीतिक कैरियर में उनके लिए यह पहला मौका है जब वह विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) मैदान में उतरे हैं। गोरखपुर सदर विधानसभा (Gorakhpur Sadar Assembly) से योगी (CM Yogi Adityanath) के खिलाफ सपा (SP) ने भाजपा (BJP) के ही नेता रहे उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी सुभावती शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। जबकि तीसरे उम्मीदवार के तौर पर आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद भी गोरखपुर से ताल ठोंक रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच गोरखपुर सदर विधानसभा (Gorakhpur Sadar Assembly) के लोग इंसेफेलाइटिस बीमारी का खत्मा करने के लिए योगी को तोहफे के तौर पर जीत देने को तैयार बैठे हैं।
इस विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में भले ही भाजपा (BJP) के अन्य नेता राष्ट्रवाद और आतंकवाद को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) समेत अन्य दलों पर हमला कर रहे हों, पर यहां के लोग अपने प्रत्याशी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से इस बात से संतुष्ट हैं। उन्होंने प्रदेश की जिम्मेदारी लेते ही सबसे पहले पांच दशक पुरानी इस बीमारी को जड़ से खत्म करने का बीड़ा उठाया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने एक घ्येय बनाकर इस बीमारी से लोगों को बड़ा निजात मिला है।
इंसेफेलाइटिस से 50 हजार से अधिक बच्चे की हो गई है मौत
बतातें चलें कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1978 में पहली बार दस्तक देने वाली विषाणु जनित बीमारी इंसेफेलाइटिस या दिमागी बुखार की चपेट में 2017 तक जहां 50 हजार से अधिक बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके थे और करीब इतने ही जीवन भर के लिए शारीरिक व मानसिक विकलांगता के शिकार हो गए। वहीं, इस बीमारी पर पिछले पांच वर्षो में जबर्दस्त नियंत्रण हुआ है। मीडिया में अब इस बीमारी से मरने वालों की संख्या में बडी गिरावट देखने को मिली है।
पूर्वाचंल के गोरखपुर जिले (Gorakhpur District) का बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज है जो पिछले दो दशकों में मासूमों के कब्रगाह के लिए जाना जाता रहा है।लेकिन अब इंसेफ्लाइटिस पर लगभग नियंत्रण हो चुका है। अब अस्पताल में डाक्टरों की संख्या भी बढाई गयी साथ ही स्वास्थ्य विभाग लगातार निगरानी कर रहा है।
योगी ने 1998 में उठाया था इंसेफेलाइटिस का मुद्दा
सबसे पहले सांसद के तौर पर योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने 1998 में पहली बार लोकसभा में इंसेफेलाइटिस का मुद्दा उठाया था। इसके बाद वह हर साल इस बीमारी को लेकर लोकसभा में केन्द्र सरकार (Center Government) से गुहार लगाते रहे। पर इस बीमारी से बच्चे काल कलवित होते रहे। पूर्वांचल के बच्चों के लिए मौत का पर्याय बनी रही इंसेफेलाइटिस पर रोकथाम के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्रियों से लेकर केन्द्र सरकार (Center Government) में बैठे सत्तासीनों की नींद तोडने का भी काम किया। यहां तक सांसद के तौर पर उन्होंने भरी दोपहरी में अनेक बार गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज से जिलाधिकारी और कमिश्नर दफ्तर तक 10 किलोमीटर से अधिक पैदल मार्च भी किया।
इसके बाद जब योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो सरकार बनते ही उन्हे इस बीमारी का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और जिम्मेदार अधिकारियों और डाक्टरों पर कड़ी कार्रवाई की। साथ ही अधिकाारियों पर अपनी नकेल भी कसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के इसी त्याग और परिश्रम का परिणाम है कि इस बार जब वह गोरखपुर विधानसभा चुनाव में उतरे हैं तो यहां के लोग उन्हे हाथो हाथ लेने का काम कर रहे हैं। .
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